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पूर्व सांसद रामहटल चौधरी ने जल्द ही उनका कांग्रेस से मोहभंग हो गया और उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

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एक महीने भी कांग्रेस में नहीं टिक पाये. 28 मार्च को वे कांग्रेस में शामिल हुए थे और टिकट नहीं मिलने के कारण .उन्होंने कांग्रेस छोड़ने की घोषणा की. रामहटल ने कहा कि वे झोला-झंडा ढोने कांग्रेस में नहीं आये थे. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने उन्हें रांची लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाने का भरोसा दिलाया था, लेकिन कई दिनों तक रांची लोकसभा सीट को होल्ड रखने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय को टिकट दे दिया गया।

रामहटल ने कहा कि कांग्रेस के नेता ओबीसी और जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी भागीदारी की बात करते हैं, लेकिन ये सिर्फ बातें हैं. चौधरी ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने के लिए किसी से संपर्क नहीं किया था, बल्कि उनके नेताओं ने उनसे संपर्क किया था. कांग्रेस छोड़ने का बाद उनकी आगे की रणनीति क्या होगी? इसपर उन्होंने कहा कि इस बात का फैसला वे अपने समर्थकों से बातचीत कर जल्द लेंगे। पहले जब वे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले थे, तब वे इंडिया गठबंधन के साथ थे. वह चाहते थे कि मैं जदयू में शामिल हो जाऊं।

राहमटल चौधरी भाजपा पर भी बरसे. कहा, पिछले पांच साल से भाजपा के किसी नेता ने उनसे बात नहीं की और न ही वे आगे भाजपा में जायेंगे वह निर्दलीय अपनी ताकत दिखा कर भाजपा में शामिल हुए थे. चौधरी ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस और कांग्रेस ने राज्य के सदान, मूलवासी, ओबीसी और आदिवासी समाज को ठगा है. यही वजह है कि चुनाव को लेकर राज्य में उत्साह का माहौल नहीं दिख रहा है।

चौधरी ने कहा कि तब उन्होंने नीतीश कुमार से कहा था कि जदयू तो रांची से चुनाव लड़ता नहीं है, तब कैसे होगा. इसी बीच कांग्रेस के लोगों ने उनसे संपर्क शुरू किया और उनके टिकट देने का भरोसा देकर पार्टी ज्वाइन कराई।

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