आज किसानों के दिल्ली चलो मार्च की वजह से सभी बॉर्डर सील कर दिए गए हैं. देर रात तक केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच बैठक चली. सरकार ने आंदोलन पर अड़े अन्नदाताओं को समझाने की हर संभव कोशिश की लेकिन 5 घंटे से ज्यादा चली बैठक भी बेनतीजा रही. उसके बाद किसान नेताओं ने आर-पार की जंग का ऐलान करते हुए कह दिया कि, दिल्ली कूच होकर रहेगा. गाजीपुर, सिंघु, संभू, टिकरी समेत सभी बॉर्डर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है. वहीं, पुलिस ने भी साफ कर दिया है कि, किसानों की आड़ में उपद्रवियों ने अगर कानून व्यवस्था में खलल डालने की कोशिश की तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी.
क्या कुछ पूरी खबर है हम आपको विस्तार से बताते हैं..... दरअसल, आज पंजाब, हरियाणा और यूपी से किसान दिल्ली आने वाले हैं. न्यूनतम समर्थन मूल्य अन्य मांगों को लेकर किसानों के आंदोलन की ये नई किश्त है. किसानों को मनाने के लिए कल करीब पांच घंटे लंबी वार्ता चली. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अर्जुन मुंडा इस बैठक में शामिल थे. लेकिन किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी चाहते थे. इसी पर बात बिगड़ गई. उसके बाद किसान नेताओं ने आर-पार की जंग का ऐलान करते हुए कह दिया कि, दिल्ली कूच होकर रहेगा.
शंभू बॉर्डर पर ट्रैक्टर पहुंचने शुरू
केंद्र सरकार और किसान यूनियनों के बीच बातचीत विफल होने के बाद शंभू बॉर्डर पर ट्रैक्टर पहुंचने शुरू हो गए हैं. किसानों का कहना है कि, जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, वे अपना दिल्ली चलो मार्च जारी रखेंगे. इस विरोध प्रदर्शन के चलते पूरी दिल्ली में धारा-144 भी लगा दी गई है. 12 फरवरी से 12 मार्च तक धारा-144 लागू रहेगी. पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि इस दौरान लोगों के एकजुट होने, रैलियां करने और लोगों को लाने-ले जाने वाली ट्रैक्टर ट्रॉलियों पर रोक रहेगी. वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने पहले ही साफ कर दिया है कि उसने 13 फरवरी को दिल्ली चलो का आह्वान नहीं किया है और इस विरोध प्रदर्शन से उसका कोई लेना-देना नहीं है. एसएकेएम ने कहा है कि यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे विरोध प्रदर्शनों को खारिज करने की बजाय लोकतांत्रिक तरीके से इनका हल ढूंढे.
हरियाणा के 7 जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद
इधर, किसानों के दिल्ली चलो मार्च का ऐलान करने के बाद हरियाणा सरकार काफी एहतियात बरत रही है. अंबाला के पास शंभू में पंजाब के साथ लगती सीमा को सील कर दिया गया है. इतना ही नहीं 7 जिलों कुरुक्षेत्र, अंबाला, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा में मंगलवार तक मोबाइल इंटरनेट सेवा को बंद कर दी गई है. पंजाब किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि, 'कल मंत्रियों के साथ करीब 5 घंटे तक बैठक चली. हमने उनके सामने एक एजेंडा रखा. केंद्र सरकार उस पर सहमति नहीं बना पाई है.' सरकार हमसे आंदोलन रोकने के लिए समय मांग रही है. लेकिन उन्होंने हमसे 2 साल पहले भी समय मांगा था, जब किसानों का आंदोलन खत्म हुआ था. हमने सोचा कि अब समय देना उचित नहीं है. अगर मजबूत प्रस्ताव होता तो हम समय देने के बारे में सोच सकते हैं लेकिन उनके पास कुछ भी नहीं है..."
2500 ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली आने की तैयारी
किसान आंदोलन को लेकर खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, किसान आंदोलन के लिए ट्रैक्टरों से कई रिहर्सल कर चुके हैं अब तक ऐसी 40 रिहर्सल और मार्च (हरियाणा में 10 और पंजाब में 30) हो चुके हैं. सबसे ज्यादा पंजाब के गुरुदासपुर में 15 हुए हैं आंदोलन के लिए 15 से 20 हजार किसान 2000-2500 ट्रैक्टरों के साथ आ सकते हैं. केंद्र के खिलाफ दिल्ली कूच का ऐलान करने वाले किसान संगठन MSP की गारंटी की मांग कर रहे हैं. साथ ही किसान संगठन स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू कराने पर अड़े हैं. किसानों की पेंशन और ऋण माफी भी इस आंदोलन का बड़ा मुद्दा है.साथ ही किसान संगठन पिछले आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को भी खत्म करने की मांग कर रहे हैं.