आल इंडिया सेंट्रल कॉउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (ऐक्टू) के राज्य सचिव रणविजय कुमार ने नीतीश-बीजेपी सरकार के उस निर्णय की कड़ी अलोचना किया है जिस फैसले में जनप्रतिनिधियों के साथ साथ शराबबंदी लागू करने में जीविका सहित अन्य स्कीम व संविदा कर्मियों की सेवा लेने,इन्हें शराबबन्दी कानून के प्रावधानों को लागू कराने के लिए खास प्रोग्राम से जोड़ने की बात कही गयी है। उन्होंने सरकार के इस निर्णय की यह कहते हुए आलोचना किया है कि बिहार में शराबबंदी लागू कराने में विफल नीतीश-भाजपा सरकार अब शराबबंदी की विफलता का सारा ठीकरा जनप्रतिनिधियों के साथ साथ स्कीम -संविदा कर्मियों के माथे फोड़ना चाहती है।उन्होंने संविदा व स्कीम कर्मियों के मामले में दोहरा चरित्र अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि आज पूरे राज्य में लाखों जीविका कैडर मानदेय के अधिकार को लेकर सड़क पर है परंतु सरकार इनकी मांगे मानने के बजाए इन्हें पहचानने से ही इंकार कर रही है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार स्कीम व संविदा कर्मियों से बेगार की तरह काम लेना चाहती है इसलिए लगातार काम का बोझ बढाते रहने के बाद भी इनके पारिश्रमिक-मानदेय राशि मे पिछले कई वर्षों से वृद्धि नहीं किया है।उन्होंने सरकार से इन कर्मियों से बेगार के तौर पर खटाना बन्द करने को कहा है।ऐक्टू नेता रणविजय कुमार ने कहा कि जब सरकार को काम लेने की बारी आती है तब स्कीम वर्कर्स और संविदा कर्मी से सरकार सरकारी कर्मचारी मान आदेश जारी करती रहती है और जब मानदेय-पारिश्रमिक बढाने की मांग यह कर्मी करते है तब सरकार इन्हें अपना मानने से ही इनकार कर देती है। ऐक्टू नेता रणविजय कुमार ने सरकार से इस दोहरे चरित्र से बाहर आने तथा जीविका- आंगनबाड़ी-आशा - विद्यालय रसोइया समेत बिहार के लाखों- लाख संविदा व स्कीम कर्मियों का मानदेय वृद्धि जो कि वर्षों से नहीं हुआ है ,अविलम्ब मानदेय राशि मे वृद्धि करने तथा महीनों से आंदोलनरत जीविका कैडरों की मांग को अविलम्ब पूरा करने की मांग किया है।