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आस्था और भक्ति के साथ आज मनाया जा रहा गुरु पूर्णिमा...

Guru Purnima being celebrated today with faith and devotion.

किसी भी व्यक्ति के जीवन में गुरु का स्थान अहम माना जाता है क्योंकि गुरु वे होते हैं जो किसी व्यक्ति के जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं. इतना ही नहीं, संसार में तो गुरु का स्थान माता-पिता से भी ऊपर माना जाता है. बात करें पौराणिक ग्रंथों कि तो महाभारत में भी लिखा है कि, अगर आप अर्जुन बनना चाहते हैं तो आपके जीवन में द्रोणाचार्य जैसे गुरु का भी होना जरूरी है. 

 

गुरु ही हमारे जीवन के समस्याओं का हल हमें सीख देते हुए कर सकते हैं. वहीं, आज गुरु पूर्णिमा का दिन है. आज के दिन को लोगों के द्वारा बड़े हर्ष और उल्लास, आस्था और भक्ति के साथ मनाया जाता है. आपको यह भी बता दें कि, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है. यही कारण है कि गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है.

वहीं, आज यानी कि गुरु पूर्णिमा के दिन दान और धार्मिक कार्यों का अपना ही महत्व है. वहीं, आज के दिन की मान्यता है कि आज के दिन ही महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था. गुरु पूर्णिमा के दिन को मनाने की शुरुआत महर्षि वेदव्यास जी के 5 शिष्यों के द्वारा की गई थी. हिंदू धर्म में तो महर्षि वेदव्यास जी को ब्रह्म, विष्णु और महेश का रूप भी माना जाता है. दरअसल, महर्षि वेदव्यास जी को बचपन से ही आध्यात्म में रुचि थी. वे जंगल में जाकर तपस्या करना चाहते थे लेकिन इसकी इजाजत महर्षि वेदव्यास जी के माता-पिता ने नहीं दी. 

हालांकि, महर्षि वेदव्यास जी ने अपनी जिद नहीं छोड़ी. जिसके बाद महर्षि वेदव्यास जी की माता जंगल में जाकर तपस्या करने के लिए मां गई. इसके साथ ही महर्षि वेदव्यास जी की माता ने उन्हें यह भी कहा की, अगर उन्हें घर और परिवार की याद आये तो वापस घर लौट आये. जिसके बाद महर्षि वेदव्यास जी के पिता भी मान गए. इसके बाद ही महर्षि वेदव्यास जी ने जंगल में तपस्या की और वहीं उन्होंने महाभारत, 18 महापुराण समेत अन्य ग्रंथों की रचना की. 

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