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यदुवंशी मिलन समारोह के जवाब में JDU करेगा 'भीम संसद' का आयोजन, क्या दलितों के मुद्दे पर गरमाएगी बिहार की सियासत

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बिहार में पहली बार दलित और महादलित समुदाय को लेकर जदयू भीम संसद आयोजन करने जा रही है. रविवार को पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में हो रहे इस कार्यक्रम में करीब दो लाख लोगों के जुटने का दावा जदयू की ओर से किया गया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भीम संसद के उद्घाटनकर्ता होंगे. मुख्य अतिथि के रूप में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह होंगे. बिहार में सियासी समीकरण बदलने के बाद अब जदयू और भाजपा आमने-सामने है. बिहार सरकार लगातार केंद्र पर हमलावर रही है. हाल ही में बिहार में जातीय सर्वे कराया गया और उसके आंकड़े सामने आने के बाद आरक्षण का दायरा भी बढ़ा दिया गया है. नीतीश सरकार भाजपा को आरक्षण विरोधी बताती रही है. संविधान से छेड़छाड़ करने का आरोप भी लगातार लगाया गया है. भीम संसद के आयोजन की वजह भी नीतीश सरकार के कद्दावर नेता सह मंत्री ने बताया है.

भीम संसद के आयोजन की वजह

बिहार सरकार में भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा है कि बिहार में पहली बार इस तरह का दलित और महादलित समुदाय को लेकर एक संसद लगायी जा रही है. इसमें हमारा समाज पिछड़ा क्यों रह गया? इसे आगे कैसे बढ़ाया जाए? इस पर चर्चा की जायेगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाज के अंतिम तबके के लोगों के उत्थान के लिए चिंतित रहते हैं. उनके आदेश पर भीम संसद का आयोजन पटना के वेटनरी मैदान में 26 नवंबर को किया जा रहा है. मंत्री अशोक चौधरी जनसंपर्क अभियान में यह सबकुछ बोल रहे थे.

सीएम नीतीश कुमार करेंगे उद्घाटन

मंत्री अशोक चौधरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भीम संसद के उद्घाटनकर्ता होंगे. मुख्य अतिथि के रूप में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह होंगे. इस दौरान जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर तबके के नेता हैं. वह किसी जाति और धर्म में बंधे हुए नेता नहीं हैं. जदयू के प्रदेश महासचिव ओम प्रकाश सिंह सेतु ने कहा कि इस तरह का आयोजन देश में पहली बार हो रहा है.

दलितों का मुद्दा रहेगा हावी?

गौरतलब है कि बिहार में जातीय सर्वे के आंकड़े सामने आने के बाद बिहार की सरकारी नौकरियों और दाखिलों में आरक्षण का दायरा 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है. सत्ताधारी दल लगातार भाजपा को आरक्षण विरोधी बताती रही है. वहीं संविधान से छेड़ छाड‍़ करने की कोशिश का भी आरोप बीजेपी पर लगाकर हमले किए जाते रहे हैं. सियासी मामलों के जानकार बताते हैं कि भीम संसद के जरिए जदयू सियासी निशाना भी साधने की कोशिश करेगी. इधर मंत्री अशोक चौधरी ने भीम संसद के लिए लोगों को आमंत्रित करने के लिए पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र के कई इलाकों का दौरा किया. मंत्री अशोक चौधरी ने लोगों से कहा कि सांप्रदायिक शक्तियां देश को अस्थिर करने में लगी हैं. बाबा साहब भीमराव आंबेडकर का संविधान खतरे में है. हम सबके नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दलितों के उत्थान के लिए बहुत काम किया है. इसलिए हम सभी मुख्यमंत्री के नेतृत्व को और ताकत दें.

आरक्षण का दायरा बढ़ने के बाद इस रैली को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि जदयू बिहार के करीब 22% दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है. जदयू इस समारोह के जरिए दलितों को अपने पाले में करने की कोशिश में जुटी है.

वहीं, बीजेपी ने भीम संसद के बहाने दलितों गुमराह करने का आरोप लगाया है. जदयू के भीम संसद कार्यक्रम को बिहार बीजेपी के बड़े दलित नेता और मुख्य प्रवक्ता जनक राम ने केवल राजनीति करार दिया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बिहार की 13 करोड़ जनता को शर्मसार करते हुए भीम संसद के नाम पर दलितों, शोषितों, वंचितों को शर्मसार करने का प्रयास किया जा रहा है. बिहार के दलित इनके झांसे में आने वाले नहीं हैं.

जनक राम ने कहा कि अब तो मुख्यमंत्री युपीए के पार्ट बन चुके हैं. यूपीए के शासन काल में कभी बाबा साहब तो कभी जगजीवन राम को अपमानित किया जाता रहा है. इतना ही नहीं बड़े भाई के 15 साल के शासन काल में बड़े-बड़े दलितों को बिहार में नरसंहार कर दिया गया. जनक राम ने कहा कि बाबा साहब के नाम पर भीम संसद करा कर दलितों को गुमराह करने के सिवा कुछ नहीं है.

वहीं, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेकुलर) हम पार्टी ने कहा कि महादलित और वयोवृद्ध बिहार पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की तरह दलितों को भीम संसद में बुलाकर फिर से जदयू महादलित समाज को अपमानित करेगी. हम के गोपालगंज जिलाध्यक्ष पंकज सिंह राणा ने कहा कि भीम संसद में सिर्फ जदयू के कार्यकर्ता ही शामिल होंगे, किसी भी जिले से दलित परिवार शामिल नहीं होने जा रहा है.

बताते चलें कि बिहार भाजपा ने हाल के दिनों में सहजानंद सरस्वती की जयंती, यदुवंशी समाज मिलन समारोह कर विभिन्न जाति, समाज के वोट बैंकों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की. इस बीच, जदयू भी अब ‘भीम संसद’ का आयोजन कर रही है. कहा जा रहा है कि भाजपा की जाति आधारित आयोजनों के जवाब में जदयू ‘भीम संसद’ का आयोजन कर रही है. पटना में आयोजित भीम संसद को लेकर जदयू ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है. ‘भीम संसद’ 26 नवंबर को पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में आयोजित की जाएगी.

जदयू के भीम संसद के नाम पर शुरू हुई राजनीति से किसको फायदा होगा ये तो आने वाला लोकसभा चुनाव तय करेगा, लेकिन एक बात तो तय है कि बिहार में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट आने के बाद तमाम पार्टियां दलित समाज को अपने पाले में करने की कोशिश में जुट गई हैं.

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