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दारोगा की बिटिया बनी अफसर, पहले ही प्रयास में क्रैक किया BPSC एग्जाम

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बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने 67वीं परीक्षा का फाइनल रिजल्ट जारी कर दिया है. एक बार फिर से बिहार की बेटियों ने कमाल कर दिखाया है. बिहार के मुंगेर जिले की रिया कुमारी ने बीपीएससी में 108वां रैंक हासिल किया है. रिया का चयन श्रम संसाधन विभाग में श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी के पद पर किया गया है. जिसके बाद से रिया के परिजनों के बीच खुशी का माहौल कायम है. साथ ही साथ पूरे गांव में खुशी का माहौल है. इसमें खास बात यह भी है कि, रिया ने अपने पहले ही प्रयास में यह बड़ी सफलता हासिल की है. साथ ही वह बिहार के एक दारोगा की बेटी है.  

CBSE में लाया था 98 प्रतिशत मार्क्स 

बता दें कि, रिया कुमारी मुंगेर जिले के सदर प्रखंड की तारापुर दियारा पंचायत स्थित महेशपुर गांव निवासी व बिहार पुलिस में सब इंस्पेक्टर छवि शंकर सिंह की बेटी है. रिया के दादा स्व. ब्रह्मदेव नारायण सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे. अपने माता-पिता की दो बेटियों में रिया बड़ी है. रिया की प्रारंभिक शिक्षा डीएवी पब्लिक स्कूल पूरबसराय मुंगेर से हुई है. वह बचपन से ही पढ़ने में मेधावी थी. सीबीएससी की दसवीं की परीक्षा में उसे 98 प्रतिशत अंक प्राप्त हुआ था. उसने इंटर की पढ़ाई जननायक कर्पूरी कॉलेज हवेली खड़गपुर से पूरी की. इसके पश्चात स्नातक की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय के पटना कॉलेज से की और इतिहास से ऑनर्स किया. उसने पटना और दिल्ली में रहकर बीपीएससी की तैयारी की और पहले ही प्रयास में उसे सफलता प्राप्त हुई. रिया की सफलता पर  ग्रामीण सहित अन्य लोग रिया और उसके माता-पिता को बधाई दे रहे हैं.

रिया ने बताई सफलता की कुंजी 

रिया ने बताया कि, उसके घर में शुरू से अधिकारी का माहौल था जिसके कारण बचपन से अधिकारी बनने के ललक थी इसको लेकर उन्होंने तैयारी की और आज पहली प्रयास से सफल हो गई. रिया कुमारी ने यह भी कहा कि, हमें घर से पूरा सपोर्ट मिलाता रहा. हमारी दादी स्व. वेजेन्ति देवी ने बचपन से हमें खूब मानती थी. जब हम स्कूल डीएवी जाते थे तो घर से सड़क तक रिक्शा की व्यवस्था करती थी. तब एनएच 80 पर बस पर सवार होकर स्कूल जाती थी. हमारे दादा स्व. ब्रह्मदेव नारायण सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे. दादा जी के गुजरने के बाद दादी जी को सम्मानित किया जाता था. 26 जनवरी और 15 अगस्त को मुंगेर के पोलो मैदान में झंडोत्तोलन में दादी मुझे ले जाती थी और वहां ऑफिसरों को देख कर मुझे प्रेणना मिली. जिसके बाद मैं पढ़ाई पर ध्यान देने लगी. दादी मुझे बचपन से ही न्यूज़ पेपर पढ़ाती थी, उससे भी मुझे पढ़ने की चाह जगी और मां-पापा का सपोर्ट मुझे मिला. मैंने ठान लिया था कि एक ना एक दिन मुझे ऑफिसर बनना है और आज मैंने यह सफलता पहली बार में हासिल कर ली.

रिया के परिवार में सभी हैं अफसर 

वहीं, रिया की बुआ शरत सिंह ने कहा कि, हमारे परिवार में सभी लोग ऑफिसर हैं. मेरे एक भाई डीएसपी हैं तो दूसरे भाई एएसआई. मेरे भाई छवि सिंह की दो बेटी ही है. एक रिया जो जिसने बीपीएससी क्रैक किया और दूसरी बेटी लॉ कर रही है. आज के जमाने में बेटा-बेटी में कोई फर्क नहीं रखना चाहिए. जैसे बेटा है वैसे बेटी को भी उसी नजर से लोगों को देखना चाहिए. बेटी आज के समय में बेटा से ज्यादा नाम रौशन कर रही है. हम समाज से कहते हैं कि, आप भी अपनी बेटी को खूब पढ़ाइये, जो आगे जाकर नाम रौशन करे.

रिया के पिता बिहार पुलिस में हैं दारोगा 

वहीं, रिया के पिता छवि सिंह जी पेशे से बिहार पुलिस में एएसआई हैं और औरंगाबाद जिले में कार्यरत हैं. वे कहते हैं कि, हमें दो बेटी ही है और हमने बीटा और बेटी में कोई फर्क नहीं समझा. हमने बेटी को शुरू से ही पढ़ाई पर जोर दिया और बेटी भी मेरी मेरे साथ खड़ा उतरी जो आज यह सफलता हासिल कर परिवार और जिले का नाम रौशन की है. इस सफलता की बधाई हमारे परिवार के लोग तो दे ही रहे है लेकिन पूरे गांव और जिले भर से भी बधाई मिल रही है. आज मैं बहुत खुश हूं. मुझे गर्व है कि, मेरी बेटी नहीं मुझे दो बेटा है. मेरी छोटी बेटी भी पंजाब से लॉ कर रही है. वह भी एक दिन बड़ी सफलता हासिल कर मेरा नाम रौशन करेगी. मैं समाज को सन्देश देता हूं कि, आप भी बेटा-बेटी में फर्क ना करें. बेटी को खूब पढ़ाई करवा कर उसे एक काबिल ऑफिसर बना दें ताकि आने वाले दिनों में उसे भी अपने परिवार पर गर्व महसूस हो.

मुंगेर से मनीष कुमार की रिपोर्ट 

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