BODHGAYA- भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली व विश्वदाय धरोहर बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर में 2568वीं बुद्ध की जयंती समारोह बड़े ही धार्मिक माहौल में मनाया गया। जयंती को लेकर पूरे बोधगया परिसर में एवं विभिन्न मोनेस्ट्री में त्रिपिटक झंडे व तोरण से आकर्षक रूप से सजाया गया है।
जयंती समारोह की शुरुआत पहले सुबह 80 फीट बुद्ध मूर्ति के पास से महाबोधि मंदिर तक शोभा यात्रा निकाली गई।।शोभा यात्रा में विभिन्न देशों के बौद्ध भिक्षुओं के साथ देशी-विदेशी बौद्ध श्रद्धालु, विभिन्न मठो के बौद्ध धर्म गुरु व स्कूली बच्चे शामिल थे। इसके बाद बौद्ध महाबोधि मंदिर स्थित पवित्र बोधि वृक्ष की छांव तले विश्व शांति हेतु प्रार्थना सभा एवं सूत्रपात किया गया। प्रार्थना सभा में मुख्य अतिथि के तौर पर सूबे के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर व थाईलैंड की काउंसिल जनरल शामिल हुए.आगत अतिथियों ने बौद्ध भिक्षुओं के साथ दीप प्रज्वलित कर सूत्र पाठ का कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
सूत्रपाठ कार्यक्रम में विभिन्न देशो के बौद्ध धर्म गुरुओं ने अपनी अपनी भाषा में पाठ किया एवं विश्व शांति की कामना की। इस मौके पर महाबोधि मंदिर प्रबंध कारिणी समिति की ओर से प्रकाशित स्मारिका का प्रज्ञा का लोकार्पण का भी किया गया। आगत अतिथियों को बीटीएमसी की ओर से मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।
इस मौके पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहां कि भगवान बुद्ध के विचारों ने कभी विश्व को युद्ध नहीं बल्कि बुद्ध दिया है। बुद्ध का संदेश करुणा-अहिंसा और शांति है। यही वजह है कि भारत से निकले हुए विचार को पूरा विश्व आत्मसात करता है। यह हमारी संस्कृति का मूल आधार है। बुद्ध के विचारों के बगैर कहीं शांति संभव नहीं है। आज विश्व के कई देशों में उथल-पुथल और युद्ध का माहौल है। उन देशों में कुछ और नहीं बल्कि बुद्ध के संदेशों को आत्मसात करने की आवश्यकता है। इस दौरान राज्यपाल ने महाराष्ट्र से आए बौद्ध श्रद्धालुओं की प्रशंसा की।
गया से मनीष की रिपोर्ट