प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को गीता प्रेस के शताब्दी समारोह के समापन समारोह में शामिल होने और वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने के लिए गोरखपुर पहुंचे। मोदी के आगमन पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका स्वागत किया. गीता प्रेस जाने वाले पहले प्रधानमंत्री मोदी है. गीता प्रेस के 100 साल के इतिहास में ये पहला मौका है, जब कोई प्रधानमंत्री गीता प्रेस पहुंच रहा है.
गोरखपुर के गीता प्रेस का अनुभव अभिभूत कर देने वाला
इस मौके पर पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि गोरखपुर के गीता प्रेस का अनुभव अभिभूत कर देने वाला है. अपने शताब्दी वर्ष को पूरा कर चुका यह प्रकाशन न सिर्फ भारतवर्ष की सनातन संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि देश के गौरवपूर्ण क्षणों का भी साक्षी रहा है.
गोरखपुर के गीता प्रेस का अनुभव अभिभूत कर देने वाला है। अपने शताब्दी वर्ष को पूरा कर चुका यह प्रकाशन न सिर्फ भारतवर्ष की सनातन संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि देश के गौरवपूर्ण क्षणों का भी साक्षी रहा है। pic.twitter.com/hfZk4Hq4g5
— Narendra Modi (@narendramodi) July 7, 2023
गीता प्रेस को हाल ही में गांधी शांति पुरस्कार मिला
आपको बता दें कि गीता प्रेस को हाल ही में गांधी शांति पुरस्कार भी मिला है. इसको लेकर काफी विवाद भी हुआ. इसका विरोध करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि गीता प्रेस को सम्मानित करना मतलब गोडसे, सावरकर को सम्मानित करना है.
गीता प्रेस सिर्फ संस्था नहीं, बल्कि जीवंत आस्था है
पीएम ने आगे कहा, "गीता प्रेस विश्व का ऐसा इकलौता प्रिंटिंग प्रेस है, जो सिर्फ संस्था नहीं, बल्कि जीवंत आस्था है. मानव मूल्यों को बचाने के लिए गीता प्रेस जैसी संस्थाएं जन्म लेती हैं. गीता प्रेस का कार्यालय करोड़ों-करोड़ लोगों के लिए किसी मंदिर से कम नहीं है."
गीता प्रेस के नाम और काम में भी गीता
पीएम ने कहा, "इसके नाम और काम में भी गीता है. जहां गीता है वहां साक्षात् कृष्ण भी हैं. वहां करुणा है, ज्ञान का बोध भी है, हां विज्ञान का शोध भी है. यहां सब वासुदेवमय है. यहां की किताबों ने घर-घर में संस्कृति और विरासत पहुंचाई. "
दुनिया का सबसे बड़ा पब्लिशिंग हाउस
गौरतलब है कि गीता प्रेस, हिंदू धर्म ग्रंथों को छापने वाला दुनिया का सबसे बड़ा पब्लिशिंग हाउस है. यह अब तक करीब 93 करोड़ धार्मिक किताबें छाप चुका है. उसमें 16.21 करोड़ किताबें भागवत गीता की हैं. 11.73 करोड़ तुलसी दास की रामचरित मानस. 2.58 करोड़ पुराण और उपनिषद हैं. कमाई की बात करें तो 2022 में 100 करोड़ रुपए टर्नओवर रहा.