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छठ व्रतियों के लिए तैयार हैं घाट, नहाय-खाय से शुरू हो जायेगा चार दिवसीय पर्व

चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा कल से नहाए खाए के साथ शुरू हो जाएगा. जिसकी तैयारी को लेकर जिला प्रशासन और नगर-निगम प्रशासन छठ व्रतियों के लिए छठ घाटों पर किए जा रहे मुकम्मल व्यवस्था का निरीक्षण किया और जहां पर साफ-सफाई व्यवस्था की कमियां दिख रही है तो उसे तुरंत पदाधिकारी को ठीक करवा लेने का निर्देश दे रहे हैं. फल्गु नदी, पिता महेश्वर, झारखंडी घाट, केंदुई घाट समेत कई घाटों का निरीक्षण कर तैयारी का जायजा लिया.

दरअसल, पहला दिन छठ व्रत की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होता है. कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को छठ पर्व के पहले दिन नहाय खाय किया जाता है. जिसमें छठ व्रतियां किसी भी नदी, तालाब या अन्य किसी भी जलाशय में स्नान कर इसकी शुरुआत करती हैं. इसके पहले घर की साफ-सफाई कर ली जाती है और नहाय-खाय के दिन अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी का प्रसाद बनाया जाता है. जिसमें सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है. यह प्रसाद लोगों के बीच वितरित भी किया जाता है और यही से छठ पर्व की शुरुआत होती है.

दूसरे दिन को खरना के रूप में जाना जाता है. हालांकि, इसी दिन से छठ व्रती का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है. पहले सुबह से ही व्रती अन्न-जल त्याग कर भगवान भास्कर की आराधना करने लगते हैं. शाम के वक्त अरवा चावल, दूध, गुड़, खीर इत्यादि का प्रसाद बनता है और भगवान भास्कर को चढ़ाने के बाद व्रती अल्प प्रसाद ग्रहण करती हैं. इस दिन से निर्जला उपवास की शुरुआत हो जाती है.

तीसरा दिन सबसे कठिन होता है. इस दिन छठ व्रतियों के निर्जला उपवास का दूसरा दिन प्रारंभ हो जाता है और इसी दिन छठ व्रती के द्वारा पूजा के दौरान इस्तेमाल में लाया जाने वाला ठेकुआ सहित अन्य प्रसाद भी बनाया जाता है. इसी दिन शाम के वक्त लोग छठ घाट जाते हैं और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं.

छठ पर्व का चौथा दिन कार्तिक मास शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि को होता है. इस दिन अहले सुबह भगवान भास्कर के उदीयमान स्वरूप को अर्घ्य दिया जाता है. सुबह के वक्त भी लोग छठ घाट पहुंचते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. इसके बाद छठ व्रतियों के द्वारा पारण किया जाता है औत छठ का व्रत खोल दिया जाता है. इसी के साथ छठ पर्व का समापन भी हो जाता है. चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व की अपनी एक अलग महानता है.

गया से मनीष कुमार की रिपोर्ट 

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