इक्टू द्वारा देश व्यापी अब आंदोलन के आह्वान पर गुरुवार को भी प्रदर्शन किया गया । प्रदर्शन के जरिये मजदूरों ने मोदी सरकार से 4 श्रम संहिता कानून रद्द करने,निजीकरण, स्थायी कार्यों में ठिका व आउटसोर्स प्रथा पर रोक लगाने , 3 नए फौजदारी कानूनों को रद्द करने, ओपीएस लागू करने,निर्माण व असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के अधिकारों में लूट बन्द करने,आशा,रसोइयाआंगनबाड़ी,ममता आदि को भुखमरी की मजदूरी पर खटाना बन्द करने, वैधानिक मजदूरी 35 हजार व पेंशन 10 हजार करने, 12 घण्टा कार्य-दिवस रद्द करने,ईपीएफ जुर्माना में मालिक पक्षीय छूट रद्द करने ,बढ़ती बेरोजगारी-महंगाई पर रोक लगाने की मांग किया।इस अवसर पर मजदूरों को संबोधित करते हुए ऐक्टू नेता रणविजय कुमार व जितेंद्र कुमार ने मोदी सरकार को मजदूर विरोधी और कारपोरेट-पूंजीपतियों की पक्षधर बताया,कहा कि मोदी राज में रसोइया,आशा,आंगनवाड़ी,ठिका व आउटसोर्स मजदूर भुखमरी के पगार पर जिंदा है, मोदी सरकार ने दस वर्षों में इन कर्मियों के वेतन में एक रुपए की भी वृद्धि नही किया और सभी सरकारी पदों को समाप्त कर कम्पनियों को फायदा पहुंचाने के लिए ठिका प्रथा देश पर लाद दिया।नेताओं ने सभी मजदूरों की वैधानिक मजदूरी 35 हजार व पेंशन 10 हजार करने, 12 घण्टा कार्य-दिवस रद्द करने व देश को ठिका प्रथा से मुक्त करने की मांग किया। बता दे कि ऐक्टू 25 जुलाई से 8 अगस्त तक पूरे देश मे मोदी सरकार की मजदूर विरोधी विनाशकारी नीतियों के खिलाफ 11 सूत्री मांग पर 15 दिवसीय देशव्य्यापी अभियान चला रहा है ,इस अभियान की समाप्ति 9 अगस्त को भारत छोड़ो दिवस पर पूरे देश मे प्रदर्शन से होगा।