बिहार में शराबबंदी को सफल कराने के लिए बिहार के डीजीपी आरएस भट्ठी की पुलिस हाईटेक होने का दावा करती है. वहीं, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के स्वास्थ्य महकमे में शराबियों की जांच के लिए एक ऐसे यन्त्र का अविष्कार किया गया है, जिसे आप भी देख कर दंग रह जायेंगे. शराबबंदी वाले बिहार में मोतिहारी पुलिस और मोतिहारी के स्वास्थ्य महकमे के कारनामे से आपको हम रूबरू कराते हैं. दरअसल, मामला रक्सौल प्रखंड का है. रक्सौल पुलिस को आलाकमान से आदेश मिली कि, शराबबंदी की सफल दिखाने के लिए 15 शराबियों को गिरफ्तार करके लाइये.
बस फिर क्या था, रक्सौल पुलिस बाटा चौक, चिकनी, जटियाही सहित कई जगहों पर ताबड़तोड़ छापेमारी करके एक दर्जन लोगों को बिना ब्रेथ एनालाइजर से जांच किए शराब पीने के आरोप में हथकड़ी लगा कर गिरफ्तार करके रक्सौल थाने लेते गई. उसके बाद शराब पीने के पुष्टि के लिए रक्सौल पुलिस ने सभी गिरफ्तार लोगों को उत्तर बिहार का आधुनिक वातानुकूलित कहे जाने वाले हाईटेक अनुमंडलीय अस्पताल रक्सौल लेकर पहुंची, जहां स्वास्थ्य विभाग के द्वारा शराब पीने की पुष्टि के लिए ब्रेथ एनलाइजर की जगह एक ऐसे नए यंत्र से शराब की जांच की गई जो शराबबंदी के साथ मजाक से कम नहीं था.
दरअसल, ड्यूटी पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों ने एक उजला पेपर को फोल्ड करके शराब पीने के आरोपीयों के मुंह में डालकर फूंक मारने को कहा. उसके बाद उसे पहले खुद सुंघा फिर ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर साहब ने सुंघाया. अब दोनों साहब ने सूंघकर बता दिया कि, गिरफ्तार व्यक्ति ने शराब पी है या नहीं. जिस प्रदेश में पुलिस के पास ब्रेथ एनलाइजर नहीं है और अंदाज से लोगों को पुलिस शराब पीने के आरोप में उठा लाती है. स्वास्थ्य विभाग जुगाड़ टेक्नोलॉजी से शराब पीने की पुष्टि करता है तो अब आप खुद अंदाज लगा सकते हैं बिहार में शराबबन्दी कितना सफल है. हालांकि, इस संबंध में पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी दोनों ने कैमरे पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया.
मोतिहारी से प्रशांत कुमार की रिपोर्ट