बिहार में पिछले दिनों से नीतीश कैबिनेट का विस्तार नहीं होने के कारण कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थी. चर्चा यह भी थी कि नीतीश कुमार विधानसभा भंग कर सकते हैं. लेकिन, 15 मार्च को देर शाम सभी कयासबाजियों पर विराम लगाते हुए आखिरकार कैबिनेट का विस्तार हुआ. जेडीयू और बीजेपी के कुल 21 मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई. जेडीयू के कोटे से 9 और बीजेपी कोटे से 12 मंत्रियों ने शपथ ली. इन मंत्रियों की जाति को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम है.
यादव-भूमिहार पर विश्वास नहीं
दरअसल, कहा ये जा रहा है कि बीजेपी ने भी यादव और भूमिहार जाति पर विश्वास नहीं जताया है. कमोबेश यही हाल जेडीयू का है. जेडीयू कोटे में भी भूमिहार और यादवों को जगह नहीं मिली है. बीजेपी ने जहां विजय कुमार सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाकर भूमिहारों से किनारा कर लिया. वहीं नंद किशोर यादव को विधानसभा का अध्यक्ष बनाकर इति श्री कर ली. सबसे खास बात ये है कि बीजेपी ने विधान परिषद के पांच सदस्यों को कैबिनेट में जगह दी है. ये अपने आप में सोचने वाली बात है. बीजेपी के सामाजिक न्याय वाले दृष्टिकोण को देखें, तो बीजेपी ने अपने कुनबे में मंत्री के रूप में किसी यादव को जगह नहीं दी है. यानी कि यादव का पत्ता साफ कर लिया है.
कोर वोटरों पर भी ध्यान नहीं
इसके अलावे बीजेपी ने अपने कोर वोटरों पर भी ध्यान नहीं दिया है. भूमिहार जाति का कोई भी विधायक मंत्री पद की शपथ नहीं लिया है. पूर्व में जीवेश कुमार मंत्री बने थे. इस बार उनका नाम इस लिस्ट में नहीं है. एक मात्र विजय कुमार सिन्हा का चेहरा भूमिहार नेता के तौर पर दिख रहा है. हालांकि, कहा ये भी जा रहा है कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए ये लिस्ट तैयार की है लेकिन, इस लिस्ट से भूमिहार और यादव गायब हैं.