बिहार में शिक्षा विभाग और राजभवन एक बार फिर से आमने-सामने आ गया है. ऐसा कहा जा रहा कि दोनों के बीच तकरार तेज हो गई है. लेकिन, ऐसा क्यों ? हम आपको विस्तार से बताते हैं. दरअसल, खबर है कि विश्वविद्यालय अधिकारियों के शिक्षा विभाग के प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने से रोक के तीन दिन बाद ही विभाग ने कुलपतियों, कुलसचिवों और परीक्षा नियंत्रकों की बैठक बुलाई है और यह बैठक 28 फरवरी को होने वाली है. बता दें कि, यह बैठक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की अध्यक्षता में विभागीय सभागार में होगी.
शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों को भेजा पत्र
वहीं, इस बैठक को लेकर शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों को पत्र भेजे हैं. इस पत्र के जरिये कहा गया है कि, बैठक में विलंबित परीक्षाओं के साथ-साथ अन्य सत्रों की समय पर परीक्षा आयोजित करने की समीक्षा होगी. इसको लेकर उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. रेखा कुमारी ने कुलपतियों, कुलसचिवों और परीक्षा नियंत्रकों को पत्र भेजा है. विभाग की ओर से कुलपतियों और विश्वविद्यालयों के अन्य पदाधिकारियों की बैठक बुलाने के नए निर्देश पर शिक्षा जगत में फिर चर्चा शुरू हो गई है. इसका कारण यह है कि तीन दिनों पहले ही राजभवन ने आदेश जारी कर कुलपतियों को विभाग के प्रशिक्षण में आने पर रोक लगाई थी. इसी बीच विभाग का फिर से कुलपतियों को बुलाने का फरमान जारी हुआ है.
राज्यपाल के प्रधान सचिव ने लिखा पत्र
इस बीच आपको यह भी बता दें कि, शिक्षा विभाग की ओर से 2 और 3 मार्च को आयोजित होने वाले उन्मुखीकरण कार्यक्रम (प्रशिक्षण) में विश्वविद्यालयों के पदाधिकारियों के भाग लेने पर राजभवन ने रोक लगाई है. राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चौंग्थू ने पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव को इस संबंध में पत्र लिखा है. साथ ही इस पत्र की प्रतिलिपि सभी विश्वविद्यालयों को भेजी गई है. प्रधान सचिव ने पत्र में लिखा है कि, राज्यपाल सह कुलाधिपति की तरफ से इस कार्यक्रम में भाग लेने की अनुमति प्रदान नहीं की गई है. बता दें कि, यह पहली बार नहीं है जब राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच विवाद उत्पन्न हुए हैं. बल्कि इससे पहले भी केके पाठक के फरमानों के कारण कई तरह के विवाद देखने के लिए मिले हैं. इस बीच दोनों को बीच तकरार बढने के कयास लगाए जा रहे हैं. साथ ही अब हर किसी की निगाहें 28 फरवरी के दिन पर बनी हुई है कि, आखिर इस दिन क्या कुछ निर्णय लिए जाते हैं.