बिहार में जातीय गणना का मामला इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहा है. पहले जातीय गणना को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. जिसके बाद अब जातीय गणना का मामला सुप्रीम कोर्ट में फंसा हुआ है. इस बीच आज सुप्रीम कोर्ट में जातीय गणना को लेकर सुनवाई होने वाली है. बता दें कि, 2 अक्टूबर को ही बिहार सरकार की ओर से सर्वे के आंकड़े जारी कर दिए गए थे. जिसके बाद जमकर बवाल देखने के लिए मिला. वहीं, इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने सर्वे के आंकड़ों को जारी करने पर कोई रोक नहीं लगाई थी.
पहले सुनवाई में अदालत ने क्या कहा
पहले सुनवाई के दौरान अदालत का कहना था कि, विस्तृत सुनवाई के बाद ही रोक का आदेश जारी किया जाएगा. बिहार के अतिरिक्त मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने बताया कि, बिहार में पिछड़े वर्ग की आबादी 27.13 फीसदी है, जबकि अति पिछड़े वर्ग की संख्या 36.01 फीसदी है. उन्होंने बताया कि, राज्य की कुल आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी 63 फीसदी है. बिहार की कुल आबादी 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें से सामान्य वर्ग की आबादी 15.52 फीसदी है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, पहले बिहार सरकार ने कहा था कि, वह जातिगत सर्वे को जारी नहीं करने वाली है. लेकिन, फिर जब इसे जारी करने की बात कही गई, तो गैर-सरकारी संगठनों 'यूथ फॉर इक्वेलिटी' और 'एक सोच एक प्रयास' ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. इसमें कहा गया कि, जातिगत सर्वे को जारी नहीं किया जाए. पहले भी इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई, लेकिन उस समय अदालत ने कोई आदेश नहीं दिया था. वहीं, अब आंकड़ा जारी होने के बाद जमकर बवाल हो रहा.
हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग
जातीय गणना की सर्वे रिपोर्ट पर छिड़ी सियासी बहस के बीच बिहार को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग उठ गई है. यह मांग मधुबनी के बिस्फी से बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने की है. दरअसल, उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि, बिहार इस्लामिक राज्य बनने की ओर बढ़ रहा है. इस पर विधायक ने चिंता जताई और कहा कि, बिहार को हिंदू राज्य घोषित किया जाना चाहिए. इसके साथ ही लगातार इस मामले को लेकर बयानबाजी जारी है.