Daesh NewsDarshAd

G20: नटराज मूर्ति से कोणार्क चक्र तक...भारत ने ऐसे दिखाई दुनिया को अपनी सॉफ्ट पावर की झलक

News Image

G20 Summit in India: आज जी-20 शिखर सम्मेलन का पहला दिन है. इस सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन समेत कई बड़े देशों के लीडर्स और प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रगति मैदान के भारत मंडपम में मुलाकात की. जी 20 के कार्यक्रम के पहले दिन प्रगति मैदान के भारत मंडपम में जहां वैश्विक नेता इकट्ठे हुए उसे भारतीय कला और संस्कृति के प्रतीक योग, कोणार्क चक्र और नटराज की प्रतिमा से सजाया गया था.

भारत मंडपम में सजा कोणार्क व्हील

PM मोदी  जहां विदेशी नेताओं के साथ तस्वीर खिंचा रहे थे, वहां बैकग्राउंड एक बडे़ से पहिए को लगा देखा जा सकता है जो ओडिशा का कोणार्क चक्र है. इसे जी-20 समिट में प्रदर्शन करने के कई अहम मायने हैं. कोणार्क चक्र को 13वीं सदी में राजा नरसिंहदेव-प्रथम के शासन में बनाया गया था. 24 तीलियों वाले चक्र को भारत के राष्ट्रीय झंडे में भी इस्तेमाल किया गया है. कोणार्क चक्र लगातार बढ़ते समय की गति, कालचक्र के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है. यह लोकतंत्र के पहिये के एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में कार्य करता है, जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

नटराज प्रतिमा की खासियत

भारत मंडपम में कन्वेंशन हॉल के प्रवेश द्वार पर 28 फुट ऊंची नटराज की प्रतिमा लगाई गई थी. यह प्रतिमा भगवान शिव को 'नृत्य के देवता' और उनकी सृजन और विनाश की ब्रह्मांडीय शक्ति का प्रतीक है. 19 टन की यह मूर्ति तमिलनाडु के स्वामीमलाई के एस. देवसेनाथिपति स्टापति पुत्रों ने बनाई है.

इस आठ धातु की मूर्ति को बनाने के लिए पारंपरिक चोल शिल्प का उपयोग किया जाता है. प्रतिमा आठ धातुओं से बनी है. लगभग 82 प्रतिशत तांबे का उपयोग किया जाता है और 15 प्रतिशत कांस्य और 3 प्रतिशत सीसा होता है, बाकी सोना, चांदी, टिन और पारा थोड़ी मात्रा में होता है. 

भारत मंडपम में नटराज की प्रतिमा लगाने का धार्मिक और ऐतिहासिक कारण है. दरअसल नटराज का ये स्‍वरूप शिव के आनंद तांडव का प्रतीक है. शिव नटराज की प्रतिमा को अगर ध्‍यान से देखें तो आपको भगवान शिव की नृत्‍य मुद्रा साफतौर पर नजर आएगी. साथ ही वो एक पांव से दानव को दबाए हैं. ऐसे में शिव का ये स्‍वरूप बुराई के नाश करने और नृत्‍य के जरिए सकारात्‍मक ऊर्जा का संचार करने का संदेश देता है. ऐसे में यहां आने वाले सभी मेहमानों को ये प्रतिमा ब्रह्मांडीय ऊर्जा, रचनात्मकता और शक्ति का महत्वपूर्ण प्रतीक के तौर पर दिखेगी.

भारत मंडपम में योग कला भी प्रदर्शित की गई

नटराज और कोणार्क चक्र के अलावा योग मुद्रा की प्रतिमा भी लगाई गई थी. योग भारतीय सभ्यता की विश्व को देन है. कहा जाता है कि योग ने पूरी दुनिया को एकजुट करने का काम किया है. इतना ही नहीं इस दौरान हॉल में कश्मीर से कन्याकुमारी तक अलग कलाओं और प्रतीकों के चिन्हों को दर्शाया गया था.

DarshAd
Darsh-ad

Scan and join

Description of image