बिहार के फरार आईपीएस (IPS) अफसर आदित्य कुमार ने जमानत याचिका खारिज होने के बाद मंगलवार को पटना कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. आदित्य पर इल्जाम है कि उन्होंने कथित तौर पर आधिकारिक कार्यवाही को प्रभावित करने के लिए पटना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश का फर्जी व्हाट्सएप प्रोफ़ाइल बनाया था. उनकी अग्रिम जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी.
पहले आईपीएस अधिकारी आदित्य ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सारिका के समक्ष जमानत याचिका लगाई थी. याचिका खारिज कर दी गई थी. जिसके बाद फरार आरोपी आईपीएस अधिकारी ने आत्मसमर्पण कर दिया.
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, अनिरुद्ध बोस और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने कहा कि आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार और दो अन्य न्यायिक अधिकारियों से जुड़े बड़े मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. इसके बाद आदित्य को दो सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया गया था. उस आदेश में कहा गया, "इस अदालत की राय है कि याचिकाकर्ता कथित अपराधों की गंभीरता और स्पष्ट असहयोग के कारण अग्रिम जमानत के लाभ का हकदार नहीं है."
इस मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी. जिसके लिए शीर्ष अदालत ने बिहार पुलिस के आर्थिक कार्यालय विंग को आपराधिक मामले की पूरी केस डायरी सीलबंद कवर में जमा करने का आदेश दिया है.
गौरतलब है कि अधीक्षक रैंक के पुलिस अधिकारी आदित्य ने कथित तौर पर एक फर्जी व्हाट्सएप अकाउंट बनाकर बिहार के तत्कालीन डीजीपी एसके सिंघल को धोखा दिया था. जिसमें प्रोफ़ाइल तस्वीर के रूप में पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की तस्वीर थी, जो वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश हैं.
आरोप है कि सह-अभियुक्त ने आदित्य के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही रद्द कराने के लिए खुद को पटना उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बताकर तत्कालीन बिहार डीजीपी को फोन किया था.