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चुनाव आयोग तक पहुंची शिक्षा विभाग की शिकायत, केके पाठक के फरमानों से हैं पूरा परेशान

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बिहार में एक ओर जहां लोकसभा चुनाव की लहर देखी जा रही है. हर तरफ चुनाव को लेकर ही चर्चे हो रहे हैं. तो वहीं दूसरी ओर शिक्षा विभाग भी कम नहीं है. अपर मुख्य सचिव केके पाठक की ओर से जिस तरह से फरमान जारी किए जा रहे हैं, उसके बाद से लगातार शिक्षकों के बीच हड़कंप मचा हुआ है. बता दें कि, चुनाव के दौरान बिहार में शिक्षकों की अहम भूमिका होती है. शिक्षकों की ड्यूटी इस दौरान लगाई जाती है. कई बार तो स्कूल में ही बूथ की व्यवस्था कर दी जाती है और शिक्षक मतदान केंद्रों पर ही बने रहते हैं. इसके अलावे इधर, केके पाठक के फरमानों से शिक्षक परेशान रह रहे हैं. खासकर, अब जब गर्मी की छुट्टी में भी स्कूलों में सभी शिक्षकों को सेवा देनी पड़ रही है, कई तरह के काम शिक्षा विभाग की ओर से दे दिए गए हैं, जिसको लेकर उनका गुस्सा चरम पर है. 

चुनाव आयोग से हुई शिकायत

ऐसी स्थिती को देखते हुए चुनाव में ड्यूटी करने वाले शिक्षक और चुनाव के दौरान सक्रियता के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करने वाले शिक्षकों ने अपने संगठन के माध्यम से मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से गुहार लगाई है. बता दें कि, सबसे पहले बिहार विधान परिषद के सदस्य और शिक्षक संघों के बड़े नेता रहे केदार पांडेय के पुत्र आनंद पुष्कर ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को पत्र लिखा है. पत्र के जरिये उन्होंने शिक्षकों को जो भी परेशानी हो रही है, उससे अवगत कराया है. दरअसल, आनंद पुष्कर ने पत्र लिखकर आयोग से कहा है कि, चुनाव संचालित करने वाले शिक्षकों को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण दिया जाए. लोकतंत्र का महापर्व लोकसभा चुनाव 2024 का आयोजन किया जा रहा है. आशा है कि विगत चुनाव की भांति इस बार भी चुनाव आयोग सफलतापूर्वक चुनाव को संपन्न कराएगा.

'सिर्फ औपचारिकता कर रहे पूरी'

आनंद पुष्कर इतने पर ही नहीं रुके बल्कि आगे उन्होंने अपने पत्र में यह भी बताया कि, राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद, महेन्द्रू, पटना, बिहार के द्वारा शिक्षकों को विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षित किया जा रहा है. एक साथ निर्वाचन संबंधित प्रशिक्षण और शिक्षकों का व्यवसायिक प्रशिक्षण संपन्न होने से कठिनाई पैदा हो रही है. निर्वाचन कार्यों में विभिन्न स्तरों पर भारी संख्या में शिक्षकों को लगाया गया है. यदि ये शिक्षक चुनाव संबंधी प्रशिक्षण सही से प्राप्त नहीं कर पाएंगे तो चुनाव का प्रभावित होना स्वाभाविक है. उन्होंने आगे कहा है कि, विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों में इन शिक्षकों को डरा धमकाकर रोका जाता है. इन्हें विधिवत रूप से चुनाव प्रशिक्षण के लिए विरमित भी नहीं किया जाता है. इस तरह एक साथ दो जगह पर उपस्थिति भर दिखाकर ये शिक्षक किसी तरह प्रशिक्षण ले रहे हैं. यानि कि सिर्फ और सिर्फ औपचारिकता पूरी कर रहे हैं. ऐसे में चुनाव प्रभावित होना तय है. उन्होंने आयोग से अपील करते हुए कहा है कि, इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किया जाए, जिससे लोकसभा चुनाव जैसा महत्वपूर्ण कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो सके.

गर्मी की छुट्टी को लेकर कही ये बात

इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि, मुख्य चुनाव आयुक्त को भी पत्र जारी कर सभी कठिनाईयों से अवगत कराया गया है. बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ, जमाल रोड, पटना की ओर से पत्र जारी करते हुए कहा गया है कि, महोदय आपके द्वारा घोषित सात चरणों में चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई है. इसमें सरकारी कर्मचारी शिक्षक हजारों हजार की संख्या में प्रतिनियुक्ति हैं और अधिकांश स्कूलों में भी मतदान केंद्र को निर्धारित किया गया है. महोदय शिक्षा विभाग ने गर्मी की छुट्टी रहने के बावजूद विद्यालय कार्य चालू रखने का आदेश दिया है. इससे निष्पक्ष और धैर्य रहित चुनाव संचालन में बाधा पहुंच रही है. अतः ऐसे तमाम विद्यालयों को 15 मई तक बंद रखा जाए और छात्र तथा शिक्षक पूर्व की भांति ग्रीष्मावकाश में रहें. इसके साथ ही इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दिए जाने की अपील की गई है. 

केके पाठक ने ये फरमान किया था जारी

आगे उन्होंने कड़ा रुख अपनाते हुए यह भी कहा कि, बिहार सरकार शिक्षा विभाग को इस तरह की मनमानी करने की छूट दे रखी है. इसलिए आपका हस्तक्षेप आवश्यक हो गया है. अतः शिक्षा विभाग द्वारा आराजकतापूर्ण आदेश के कारण सरकारी स्कूलों में शिक्षक अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. कृपया इससे मुक्त कराया जाए. संघ की ओर से मुख्य चुनाव आयोग को कहा गया है कि मामले में पूरी तरह हस्तक्षेप करें. वहीं, केके पाठक ने जो फरमान जारी किया था और चुनाव आयोग को पत्र जारी किया था, उसकी बात की जाए तो पत्र में साफ तौर पर कहा गया था कि, आयोग की ओर से शिक्षा विभाग के आउटसोर्सिंग कर्मचारी को काम में नहीं लगाया जाए. उनकी संख्या घट जाने से विभिन्न योजनाओं के कारित करने में बाधा उत्पन्न हो रही है. उधर, अब संघ की ओर से पत्र जारी होने से विवाद होना स्वाभाविक है. चुनाव आयोग किसी भी शर्त पर चुनाव संचालन प्रक्रिया को प्रभावित नहीं होने देगा. देखना होगा कि, क्या कुछ आगे एक्शन लिया जाता है. 

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