26 जनवरी 2024 को देश 75वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है. जिसको लेकर पूरे देशभर में खूब जोर-शोर से तैयारियां की जा रही हैं. हर साल इस खास मौके के लिए चीफ गेस्ट आते हैं. सालों से गणतंत्र दिवस पर विदेशी नेता को चीफ गेस्ट के तौर पर बुलाने की परंपरा रही है. वहीं, इस बार चीफ गेस्ट के तौर पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों भारत आएंगे. बात करें पिछले साल की तो, मिस्त्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी मुख्य अतिथि के तौर पर आए थे. हालांकि, कई बार ऐसा भी हुआ है कि ऐसे खास मौके पर कोई भी चीफ गेस्ट शामिल ना हुए हो. रिपोर्ट्स की माने तो, अब तक 5 बार ऐसा हुआ है जब गणतंत्र दिवस पर कोई चीफ गेस्ट परेड में शामिल नहीं हुए. 1950 में देश के पहले गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकारनो चीफ गेस्ट के तौर पर भारत आए थे. तब से यह परंपरा चली आ रही है.
कैसे फाइनल होते हैं गेस्ट ?
इस बीच आपको बता दें कि, चीफ गेस्ट को लेकर कई लोगों के सवाल होते हैं कि आखिरकार उनका चुनाव कैसे किया जाता है. तो आइये आज जानते हैं कि गणतंत्र दिवस पर चीफ गेस्ट का फैसला कैसे होता है- दरअसल, मुख्य अतिथि किसे बनाना चाहिए, इसको लेकर विदेश मंत्रालय कई बातों पर काफी सोच विचार करता है. इसमें सबसे पहले भारत और उस देश के संबन्धों को ध्यान में रखा जाता है और ये देखा जाता है कि उस देश के साथ हमारे देश की राजनीति, सेना और अर्थव्यवस्था का क्या और कितना कनेक्शन है. इस बात पर भी विचार किया जाता है कि कहीं आमंत्रित अतिथि को बुलाने से किसी अन्य देश से संबन्ध वगैरह तो खराब नहीं होंगे ? इन सभी पहलुओं पर सोच विचार करने के बाद विदेश मंत्रालय मुख्य अतिथि के नाम पर अपनी मोहर लगाता है.
6 महीने पहले शुरु हो जाती है प्रक्रिया
इसके बाद इस मामले में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की मंजूरी ली जाती है. मंजूरी मिलने के बाद देश के राजदूत मुख्य अतिथि की उपलब्धता के बारे में पता लगाने की कोशिश करते हैं क्योंकि किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष का व्यस्त शेड्यूल होना आम बात है. यही वजह है कि विदेश मंत्रालय की ओर से संभावित मुख्य अतिथि के लिए एक लिस्ट तैयार की जाती है, जिसमें कई ऑप्शंस रहते हैं. मुख्य अतिथि की उपलब्धता का पता लगाने के बाद भारत और आमंत्रित मुख्य अतिथि के देश के बीच आधिकारिक रूप से बातचीत होती है और सब कुछ तय होने के बाद मुख्य अतिथि के नाम पर मोहर लगती है. इस बीच हम आपको यह भी बता दें कि, गणतंत्र दिवस पर किसे मुख्य अतिथि के आमंत्रण और उनके स्वागत-सत्कार की प्रक्रिया करीब छह महीने पहले से शुरू हो जाती है. इस बीच उन्हें निमंत्रण भेजना और निमंत्रण स्वीकार किए जाने के बाद मुख्य अतिथि के आने पर ठहरने और पूरी तरह से विशेष तरह मेहमान नवाजी देने की व्यवस्था, विशेष भोज वगैरह कई कार्यक्रमों की तैयारी शुरू हो जाती है.
आखिर क्यों बुलाए जाते हैं चीफ गेस्ट ?
चलिए हम आपको अब ये बता देते हैं कि, गणतंत्र दिवस पर भारत मुख्य अतिथि क्यों बुलाता है ? मालूम हो कि, 26 जनवरी 1950 को भारत ने पहला गणतंत्र दिवस मनाया था. ब्रिटिश हुकूमत खत्म होने के बाद देश पहली बार अपना गणतंत्र दिवस मना रहा था, जिसे लेकर देशवासियों में बेहद उत्साह था. इस बेहद खास दिन को और खास बनाने के लिए चीफ गेस्ट बुलाए जाने की योजना बनाई गई. तब देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकारनो को मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित होने के लिए आमंत्रित किया था. तभी से गणतंत्र दिवस पर चीफ गेस्ट को इनवाइट करने की परंपरा चली आ रही है.
5 बार गणतंत्र दिवस पर नहीं पहुंचे चीफ गेस्ट
बता दें कि, अब तक 5 बार ऐसा मौका भी आया है, जब मुख्य अतिथि के बिना ही गणतंत्र दिवस मनाया गया. ऐसा होने की वजह अलग-अलग थीं. 1952, 1953, 1966, 2021 और 2022 में गणतंत्र दिवस पर कोई मुख्य अतिथि नहीं आए थे. 1966 में 11 जनवरी को तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का निधन हुआ था. वह उस समय ताशकंद समझौते के लिए सोवियत संघ के शहर ताशकंद में थे. गणतंत्र दिवस से तीन दिन पहले 23 जनवरी, 1966 को न्यूक्लियर साइंटिस्ट होमी भाभा का भी निधन हुआ था. साल 2021 और 2022 में कोरोना वायरस महामारी की वजह से गणतंत्र दिवस पर कोई मुख्य अतिथि नहीं थे. हालांकि, एक समय ऐसा भी था जब भारत के गणतंत्र दिवस पर एक साथ 10 देशों के नेता मौजूद थे. दरअसल, साल 2018 में पूरा दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन गणतंत्र दिवस पर उपस्थित था. ब्रूनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम 10 देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री मौजूद थे.