Desk- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 9 सितंबर को 534 पशु चिकित्सा वाहनों को हरी झंडी दिखाई थी. यह पशु चिकित्सा वाहन राज्य के अलग-अलग प्रखंडों में पशुपालकों के यहां जाकर बीमार पशुओं का इलाज करने के साथी ही जागरूकता फैलाने का काम इन्हें दिया गया था, पर पशुपालन विभाग के इस योजना के लिए जिन डॉक्टरों की नियुक्ति की गई थी, उसमे बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है. महिला अभ्यर्थी के रजिस्ट्रेशन पर पुरुष डॉक्टर की नियुक्ति हुई है.
मामला के खुलासा होने के बाद फर्जी तरीके से नियुक्त कई डॉक्टर फरार हो गए हैं. इस नियुक्ति में जाली सर्टिफिकेट का भी उपयोग किया गया है.इसके बाद कई डॉक्टर फरार हैं.
मिली जानकारी के अनुसार मोबाइल पशु चिकित्सा इकाई के लिए बड़े पैमाने पर पशु चिकित्सकों की नियुक्ति की गई थी. इसमें फर्जी मार्कशीट और सर्टिफिकेट के आधार पर भी बहाली कर ली गई है. महिला अभ्यर्थी के रजिस्ट्रेशन के आधार पर पुरुष डॉक्टर की बहाली हुई है. इसका उदाहरण रांची की डॉक्टर अपराजिता है. उसने मोबाइल वेटनरी यूनिट में डॉक्टर बनने के लिए आवेदन किया था उनका इंटरव्यू हुआ था, पर आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने नौकरी ज्वाइन नहीं की. बाद में पता चला कि उनके रजिस्ट्रेशन नंबर पर मुजफ्फरपुर के धर्मेंद्र की बहाली हो गई. इसी तरह झारखंड के ही डॉक्टर मनोज कुमार के सर्टिफिकेट पर किसी दूसरे अभ्यर्थी की बहाली की गई है.
बताते चलें कि यह नियुक्ति भाव्या हेल्थ सर्विसेज के माध्यम से की गई थी और इसमें बड़े पैमाने पर फर्जी लोगों की बहाली कर दी गई है अब मामला के प्रकाश में आने के बाद पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की प्रधान सचिव डॉक्टर एन विजयलक्ष्मी ने कहा है कि फर्जीवाड़े की जानकारी उन्हें मिली है और विभाग को फर्जी लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा है कई फर्जी डॉक्टर फरार हैं पर उनके खिलाफ कार्रवाई विभागीय स्तर पर जरूर होगी.