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KK पाठक ने शिक्षा विभाग में किया ऐतिहासिक काम, आम लोगों का खूब मिला समर्थन..

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PATNA- कड़क IAS अधिकारी माने जाने वाले केके पाठक का शिक्षा विभाग से विदाई हो गई है, नीतीश सरकार ने उन्हें अब राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के नए अपर मुख्य सचिव के रूप में जिम्मेदारी दी है. सरकार के इस फैसले से शिक्षक, शिक्षक संघ, राजभवन एवं कई जनप्रतिनिधि खुश नजर आ रहे हैं क्योंकि केके पाठक की कार्यशाली की वजह से कई लोगों को काफी परेशानी हो रही थी, और अलग-अलग मंचों से केके पाठक को हटाने को लेकर चौतरफा दबाव सीएम नीतीश कुमार पर था.

स्कूल की तस्वीर बदली

 करीब 2 साल के कार्यकाल में के के पाठक ने शिक्षा विभाग की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल कर रख दी. केके पाठक की कार्यशैली की जद में शिक्षक और कर्मचारियों के साथ ही अधिकारी, जनप्रतिनिधि और विभागीय मंत्री और राजभवन  तक भी आए. उन्होंने सरकारी स्कूलों की व्यवस्था को सुधारने के लिए एक के बाद एक कदम उठाए. सबसे पहले उन्होंने स्कूलों में शिक्षकों के लिए 11 लेट नहीं 3 बजे भेंट नहीं की संस्कृति को खत्म किया. शिक्षकों के लेट आने पर उनके वेतन कटौती के साथ ही संबंधित स्कूल के प्रधानाध्यापक, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी समेत अन्य संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाने लगी. इसका विरोध शिक्षक और शिक्षक संघ की तरफ से परोक्ष रूप से किया जाने लगा लेकिन सीएम नीतीश कुमार का आशीर्वाद होने की वजह से वे लगातार अपने ही कार्य शैली में आगे काम करते रहे. उन्होंने तत्कालीन शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर को साइड करके खुद फैसला लेने लगे. 

 स्कूलों का नियमित निरीक्षण

उन्होंने निरीक्षण के लिए अधिकारियों की टीम बनाई और खुद भी समय-समय पर स्कूलों का निरीक्षण करने की शुरुआत की जिसका सकारात्मक असर हुआ और इस कार्य की तारीफ आम लोगों ने  की.

 केके पाठक की सख़्ती से वैसे शिक्षक और शिक्षिका भी स्कूल आने लगे जो विभिन्न वजहों से फर्जीवाड़ा करके बाहर रहते थे और स्कूल में गलत तरीके से अटेंडेंस बनवाकर वेतन उठा रहे थे. निजी स्कूलों में पढ़ाई कर सरकारी स्कूल में सिर्फ योजनाओं का लाभ लेने के लिए नामांकन करने वाले छात्र-छात्राओं के खिलाफ भी कार्रवाई की और लाखों छात्राओं का नामांकन रद्द कर दिया.

 फर्जी छात्र-छात्राओं का नामांकन रद्द

 कुल मिलाकर के के पाठक ने स्कूलों की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए काफी प्रयास किया और इसका सकारात्मक असर भी हुआ. आम लोगों का  सरकारी स्कूल की व्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ा और कई निजी विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का नामांकन सरकारी विद्यालय में होने लगा. इस बीच बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा नियुक्त शिक्षक भी स्कूलों पढ़ाने लगे जिससे शिक्षकों की कमी दूर हुई और पठन-पाठन का स्तर भी बेहतर हुआ है. उनकी कार्यशैली से लापरवाह शिक्षकों को भले ही परेशानी हुई हो, पर बिहार के आम लोगों की माने तो केके पाठक के कार्य को काफी बेहतर माना है.

 उच्च शिक्षा को लेकर राजभवन से टकराव

केके पाठक को सबसे ज्यादा परेशानी उच्च शिक्षा को लेकर हुई जिसमें राजभवन और विश्वविद्यालय की तरफ से उन्हें किसी तरह का सहयोग नहीं मिला. उनकी कार्यशैली की वजह से राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच लगातार टकराव बढ़ता गया. स्कूल की टाइमिंग को लेकर उन्होंने कई परिवर्तन किया जिसका शिक्षक संघ ने विरोध किया. सीएम नीतीश कुमार ने भी विधानसभा में स्कूल की टाइमिंग को लेकर घोषणा की पर उसे भी  केके पाठक ने लागू नहीं किया.

 कई फैसले से सीएम नीतीश हुए नाराज

इसके बाद नीतीश कुमार के मन में भी के के पाठक के प्रति नाराजगी बढ़ने लगे. भीषण ठंड में जिलाधिकारी द्वारा छुट्टी किए जाने के बाद के के पाठक ने आपत्ति जताई थी. वहीं भीषण गर्मी की वजह से स्कूलों में छुट्टी नहीं दिए जाने से सीएम नीतीश कुमार नाराज हुए थे. इसलिए सीएम नीतीश कुमार ने खुद मुख्य सचिव को स्कूल में छुट्टी करने का आदेश दिया, और उसी समय मन बना लिया कि अब के के पाठक की शिक्षा विभाग से विदाई करनी है. मुख्य सचिव द्वारा स्कूलों में गर्मी की छुट्टी किए जाने के बाद केके पाठक 1 महीने की लंबी छुट्टी पर चले गए, 30 जून के बाद जब वे वापस आएंगे तब उन्हें शिक्षा विभाग के बजाय  राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का दायित्व संभालना होगा. अभी शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ एस सिद्धार्थ को दी गई है. एस. सिद्धार्थ ने के के पाठक के कई फैसले को बदल दिया है.

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