अरबों की संपत्ति के मालिक जेडीयू एमएलसी राधाचरण सेठ वैसे तो आठवीं तक की पढ़ाई किए हैं, मगर अब उनके अंडर में चार्टर अकाउंटेंट से लेकर एमबीए पास लोग काम करते हैं. उनके पैसों का हिसाब-किताब रखते हैं. जवानी के दिनों में आरा रेलवे स्टेशन के पास जलेबी की पुश्तैनी दुकान पर जलेबी बेचा करते थे. बिहार की बालू नीति ने राधाचरण सेठ की किस्मत बदल दी. बालू से उन्होंने ऐसा नोट छापा कि इसकी धमक प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग तक पहुंच गई. तीन-चार बार की छापेमारी और घंटों की पूछताछ के बाद फाइनली राधाचरण सेठ को बुधवार देर शाम गिरफ्तार कर लिया गया. बताया जा रहा है कि उन्होंने 200 करोड़ रुपए से अधिक की टैक्स चोरी की है.
आरा-बक्सर निकाय क्षेत्र से निर्वाचित विधान पार्षद सह जदयू के प्रदेश महासचिव राधा चरण साह उर्फ सेठ जी भोजपुर जिला के बड़हरा प्रखंड के रहने वाले हैं, जिन्हें बुधवार की शाम को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिनभर जांच करने के बाद शाम में गिरफ्तार कर लिया. बुधवार को उनके स्वास्थ्य की जांच कराकर उन्हें पटना लाया गया. और आज राधा चरण सेठ को ईडी के अधिकारी पटना के ईडी कार्यालय से एमपी एमएलए कोर्ट लेकर गई है.
इससे पहले बुधवार अहले सुबह ईडी की टीम ने राधाचरण सेठ के पटना के दो और आरा के चार ठिकानों पर दबिश दी. स्थानीय पुलिस, सीआरपीएफ के जवानों के साथ ईडी की चार टीम ने छापेमारी की. पटना स्थित उनके सरकारी और पटेल नगर स्थित निजी आवास के साथ-साथ आरा के बाबू बाजार स्थित आवास, रेलवे स्टेशन के पास अनाइठ बिहारी मिल फार्म हाउस, होटल और दूसरे जगहों पर छापेमारी की गई. इसकी जानकारी जैसे ही उनको समर्थकों और जानने वालों को लगी काफी संख्या में लोग उनके आवास पर पहुंच गए. मगर ईडी की टीम ने मेन गेट को बंद कर दिया. दिनभर टीम आवास के अंदर कागजात को खंगालती रही. देर शाम राधाचरण सेठ को अपने साथ लेकर चली गई.
सूत्रों का कहना है कि राधाचरण सेठ के ठिकानों से हिसाब-किताब के कागजात, प्रॉपर्टी के कागज और कारोबार से जुड़े कई दस्तावेज जब्त किए गए. उनके खिलाफ अवैध बालू के कारोबार से अरबों की संपत्ति जमा करने का आरोप है. जिससे उन्होंने बिहार के विभिन्न जिलों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, मुंबई, बेंगलुरु, हरिद्वार और झारखंड सहित कई जगहों पर प्रॉपर्टी खरीदी. जिसको लेकर लगातार जांच चल रही है. छापेमारी में उनके आवास से जब्त कागजातों में कई ऐसी डायरी मिली है, जिसमें कोडवर्ड में लिखा गया है. इसमें शब्दों के साथ अंकों का इस्तेमाल किया गया है. हिसाब-किताब भी कोडवर्ड में है. ईडी इसे डीकोड करने में जुटी है.
ED ने पिछले दिनों राधाचरण सेठ और उनके बेटे कन्हैया से लंबी पूछताछ की थी. राधाचरण सेठ से 30-31 अगस्त को दो दिनों तक लगभग 13 घंटे पूछताछ की थी. उनके बेटे कन्हैया कुमार से एक सितंबर को पूछताछ की गई थी. जिसमें बालू के अवैध कारोबार, दूसरे प्रदेश में बालू कारोबारियों से रिश्ते, बालू के अवैध कारोबार में सहयोगियों से पैसे बंटवारा के तरीके, अवैध कमाई से खरीदी गई प्रॉपर्टी सहित अन्य सवाल पूछ गए थे.
आपको बता दें कि राधा चरण सेठ के खिलाफ आठ महीने के दौरान तीसरी बड़ी कार्रवाई केंद्रीय एजेंसियों की ओर से किया गया. फरवरी में आयकर विभाग की टीम ने उनके आवास पर छापेमारी की थी. वहीं, 6 जून को ईडी ने पटना, धनबाद, हजारीबाग और कोलकाता में एक साथ 27 जगहों पर छापेमारी की थी. जिसमें डेढ़ करोड़ कैश, 11 करोड़ की संपत्ति के दस्तावेज जब्त किए गए थे. इसके साथ ही बैंक में जमा छह करोड़ और 60 बैंक खातों को भी फ्रीज कर दिया गया है. ब्रॉडसन और आदित्य मल्टिकम नाम की दो कंपनियों और इससे जुड़े लोगों के ठिकाने पर बिहार, झारखंड और ओडिशा में ईडी ने छापेमारी की.
आइए जानते हैं कि कैसे राधाचरण सेठ ने इतनी ऊंचाई हासिल की है.
1971 में आरा रेलवे स्टेशन के बाहर राधाचरण सेठ के पिता की जलेबी की दुकान थी, जहां राधा चरण साह अपने पिता का हाथ बंटाते थे. इसके बाद उन्होंने होटल खोला और फिर धीरे धीरे काफी पैसा कमाया. आज के समय में वह दुकान, राइस मिल, कोल्ड स्टोर के अलावे कई रिसॉर्ट के मालिक हैं. आरा में रमना मैदान शहीद भवन स्थित होटल, बाइपास रोड स्थित रिजॉर्ट के अलावा उत्तराखंड और हिमाचल में भी उनका होटल का व्यवसाय है.
किस्मत के भी हैं धनी
राधा चरण सेठ के संबंध में भोजपुर जिला के लोग कहते हैं कि किस्मत हो तो राधा चरण जैसा. मिठाई की दुकान चलाते-चलाते राधा चरण सेठ होटल के मालिक बन गए. वह यहीं नहीं रुके. इसके बाद वह जमीन और रियल एस्टेट का कारोबार करने लगे जिसमें उन्हें काफी मुनाफ़ा हुआ. जमीन और रियल एस्टेट के बाद उन्होंने अपनी किस्मत आजमाने के लिए बालू के धंधे में भी हाथ डाला, जहां किस्मत ने वहां भी उनका पूरा साथ दिया। अब उन्होंने बालू के ठेके का आवंटन करना शुरू कर दिया जहां किस्मत ने उनको अगाध संपत्ति का मालिक बना दिया. बालू की ठेकेदारी करते-करते राधा चरण साह की गिनती अब शहर के ख़ास रईसों में की जाने लगी.
मीठे बोल के सामने फीके पड़े बालू के बाहुबली
स्थानीय लोगों का कहना है कि रियल एस्टेट और बालू के कारोबार में बाहुबलियों का ही दबदबा होता है लेकिन राधा चरण सेठ ने इस परिपाटी को गलत साबित कर दिया था. वो सिर्फ अपनी मीठी बोली की वजह से बाहुबलियों पर भी हावी रहे और इसी का परिणाम था कि बालू के कारोबार में भी वह सबसे आगे रहे. भोजपुर का सोन नदी बालू के लिए मशहूर है. राधा चरण साह अपने व्यवहार और अगाध रुपयों की वजह से बालू सिंडिकेट से जुड़े. बालू के व्यवसाय में प्रवेश करते ही बालू के बड़े सिंडिकेट में उन्होंने अपनी जगह बना ली. फिर उन्होंने भोजपुर के कोईलवर, बिहटा के परेव पटना, औरंगाबाद और गया के बड़े बड़े बालू माफियाओं के साथ बेहतर संबंध बनाये.
मीठे बोल ने राधा चरण को बनाया "सेठ जी"
स्थानीय लोगों का कहना है कि राधा चरण में एक बहुत अच्छी बात है कि वह कभी गुस्से में या किसी के साथ गलत व्यवहार नहीं करते थे. राधा चरण के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि वह हमेशा लोगों से बहुत प्रेम से बात करते थे चाहे मामला कितना ही गंभीर हो वह कभी क्रोधित नहीं होते थे. यही वजह है कि उनके इसी मिलनसार व्यवहार की वजह से लोग उन्हें प्रेम भाव से "सेठ जी" कहने लगे.
यहां से शुरू हुआ राजनैतिक सफ़र
2010 के आसपास उनके लालू प्रसाद यादव से बहुत अच्छे संबंध थे. इनका लालू परिवार में आना जाना लगा रहता था. इसी वजह से राधा चरण साह ने 2015 में लालू प्रसाद यादव ने उन्हें राजद का टिकट देकर आरा-बक्सर सीट से एमएलसी का चुनाव लड़वाया जहां इनकी किस्मत ने एक बार फिर इनका साथ दिया और इन्होंने भोजपुर-रोहतास के बाहुबली विधायक सुनील पाण्डेय के भाई और राजग गठबंधन के प्रत्याशी हुलास पाण्डेय को 329 वोट से पटखनी देकर पहली बार राजनीति का स्वाद चखा. हालांकि बाद में इन्होंने पार्टी बदल लिया और अब वह जदयू के हो गये. फिर 2022 में वह जदयू समर्थित एनडीए के उम्मीदवार बने और उन्होंने राजद समर्थित उम्मीदवार अनिल सम्राट को हराकर दूसरी बार विधान परिषद पहुंचे. अब सेठ जी का कद भोजपुर के प्रतिष्ठित नेताओं में शुमार हो गया था.
पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह से थे अच्छे संबंध
राधा चरण साह राजनीति में उतरने के बाद अपने संबंध बढाने लगे और देखते ही देखते इनका बड़े कद वाले नेताओं के साथ बहुत अच्छे संबंध बन गये थे. यही वजह है कि पहली बार एमएलसी बनने के बाद वह राजद के वरीय नेता और पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के काफी नजदीकी हो गये. प्रभुनाथ सिंह और उनके बेटे के चुनाव में उनको बुलाते थे जहां जाकर राधाचरण सेठ अपने समाज का वोट ट्रांसफर करवाते थे.
बड़े बड़े नेताओं का है उनके घर पर आना जाना
राधाचरण सेठ भोजपुर के बड़े व्यवसायी के साथ साथ बड़े नेता के रूप में जाने जाते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि पांच फरवरी को राधा चरण सेठ के बड़े बेटे कन्हैया साह की शादी की 25वीं वर्षगांठ मनाई गई थी. बाईपास स्थित रिजॉर्ट में इसका आयोजन किया गया था, जिसमें राजनीतिक दलों के बड़े बड़े नेताओं से लेकर बड़े बड़े व्यापारी शामिल हुए थे.
गिरफ्तारी से पहले क्या कहा सेठ जी ने
गिरफ्तारी से पहले राधाचरण सेठ कहते रहे हैं कि मैं मेहनत और ईमानदारी के बल पर यहां तक पहुंचा हूं. स्टेट बैंक, ग्रामीण बैंक, पीएनबी बैंक से हमने लोन लिया है. हमको नहीं समझ में आ रहा कि हमने कहां गड़बड़ी की है. फिलहाल आरा-बक्सर निकाय क्षेत्र से निर्वाचित विधान पार्षद सह जदयू के प्रदेश महासचिव राधा चरण साह उर्फ सेठ जी ईडी की गिरफ्त में हैं.