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क्या है एयरहोस्टेस गीतिका शर्मा सुसाइड केस?....गरीबी, पैसा, रुतबा, पावर, लड़कियां और जेल...गोपाल कांडा की पूरी कहानी

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कहते हैं अगर पैसा हो तो इंसान सब कुछ झेल सकता है, लेकिन हरेक मामले में ऐसा नहीं है. एक वक्त में गोपाल के पास पैसा आया, किस्मत चमकी, पावर आई, लड़कियां आईं, लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया, जब उसे जेल का सफर भी तय करना पड़ा, लेकिन एक बात जो गोपाल के मन में हमेशा से भी, वो ये कि एक दिन वो जेल से बाहर होगा और उसके पीछे वजह थी बेशुमाह दौलत......साथ-साथ उसके कई रिश्तेदारों ने भी ऐसे वक्त में उसका साथ नहीं छोड़ा. गोपाल कांडा के जीवन में एक वक्त ऐसा भी आया, जब उन्हें ये लगा कि पैसा ही सब कुछ है.....पैसा है तो रिश्तेदार है.........और फिर पैसे वाले की गलत हरकतें भी सही लगने लगती है.

देश के सबसे चर्चित आपराधिक मामलों में से एक गीतिका शर्मा केस में अदालत का फैसला आ चुका है. इस केस में हरियाणा के विधायक गोपाल कांडा मुख्य आरोपी थे. इस मामले के चलते गोपाल कांडा को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ गया था. दिल्‍ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. वह आरोपों से बरी हो गए हैं. 2012 में गीतिका शर्मा की मौत के बाद यह मामला बेहद चर्चित हुआ था. गोपाल कांडा को उस कांड के बाद से देश भर में चर्चा मिली थी. आइए जानते हैं, क्या है गीतिका शर्मा का केस...

घटना 5 अगस्त 2012 की है, जब दिल्‍ली के अशोक विहार में 23 साल की एयरहोस्टेस गीतिका शर्मा अपने कमरे में मृत पाई गई थी. अपने सुसाइड नोट में उसने हरियाणा की कांग्रेस सरकार में पूर्व गृह राज्य मंत्री गोपाल गोयल कांडा पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था. इस मामले में गीतिका ने एक अन्य व्यक्ति अरुणा चड्ढा को भी आरोपी बनाया था. कांडा एक प्रभावशाली राजनेता और व्यवसायी थे, जो भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में कद्दावर मंत्री थे. आरोपों के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

गीतिका शर्मा ने सुसाइड नोट में इस कदम के लिए कांडा और उनकी MDLR कंपनी में सीनियर मैनेजर रहीं अरुणा चड्ढा को जिम्मेदार ठहराया था. गीतिका शर्मा, गोपाल कांडा की एमएलडीआर एयरलाइंस की पूर्व एयर होस्टेस थी. जिन्हें बाद में उन्हें कंपनी के निदेशक के रूप में पदोन्नत किया गया था. गीतिका के सुसाइड के कुछ समय बाद उनकी मां ने भी कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी. इस मामले में भी परिवारवालों ने BIST पर आरोप लगाए. परिवारवालों का आरोप था कि गोपाल कांडा के जुल्म के चलते गीतिका को यह कदम उठाना पड़ा. कांडा इस मामले में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोपों का सामना कर रहे हैं, जिनमें 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना), 506 (आपराधिक धमकी), 201 (सबूत नष्ट करना), 120 बी (आपराधिक साजिश) और 466 (जालसाजी) शामिल हैं. इससे पहले गोपाल कांडा के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में बलात्कार (376) और 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) के आरोप भी तय थे, लेकिन दिल्‍ली उच्च न्यायालय ने इन्हें रद्द कर दिया.

गीतिका ने सुसाइड नोट में क्या लिखा था?........गीतिका ने दो पेज के अपने सुसाइड नोट में गोपाल कांडा और अरुणा चड्ढा को जिम्मेदार ठहाराया. आज मैं अपने आप को खत्म कर रही हूं, क्यों कि मैं अंदर से टूट गई हूं. मेरे विश्वास टूट गया है और मेरे साथ धोखा किया गया. मेरी मौत के लिए दो लोग गोपाल कांडा और अरुणा अरुणा चड्ढा जिम्मेदार हैं. दोनों ने मेरे विश्वास को तोड़ा और अपने अपने फायदे के लिए मुझे इस्तेमाल किया. इन लोगों ने मेरे जीवन को बर्बाद कर दिया और अब ये लोग मेरे परिवार को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. इन दोनों को इन गलत किए की सजा मिलनी चाहिए.

कांडा को इस मामले में 18 महीनों तक जेल में रहना पड़ा. उन्हें मार्च 2014 में जमानत मिली थी. गीतिका के सुसाइड के करीब 6 महीने बाद गातिका की मां ने भी आत्महत्या कर ली. उन्होंने भी अपनी मौत के लिए गोपाल कांडा को जिम्मेदार ठहराया था..........वर्तमान में गोपाल कांडा अभी अपनी पार्टी हरियाणा लोकहित पार्टी से सिरसा से विधायक हैं. इस केस के वक्त तक गोपाल कांडा को हरियाणा का बड़ा नेता और कारोबारी माना जाता था. तब वे भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में राज्य के गृह मंत्री थे. उनके पास शहरी निकाय, उद्योग और वाणिज्य विभाग भी थे.........गीतिका मामले में गोपाल कांडा को हरियाणा से बाहर भी लोग जानने लगे थे, लेकिन इन 11 सालों में उनकी राजनीतिक छवि पर कोई असर नहीं पड़ा......गोपाल गोयल कांडा के राजनीतिक रसूख को इससे भी समझा जा सकता है कि की उन्होंने भूपिंदर सिंह हुड्डा की सरकार बनाई थी तो आज खट्टर सरकार को समर्थन दे रहे हैं. 

गोपाल कांडा अब बरी हो गए हैं....वो राहत की सांस जरूर ले रहे होंगे, लेकिन गोपाल कांडा ने अपनी उम्र में गरीबी, पैसा, रुतबा, पावर, लड़कियां और जेल सब कुछ देख लिया. गोपाल कांडा इस वक्त हरियाणा के सिरसा से विधायक है. कभी वो खराब हो चुके रेडियो-टीवी रिपेयर किया करते थे, लेकिन भगवान ने गोपाल के लिए कुछ अलग ही सोच रखा था. गोपाल के सपने बहुत बड़े थे..........गोपाल ने रेडियो रिपेयर की अपनी दुकान पर ताला लगा दिया और अपने भाई गोविंद कांडा के साथ मिल कर एक नया धंधा शुरू किया. गोपाल ने भाई गोविंद के साथ जूते और चप्पल की दुकान खोल ली. धीरे-धीरे गोपाल ने जूते बनाने की फैक्ट्री भी शुरू कर दी. गोपाल को विरासत में थोड़ा रुतबा और थोड़ा पैसा मिला था, क्योंकि उनके पिता जी वकील थे और बिजनेस भी ठीक-ठाक था. पिता जी ने बचत भी खूब कर रखी थी, लेकिन गोपाल के सपने बहुत ऊंचे थे. उसे लगा या तो मेहनत करके तरक्की हासिल कर ली जाए, वरना मेहनत के साथ-साथ अगर 'जी हजूरी' का गुण आ गया तो इसका फायदा मिल सकता है.....लिहाजा उसने वैसे ही किया.

लिहाजा उसने नेताओं और अफसरों से रिश्ते बनाना शुरू किए। उन्हें खुश किया. उनकी लाइजनिंग शुरू की, ताकि वो उनसे फायदा उठा सके. इसी दौरान भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अफसर की सिरसा में पोस्टिंग हुई.........वो कांडा का रिश्तेदार था. इस आईएएस अधिकारी का ट्रांसफर गुरुग्राम हो गया......उस वक्त गुरुग्राम की शक्ल-सूरत बदल रही थी. हुडा (HUDA)में इस अधिकारी की पोस्टिंग हो गई.

2007 में गोपाल कांडा ने अपने पिता के नाम पर मुरलीधर लखराम के नाम एयरलाइंस शुरू कर दी - एमडीएलआर एयरलाइंस. हालांकि एयरलाइंस ज्यादा दिनों तक नहीं चली.....इसके साथ-साथ कांडा ने एक के बाद कई बिजनेस खोले. इनमें से कई बिजनेस चले. कांडा ने खूब कमाई की और उससे दूसरा बिजनेस खोला..... ये सिलसिला बढ़ता चला गया.....प्रोफिट होता चला गया......कांडा ने इस दौरान कई  प्रॉपर्टी खरीदी-बेची और खूब मुनाफा कमाया......सेविंग की और ऐश की जिंदगी बताई......गोपाल कांडा होटल, कैसिनो, प्रॉपर्टी डीलिंग, स्कूल-कॉलेजों और  लोकल न्यूज चैनल का मालिक बना. गोपाल कांडा ने साल 2009 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीता भी. गोपाल कांडा तब भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ मिल गए और उनको हुड्डा सरकार में गृह राज्यमंत्री बनाया गया.

दरअसल, गीतिका शर्मा एयरलाइंस कंपनी में काम करने के लिए आई थी.....गीतिका को साल 2006 में कांडा की कंपनी में ट्रेनी केबिन क्रू के रूप में नियुक्ति मिली और छह महीने बाद ही एयरहोस्टेस बना दिया गया.....धीरे-धीरे कांडा और गीतिका के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी.....वो उसकी हर संभव मदद करने लगे.....ऐसा कहा जाता है कि कांडा ने गीतिका को कई गिफ्ट्स दिए, जिनमें महंगी कारें भी शामिल थी, लेकिन एक वक्त ऐसा आया, जब गीतिका और कांडा के बीच दूरियां शुरू हो गई. इगो बीच में आ गई. कहा जाता है कि गीतिका को कंपनी की तरफ से परेशान करना शुरू कर दिया गया...........इसमें कांडा का साथ दिया कंपनी में काम करने वाली अरुणा चड्ढा ने.

गोपाल कांडा का खराब दिन शुरू होता है साल 2012 से........पूरे लाव-लश्कर के साथ चलने वाले गोपाल कांडा की जिंदगी में सबसे बड़ा झटका उस वक्त लगा, जब गीतिका शर्मा ने 2012 में दिल्ली के अशोक विहार इलाके में खुदकुशी कर ली. साल 2012 की ये घटना थी.खुदकुशी के पीछे क्या नौकरी जाने का डर था? या फिर कुछ ऐसे राज थे, जो दफन हो गए? इसके बारे में ज्यादा जानकारियां सामने नहीं आई. कुछ वक्त बाद गीतिका की मां ने भी खुदकुशी कर ली.

गीतिका केस में गोपाल कांडा को जेल का सफर तय करना पड़ा......वो 18 महीनों तक जेल में रहे, लेकिन गोपाल कांडा अब चाहता था कि वो किसी तरह से दोबारा पावर में आ जाए........बाद में उसकी बेल हुई....गोपाल कांडा ये भी सोच रहे थे कि आखिर क्यों गीतिका के चक्कर में पड़े? लेकिन ये बात भी सच है कि गोपाल को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि गीतिका ऐसा कदम उठा लेगी. कोर्ट में बड़े-बड़े वकीलों ने उनके लिए बहस की. ट्रायल चलता रहा....इस दौरान गोपाल कांडा की कई कंपनियां बंद हुई, लेकिन कहते हैं न कि गोपाल कांडा ने इतना कमाया था कि अब वो आराम से पूरी जिंदगी ऐश के साथ बीता सकता है.

पावर की चमक बनी रहे, इसके लिए कांडा ने फिर खेल खेला......वो कुछ विधायकों को अपने साथ लेकर सरकार बनाने के लिए दिल्ली की तरफ चल पड़े.......2019 में जब बीजेपी बहुमत के आंकड़े से पीछे रह गई, गोपाल कांडा ने समर्थन का ऐलान कर दिया, लेकिन उसके पुराने पापों की वजह से बीजेपी ने उससे किनारा कर लिया और दूसरी पार्टी के समर्थन से सरकार बना ली.

अब 2023 में कांडा को अदालत ने बरी कर दिया है..... जाहिर है आने वाले वक्त में अब कांडा क्या सोच रहे होंगे, ये तो वो ही बता सकते हैं, लेकिन अभी भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने का मौका पुलिस के पास है. अब देखना होगा कि पुलिस का इस पर क्या रुख होता है? क्या सेटिंग का खेल होगा या फिर नहीं ? ये देखना दिलचस्प होगा.

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