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कैसे और क्यों बुलाया जाता है संसद का विशेष सत्र, कब-कब हो चुके हैं?

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व वाली केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाने का फैसला कर कई सियासी अटकलों को हवा दे दी है. संसदीय कार्य मंत्री प्रल्‍हाद जोशी ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर यह जानकारी दी. उन्‍होंने लिखा, ‘संसद का स्पेशल सेशन 18 से 22 सितंबर को बुलाया गया है. ये नए संसद भवन में होगा. इसमें पांच बैठकें होगीं.’ संसद का शीतकालीन सत्र अमूमन नवंबर माह में होता है, इससे पहले विशेष सत्र के ऐलान ने विपक्ष को हैरान कर दिया है.

विशेष सत्र की घोषणा के साथ ही चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है कि स्‍पेशल सत्र में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) ,एक देश-एक चुनाव और महिला रिजर्वेशन पर विधेयक लाया जा सकता है. इसके साथ ही जी-20 की अध्‍यक्षता और चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग का जश्‍न नई संसद में मनाए जाने का लेकर भी अटकलों का बाजार गर्म है. हालांकि विशेष सत्र के एजेंडे के बारे में आधिकारिक तौर पर सरकार की ओर से कोई बात फिलहाल सामने नहीं आई है. माना जा रहा है कि 9-10 सितंबर को होने वाले G-20 शिखर सम्‍मेलन के बाद इस बारे में स्थिति साफ हो सकेगी.

एक देश-एक चुनाव को इलेक्‍शन रिफॉर्म्‍स का अहम हिस्‍सा मानते हैं PM

बता दें, एक देश-एक चुनाव पीएम मोदी की प्राथमिताओं में रहा है और वे कई बार सार्वजनिक रूप से इस बारे में बोल चुके हैं. 26 जून 2019 को राष्ट्रपति अभिभाषण पर राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए पीएम ने एक देश-एक चुनाव को चुनाव सुधार प्रक्रिया का अहम हिस्‍सा बताया था और विपक्षी दलों से इस दिशा में गंभीरता से विचार का आग्रह किया था. बता दें, वर्ष 2023 के अंत में मध्‍यप्रदेश, छत्‍तीसगढ़ और राजस्‍थान सहित पांच राज्‍यों में विधानसभा चुनाव होने हैं जबकि अगले वर्ष आम चुनाव के अलावा आंध्र प्रदेश, ओडिशा जैसे कुछ राज्‍यों में विधानसभा चुनाव हैं.

आइए, जानते हैं संसद का विशेष सत्र बुलाने की प्रक्रिया के बारे में

संसद का स्‍वरूप : राष्‍ट्रपति और दो सदन-राज्यसभा और लोकसभा, संसद का अहम हिस्‍सा है.हालांकि संसद का घटक होते हुए भी राष्ट्रपति किसी भी सदन की चर्चा में भाग नहीं लेता है, उसके पास संसद के दोनों सदनों को बुलाने और स्थगित करने का संवैधानिक अधिकार है.

सत्र बुलाने का अधिकार सरकार के पास

संसद सत्र बुलाने की शक्ति सरकार के पास है.यह निर्णय संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा किया जाता है, जिसे बाद में राष्ट्रपति द्वारा औपचारिक रूप से मंजूरी दी जाती है. वैसे तो भारत में कोई निश्चित संसदीय कैलेंडर नहीं है लेकिन परंपरागत तौर पर संसद के तीन सत्र आयोजित होते है.

* बजट सत्र (फरवरी-मार्च)

* मानसून सत्र (जुलाई-अगस्त)

* शीतकालीन सत्र (नवंबर-दिसंबर)

संविधान के अनुच्छेद 85 में प्रावधान है कि संसद की वर्ष में कम से कम दो बार बैठक होनी चाहिए और दो सत्रों के बीच का अंतर छह महीने से अधिक नहीं होना चाहिए.आमतौर पर संसद सत्र आयोजित करने की तारीखें विभिन्न सियासी दल और विधायी जरूरतों को ध्‍यान में रखकर तय होती है. उदाहरण के लिए, राज्य चुनावों के कारण कई बार सत्र में देर भी हुई है.

कब बुलाया जा सकता है विशेष सत्र

संसद के इन तीन सामान्‍य सत्रों के अलावा जरूरत पड़ने पर संसद का विशेष सत्र भी बुलाया जा सकता है.अगर सरकार महसूस करती है कि किसी विषय पर तत्काल संसद सत्र को बुलाने की जरूरत है तो विशेष सत्र बुलाया जा सकता है.संविधान का अनुच्छेद 85(1) राष्ट्रपति को ऐसी स्थिति संसद के प्रत्येक सदन का सत्र बुलाने का अधिकार देता है.

लोकसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए कुल सदस्यों का कम से कम 10वां हिस्सा यानी लोकसभा के 55 सदस्य, राष्ट्रपति या लोकसभा अध्यक्ष को किसी इरादे के बारे में लिखित रूप में देते हैं.संसद का विशेष सत्र संसद के सदस्यों को भेजे गए निमंत्रण नोटिस में उल्लिखित विशिष्ट कामकाज को निपटाने के लिए आयोजित किया जाता है और इस सत्र में कोई अन्य कार्य पर विचार नहीं किया जाता है.

कब-कब बुलाया गया विशेष सत्र

जून 2017 : नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान इससे पहले केवल एक बार संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है. वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू करने के लिए संसद के सेंट्रल हॉल में मोदी सरकार ने पहली बार संसद का विशेष सत्र 30 जून 2017 को बुलाया था.दोनों सदनों-लोकसभा और राज्यसभा की आधी रात तक बैठक हुई थी जिसमें सरकार ने GST लागू किया था.

जुलाई 2008 : यूपीए काल के दौरान, वाम दलों द्वारा मनमोहन सिंह के नेतृत्‍व वाली सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद विश्वास मत हासिल करने के लिए जुलाई 2008 में लोकसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था.

अगस्त 1997: आजादी के 50 वर्ष के अवसर पर अगस्त 1997 में संसद का छह दिनों का विशेष सत्र हुआ था.

अगस्‍त 1992: भारत छोड़ो आंदोलन के 50 वर्ष पूरे होने पर 9 अगस्त 1992 को संसद का मध्य रात्रि का सत्र हुआ.

जून 1991 : संसद का दो दिवसीय विशेष सत्र 3 जून 1991 कोहरियाणा में राष्ट्रपति शासन की मंजूरी के लिए बुलाया गया था.राज्यसभा के रिकॉर्ड के अनुसार, इन दोनों अवसरों पर, उच्च सदन की बैठक तब हुई, जब लोकसभा भंग थी.

फरवरी 1977: तमिलनाडु और नागालैंड में राष्ट्रपति शासन के विस्तार के लिए अनुच्छेद 356(4) के दूसरे प्रावधान के तहत दो दिनों के लिए राज्यसभा का एक विशेष सत्र आयोजित किया गया था.

अगस्त 1972 : आजादी की रजत जयंती पर अगस्‍त 1972 में पहली बार संसद का विशेष सत्र का आयोजन हुआ.

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