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कौन हैं हरीश साल्वे?: सबसे महंगे वकीलों में गिनती, 68 में की तीसरी शादी, ‘एक देश एक चुनाव’ कमेटी के हैं सदस्य

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देश के सबसे महंगे वकीलों में शुमार और भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने 68 साल की उम्र में तीसरी बार शादी की है. इससे वह एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं. 68 की उम्र में साल्वे ने तीसरी बार रविवार को लंदन में शादी की है. हरीशा साल्वे की नई हमसफर का नाम ट्रीना है. वह ब्रिटिश मूल की हैं. इससे पहले साल्वे ने 2020 में कैरोलिन ब्रॉसार्ड नाम की महिला से शादी की थी. वहीं, उनकी पहली पत्नी मीनाक्षी से उनका रिश्ता 38 साल तक चला था. जून 2020 में दोनों का तलाक हो गया था. हरीश और मीनाक्षी की दो बेटियां भी हैं जिनका नाम साक्षी और सानिया है. 38 वर्ष की मीनाक्षी से अलग होने के कुछ ही महीनों बाद उन्होंने कैरोलिन से दूसरी शादी की थी. 

कैरोलिन से शादी करने से पहले हरीश साल्वे ने ईसाई धर्म अपना लिया था. कैरोलिन की भी यह दूसरी शादी थी. अब तीन साल से भी कम समय में हरीश साल्वे ने तीसरी बार शादी की है. उनकी तीसरी पत्नी का नाम ट्रिना है.

बता दें कि अभी दो दिन पहले ही हरीश साल्वे केंद्र सरकार की नवगठित वन नेशन-वन इलेक्शन कमेटी के सदस्य भी बनाए गए हैं. इस कमेटी के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं. गृहमंत्री अमित शाह समेत 8 लोगों की इस कमेटी में हरीश साल्वे भी सदस्य हैं.

बताते चलें कि लंदन में हुई इस शादी में कई हाई प्रोफाइल गेस्ट भी पहुंचे. इसमें भारतीय उद्योगपति मुकेश अंबानी और उनकी पत्नी नीता अंबानी के अलावा आइपीएल के पूर्व चेयरमैन ललित मोदी अपनी गर्लफ्रेंड और मॉडल उज्ज्वला राउत के साथ पहुंचे. इसके अलावा रिसेप्शन में सुनील मित्तल, एलएन मित्तल, एसपी लोहिया, गोपी हिंदुजा सहित कई दूसरे बड़े बिजनेसमैन भी शामिल हुए.

सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले साल्वे कई हाई-प्रोफाइल मामलों के वकील रहे हैं. सलमान खान को काला हिरण शिकार मामले में तीन दिन के भीतर ही अग्रिम जमानत दिलाने वाले वकील भी हरीश साल्वे ही थे. इतना ही नहीं वोडाफोन, मुकेश अंबानी, रतन टाटा और आईटीसी होटल्स के केस भी लड़ चुके हैं. वहीं, पाकिस्तान में मौत की सजा पाए कुलभूषण जाधव का केस भी हरीश साल्वे ने ही लड़ा था. इसके लिए साल्वे ने भारत सरकार से सिर्फ एक रुपये फीस ली थी. 

48 साल के अपने करियर में साल्वे कई कॉरपोरेट घरानों का पक्ष कोर्ट में रख चुके हैं. उनकी गिनती भारत के सबसे महंगे वकीलों में होती है. 'लीगली इंडिया डॉट कॉम' के मुताबिक, 2015 में साल्वे कोर्ट में एक सुनवाई के लिए 6 से 15 लाख रुपये लेते थे. 

22 जून 1955 को महाराष्ट्र में जन्मे साल्वे मूलरूप से नागपुर के रहने वाले हैं. उनके दादा पीके साल्वे भी दिग्गज क्रिमिनल लॉयर रह चुके हैं. उनके पिता एनकेपी साल्वे कांग्रेस के नेता और केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं. साथ ही वह भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष भी थे. उनकी मां अंब्रिती साल्वे एक डॉक्टर थीं.

हरीश साल्वे बचपन से इंजीनियर बनना चाहते थे, लेकिन कॉलेज तक आते-आते उनका रुझान चार्टर्ड अकाउंटेसी (सीए) की ओर हो गया. किताब 'लीगल ईगल्स' में बताया गया है कि सीए की परीक्षा में वह दो बार फेल हुए. बाद में, जाने-माने वकील नानी अर्देशर पालखीवाला के कहने पर उन्होंने कानून की पढ़ाई शुरू की. वहीं, वकालत के अलावा हरीश साल्वे को संगीत और पियानो बजाने का भी शौक है.

नागपुर में पले बढ़े साल्वे कहते हैं कि मेरे दादा एक कामयाब क्रिमिनल लॉयर थे. पिता चार्टर्ड अकाउंटेंट थे. मां अम्ब्रिती साल्वे डॉक्टर थीं. इसलिए कम उम्र में ही मुझ में प्रोफेशनल गुण आ गए थे. हरीश साल्वे के पिता एनकेपी साल्वे पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट थे, लेकिन क्रिकेट प्रशासक और कांग्रेस के साथ अपनी राजनीतिक पारी के लिए ज्यादा जाने गए. पहली बार इंग्लैंड से बाहर क्रिकेट वर्ल्ड कप कराने का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है. उन्हीं के नाम पर बीसीसीआई ने 1995 में एनकेपी साल्वे ट्रॉफी शुरू की थी. वह इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की सरकारों में मंत्री भी रहे. विदर्भ को अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर भी वह काफी मुखर रहे.

हरीश साल्वे ने कानूनी करियर की शुरुआत 1980 में की थी. उन्हें अपने पिता के संपर्कों का भी फायदा मिला, जिससे उनकी मुलाकात नानी पालखीवाला से हुई. शुरुआती दिनों में उन्होंने अपनी टैक्स लॉयर नानी के जूनियर के तौर पर काम करके कानूनी दाव-पेंच सीखे. 

हरीश के मुताबिक, उनका करियर 1975 में फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार के केस के साथ शुरू हुआ. हरीश इस केस में अपने पिता की मदद कर रहे थे. दिलीप कुमार पर काला धन रखने के आरोप लगे थे. आयकर विभाग ने उन्हें नोटिस भेजा था और बकाया टैक्स के साथ भारी हर्जाना भी मांगा था. मामला ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था.

अपने शर्मीले दिनों को याद करते हुए साल्वे कहते हैं कि मैं सुप्रीम कोर्ट में दिलीप कुमार का वकील था. आयकर विभाग की अपील खारिज करने में जजों को कुल 45 सेकेंड लगे. दिलीप कुमार एक पारिवारिक मित्र थे. वह बहुत खुश हुए. मुझे कोर्ट में बहस करनी पड़ती तो मेरी आवाज नहीं फूटती. खुशकिस्मती से कोर्ट ने मुझसे जिरह के लिए नहीं कहा.

साल 1992 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से सीनियर एडवोकेट की पदवी मिली. साल 1999 में उन्हें सॉलिसिटर बनाया गया, हालांकि साल 2002 में उन्होंने दूसरी बार मिल रहे इस ऑफर को ठुकरा दिया था. हरीश साल्वे ने नवंबर 1999 से नवंबर 2002 तक भारत के सॉलिसिटर जनरल के रूप में कार्य किया था, उनको वेल्स और इंग्लैंड की अदालतों के लिए रानी के वकील के रूप में नियुक्त किया गया था. देश के सबसे व्यस्त वकीलों में से एक साल्वे ने एलएलबी की पढ़ाई नागपुर विश्वविद्यालय से की थी. भारत के सॉलिसिटर जनरल नियुक्त होने से पहले वे 1992 में दिल्ली हाईकोर्ट में वरिष्ठ वकील के पद पर थे.

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