संसद के विशेष सत्र का आज दूसरा दिन है. आज दूसरे दिन गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर नए संसद भवन में कार्यवाही शुरू हो जाएगी. लेकिन, इससे पहले विशेष सत्र के पहले दिन एक बड़ा सरप्राइस दिया गया और वह है 'महिला आरक्षण बिल'. दरअसल, विशेष सत्र के बीच सोमवार को मोदी कैबिनेट से महिला आरक्षण बिल को मंजूरी मिल गई है. अब ऐसा माना जा रहा है कि केंद्र सरकार जल्द ही इसे लोकसभा में पेश कर सकती है. बता दें कि, यह बिल कई मायनों में बेहद ही खास है और इसे लेकर पिछले कई वर्षों से चर्चाएं हो रही है. 1996 से 27 साल में कई बार यह अहम मुद्दा संसद में उठ चुका है. लेकिन दोनों सदनों में पास नहीं हो सका. लेकिन, पिछले कुछ सप्ताह में, बीजद और बीआरएस समेत कई दलों ने बिल को फिर से लाने की मांग की थी. जबकि कांग्रेस ने भी रविवार को अपनी हैदराबाद कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया था.
जानकारी के मुताबिक, 2008 के विधेयक को कानून और न्याय संबंधी स्थायी समिति को भेजा गया था, लेकिन, यह अपनी अंतिम रिपोर्ट में आम सहमति तक पहुंचने में विफल रहा. समिति ने सिफारिश की कि विधेयक को संसद में पारित किया जाए और बिना किसी देरी के कार्रवाई में लाया जाए. कमेटी के दो सदस्य, जोकि समाजवादी पार्टी के थे, वीरेंद्र भाटिया और शैलेन्द्र कुमार ने यह कहते हुए असहमति जताई कि वे महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने के खिलाफ नहीं थे, लेकिन जिस तरह से इस विधेयक का मसौदा तैयार किया गया था, उससे असहमत थे. उन्होंने सिफारिश की थी कि प्रत्येक राजनीतिक दल को अपने 20 प्रतिशत टिकट महिलाओं को वितरित करने चाहिए, आरक्षण 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए.
अब सवाल है कि, अभी लोकसभा में कितनी महिला सांसद हैं ? बता दें कि, करीब 27 सालों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक अब संसद के पटल पर आएगा. आंकड़ों के मुताबिक, लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15 फीसदी से कम है, जबकि राज्य विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है. इस लोकसभा में 78 महिला सदस्य चुनी गईं, जो कुल संख्या 543 के 15 प्रतिशत से भी कम हैं. बीते साल दिसंबर में सरकार द्वारा संसद में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्यसभा में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व करीब 14 प्रतिशत है. इसके अलावा 10 राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है, इनमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा और पुडुचेरी शामिल हैं.
आखिर इस 'महिला आरक्षण बिल में है क्या यह भी हम आपको बता देते हैं. दरअसल, महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी या एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है. विधेयक में 33 फीसदी कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव है. विधेयक में प्रस्तावित है कि प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए. आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन द्वारा आवंटित की जा सकती हैं. इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा.