झारखंड में इन दिनों खूब बवाल मचा हुआ है. दरअसल, कुड़मी समाज के लोगों का पारा पूरी तरह से चढ़ चुका है. इसके साथ ही वे सभी आंदोलन करने के लिए रेलवे ट्रैक पर उतर चुके हैं. बता दें कि, सभी आंदोलनकारी कुड़मी समाज को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में और कुड़माली भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. वहीं, इसका असर साफ तौर पर यह देखने के लिए मिला कि झारखंड में अब तक 3 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है. सरायकेला-खरसावां के नीमडीह स्टेशन के पास बड़ी संख्या में कुड़मी समाज के लोग जुटे. इसके साथ ही पश्चिमी सिंहभूम के सोनुआ थाना के पास पुलिस से कुछ लोगों के झड़प की भी खबर है.
अप्रत्याशित भीड़ को लेकर प्रशासन चौकन्ना
बता दें कि, कुड़मी समाज के लोगों की अप्रत्याशित भीड़ को देखते हुए प्रशासन भी पूरी तरह चौकन्ना दिखी. वहीं, यह पहली बार नहीं है जब कुड़मी समाज अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरी और आंदोलन को लेकर मजबूर हुई है. इससे पहले भी कई बार उनका प्रदर्शन देखा गया है. केंद्र से उनकी मांग है कि उन्हें आदिवासी का दर्जा दिया जाए. फिलहाल, ये लोग ओबीसी वर्ग के दायरे में आते हैं. वहीं बात करें झारखंड की तो, यहां कुड़मी समाज के लोगों की आबादी करीब 22 प्रतिशत तक है.
बंगाल में आंदोलन लिया वापस
यह भी बता दें कि, कुड़मी समाज के द्वारा केवल झारखंड में ही नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भी खूब प्रदर्शन देखने के लिए मिल रहा है. वहीं, बात करें पश्चिम बंगाल की तो यहां हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद लोगों द्वारा आंदोलन को वापस ले लिया गया. खबर की माने तो, पश्चिम बंगाल में समाज के प्रमुख नेता अजीत प्रसाद महतो का कहना है कि, उन पर दबाव बनाया गया है. हाईकोर्ट की राय और वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बंगाल में आंदोलन को वापस ले लिया गया. लेकिन, झारखंड में आन्दोलन जारी है. रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया गया, जिसके कारण आम लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी.