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निरीक्षी पदाधिकारियों को हो रही दिक्कत, शिकायत लेकर पहुंचे वरीय अधिकारी के पास

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बिहार के सरकारी स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां 15 अप्रैल से ही शुरु है. लेकिन, तमाम सरकारी स्कूलों में मिशन दक्ष को लेकर विशेष कक्षाएं चलाई जा रही है. इसके तहत भीषण गर्मी में भी जो भी छात्र या छात्रा पढ़ाई में कमजोर हैं, वे सभी स्कूल आ रहे हैं. तो वहीं, शिक्षकों को भी पढ़ाने के लिए स्कूल आना पड़ है. इसके अलावे बात करें पदाधिकारियों की तो, उन्हें भी शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की ओर से सख्त आदेश दिए गए हैं स्कूलों के निरीक्षण को लेकर. दरअसल, विभाग के स्तर से मिशन दक्ष को दौरान भी पदाधिकारी हर रोज स्कूलों में पहुंचकर निरीक्षण कर रहे हैं. बता करें निरीक्षण की टाइमिंग की तो, इसके लिए समय सुबह आठ बजे से दस बजे तक निर्धारित है.

दो घंटे में 10 स्कूलों का निरीक्षण

बता दें कि, इसी दो घंटे की अवधि में पदाधिकारियों को निरीक्षण करना होता है. इसके अलावे भी साफ तौर पर आदेश दिया गया है कि, हर निरीक्षी पदाधिकारी को रोज कम से कम दस स्कूल का निरीक्षण करना है. इतना ही नहीं, इस दौरान निरीक्षी पदाधिकारी दस स्कूलों का सिर्फ निरीक्षण ही नहीं करेंगे, बल्कि स्कूल, बच्चों और शिक्षकों की उपस्थिति का फोटोग्राफ को डीईओ समेत अन्य के वॉट्सऐप पर डालना भी है. विभाग की ओर से स्पष्ट आदेश है कि निरीक्षण के दौरान कोई भी शिक्षक स्कूल से नदारद मिले तो उनका उस दिन का वेतन काट दिया जायेगा. तो कुल मिलाकर देखा जाए तो, शिक्षक और बच्चे तो हर रोज स्कूल आ ही रहे हैं. लेकिन, इस दौरान पदाधिकारी भी हर रोज स्कूल पहुंच रहे हैं. 

पदाधिकारियों को हो रही दिक्कत

लेकिन, अब खबर है कि पदाधिकारियों को दिक्कत हो रही है. सिर्फ दो घंटे में 10 स्कूलों का निरीक्षण करना उनके लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है. बताया जा रहा है कि, खबर मिली है कि शाम में विभाग के साथ होने वाली ऑनलाइन मीटिंग में निरीक्षी पदाधिकारी अपनी इस समस्या से वरीय पदाधिकारी को अवगत करा रहे हैं. साफ तौर पर पदाधिकारियों का कहना है कि, दो घंटा में मात्र पांच से छह स्कूलों का ही निरीक्षण संभव है. इसके अलावे अपनी बात रखते हुए पदाधिकारी ने यह भी बताया कि, गाड़ी के आभाव में उन्हें पैदल ही निरीक्षण करना पड़ता है. साथ ही परेशानी यह भी है कि इंटरनेट कनेक्शन नहीं होने या डिस्टर्ब रहने के कारण नियत समय पर फोटो अपलोड करना भी असंभव हो जाता है. बता दें कि, पदाधिकारियों को स्कूल का निरीक्षण कर सीधे वापस लौटना नहीं है बल्कि इस दौरान उनको एक प्रपत्र में जानकारी भी लेनी है. 

निरीक्षण के अलावे ये सब भी करना होगा 

दरअसल, प्रपत्र में कुल 14 बिंदु हैं. निरीक्षी पदाधिकारी को सभी 14 बिंदुओं पर प्रधान शिक्षक से पूछना है और भरकर विभाग को समर्पित करना है. निरीक्षण करने वाले पदाधिकारी को स्कूल का नाम, शिक्षकों की संख्या, निरीक्षण का समय, पदस्थापित शिक्षकों की संख्या, बिना सूचना के स्कूल से नदारद शिक्षकों की संख्या, वार्षिक परीक्षा 2024 में कक्षा पांच से आठ के अनुतीर्ण और नदारद बच्चों की संख्या, मिशन दक्ष के तहत चिन्हित बच्चों की संख्या और उपस्थित बच्चों की संख्या आदि का उल्लेख प्रपत्र में करना है. साथ ही यह भी जानकारी लेनी है कि एमडीएम चालू है या नहीं. पेयजल की कोई सुविधा है या नहीं. अगर नही है, तो कारण क्या है. स्कूल में हाउसकीपिंग की व्यवस्था है या नहीं और नहीं है तो क्यों नहीं है. शौचालय की व्यवस्था है या नहीं. शौचालय की साफ सफाई की क्या स्थिति है. रात्रि प्रहरी उपलब्ध है अथवा नहीं. अगर नहीं है, तो क्या कारण है. आईसीटी लैब के बारे में भी प्रपत्र में जिक्र करना है. तो कुल मिलाकर देखा जाए तो, कहीं ना कहीं पदाधिकारियों को काफी परेशानी हो रही है. हालांकि, मीटिंग के जरिये शिकायत की गई है. देखना होगा कि, विभाग के द्वारा क्या एक्शन लिए जाते हैं.

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