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नियोजित शक्षकों ने केके पाठक को लेकर किया ऐलान,सक्षमता परीक्षा पर लिया फाइनल डिसीजन,अब क्या करेंगे?

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नियोजित शिक्षक शिक्षा विभाग और नीतीश सरकार से खफा है इसीलिए नियोजित शिक्षकों ने  13 फरवरी को बिहार के सरकारी स्कूलों की पढ़ाई ठप कर पटना में विरोध प्रदर्शन किया. बिहार में नियोजित शिक्षकों की सक्षमता परीक्षा की अनिवार्यता से जुड़े फैसले का विरोध शिक्षक संघ कर रहा है. बिहार में राज्यकर्मी का दर्जा पाने के लिए नियोजित शिक्षक सक्षमता परीक्षा में शामिल न होने की जिद पर अड़ गए है. पहले उनकी मांग पर सरकार ने राज्य कर्मी बनाने की मांग मान ली थी, लेकिन सक्षमता परीक्षा की शर्त जोड़ दी. नियोजित शिक्षक बिना किसी परीक्षा के राज्यकर्मी का दर्जा पाना चाहते हैं.

बिहार में राज्यकर्मी का दर्जा पाने के लिए नियोजित शिक्षक सक्षमता परीक्षा में शामिल न होने की जिद पर अड़ गए हैं. पहले उनकी मांग पर सरकार ने राज्य कर्मी बनाने की मांग मान ली थी, लेकिन सक्षमता परीक्षा की शर्त जोड़ दी. शिक्षकों को यह भी स्वीकार नहीं है. वे बिना किसी परीक्षा के राज्यकर्मी का दर्जा हासिल करना चाहते हैं. शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने गुरुवार को घोषणा की थी कि पहले निर्धारित तीन सक्षमता परीक्षाओं की जगह अब पांच सक्षमता परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी. इनमें दो ऑफलाइन यानी लिखित परीक्षाएं होंगी. उन्होंने बताया कि यह मुख्यमंत्री का निर्देश है. इसके बावजूद शिक्षकों ने गर्दनीबाग में बने धरना स्थल पर शुक्रवार को धरना दिया.

सम्राट चौधरी से बंधी है उम्मीद

नियोजित शिक्षकों ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी से भी मुलाकात की थी. उनके साथ शिक्षक प्रतिनिधिमंडल की डेढ़ घंटे तक चली मुलाकात में भी बात नहीं बनी. हालांकि उन्होंने यह आश्वासन जरूर दिया कि सक्षमता परीक्षा की वजह से किसी की नौकरी नहीं जाएगी. शिक्षक प्रतिनिधियों ने नियोजित शिक्षकों को साक्षमता परीक्षा लिए बगैर राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए. उनका तर्क है कि वर्षों बाद सक्षमता परीक्षा का कोई औचित्य नहीं है. शिक्षकों ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक से हो रही अपनी परेशानियां भी उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को बताईं. उनका कहना था कि पाठक लगातार शिक्षकों को लेकर फरमान जारी करते रहते हैं. विपक्ष में रहते भाजपा भी केके पाठक के कई फरमानों के खिलाफ रही है.

सम्राट ने दो दिनों का समय मांगा

उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने शिक्षकों को आश्वासन दिया है कि दो दिनों में में वे शिक्षकों की समस्याओं का हल निकालने का प्रयास करेंगे. शिक्षकों को उनसे इसलिए उम्मीद बंधी है कि विपक्ष में रहते वे खुद केके पाठक के कई आदेशों पर आपत्ति जताते रहे हैं. उप मुख्यमंत्री ने शिक्षकों को आश्वस्त किया है कि वे उनकी सारी समस्याओं का निदान करेंगे. शिक्षकों की सारी समस्याएं उन्होंने सुन ली हैं. शिक्षा मंत्री के साथ बैठ कर वे शिक्षकों की सारी समस्याओं का निदान करेंगे. नियोजित शिक्षक भी सम्राट चौधरी से हुई बातचीत से संतुष्ट हैं. वे बातचीत को सकारात्मक मान रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि उप मुख्यमंत्री उनकी समस्याओं का निदान जरूर करेंगे, क्योंकि जब वे विपक्ष में थे तो उस दौरान भी उन्होंने शिक्षकों की समस्याओं को उठाया था. शिक्षकों के हित में सड़कों पर विरोध प्रदर्शन भी किया था.

सब ठीक है, शर्त वहीं पुराना

शिक्षकों के प्रतिनिधि सम्राट चौधरी से मुलाकात के बाद संतुष्ट तो दिखे, लेकिन जो मांगें उन्होंने रखी हैं, उन्हें पूरा करने पर सरकार को बैकफुट पर आना पड़ेगा. सबसे खराब स्थिति तो केके पाठक की होगी, जो बिगड़ी शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं. शिक्षक बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा व ऐच्छिक स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं. शिक्षकों के संगठन ने कहा है कि मांग पूरी होने तक सक्षमता परीक्षा बहिष्कार जारी रहेगा. उन्होंने अपील की है कि नियोजित शिक्षक ऑनलाइन आवेदन न करें. जो आवेदन कर चुके हैं, उनसे भी शिक्षक संगठन ने आग्रह किया है कि वे सक्षमता परीक्षा में शामिल न हों. 26 फरवरी को पहली ऑनलाइन परीक्षा की तिथि घोषित हो चुकी है. लाख से ऊपर आवेदन भी आए हैं. बिहार में नियोजित शिक्षकों की संख्या तकरीबन चार लाख बताई जाती है. बिहार शिक्षक एकता मंच के संयोजक प्रदीप कुमार पप्पू ने कहा है कि नियोजित शिक्षक उप मुख्यमंत्री द्वारा समस्या समाधान हेतु दी गई समय सीमा का इंतजार करेंगे. इस बीच बिहार के नियोजित शिक्षक सक्षमता परीक्षा के बहिष्कार पर कायम रहेंगे और फार्म भी नहीं भरेंगे.

क्या हैं नियोजित शिक्षकों की मांगें?

बिहार के करीब चार लाख नियोजित शिक्षकों की तीन प्रमुख मांगें हैं. पहली मांग है- नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए सक्षमता परीक्षा पास करने की बाध्यता खत्म की जाए. दूसरी मांग-राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए कोई शर्त न थोपी जाए. बिना शर्त उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए. तीसरी मांग- उनकी वरीयता बरकरार रहे. ट्रांसफर और पदस्थापन के लिए जिले का जो चॉइस ऑप्शन शिक्षा विभाग ने दिया है, उसे हटाया जाए.

इधर जुलूस और आंदोलन में शामिल शिक्षकों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है. इसके साथ ही बिहार के विभिन्न जिलों के भगोड़े नियोजित शिक्षक राज्यकर्मी नहीं बन सकेंगे. शिक्षा विभाग ने इन पर कड़ी कार्रवाई का निर्णय लिया है. इस बाबत केके पाठक ने पंचायती राज विभाग को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा है कि नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी बनाने के लिए सक्षमता परीक्षा ली जा रही है. अत: ऐसे शिक्षकों पर तुरंत कार्रवाई करनी होगी, ताकि ये सभी राज्यकर्मी नहीं बन सकें. राज्य के विभिन्न जिलों के 582 नियोजित शिक्षक छह माह से अधिक दिनों से गायब हैं. वहीं, 134 ऐसे हैं, जो छह महीने से कम दिनों से बिना सूचना के स्कूलों से अनुपस्थित हैं और उन्हें निलंबित करने की अनुशंसा की जा चुकी है.

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