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जहानाबाद का चंदन केसरी बना श्रवण कुमार..

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Jahanabad -सावन के माह में लाखों कांवरिया सैकड़ो किलोमीटर पैदल चलकर विभिन्न शिव मंदिरों में जल अर्पित कर रहे हैं. विभिन्न शिव मंदिरों में पूजा अर्चना के साथ ही जल अर्पण कर रहे हैं. आज के दौर में  लोग अपने बूढ़े माता पिता को बोझ समझते है और उनका सम्मान तक नहीं करते वहीं आज भी कुछ लोग अपने माता पिता के लिए श्रवण कुमार बन कर सेवा करने में जुटे हैं.

दरअसल हमारी संस्कृति में श्रवण कुमार का जिक्र आता है। ठीक उसी श्रवण कुमार के पदचिन्हों पर चलने की कोशिश कर रहा है जहानाबाद का एक युवक चंदन कुमार केसरी, जो अपने माता पिता को बहेंगी में बिठा कर सैंकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा कर बाबा धाम पहुंच कर जल अर्पण करता है।दरअसल चंदन केसरी अपने माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर तीर्थ कराने का संकल्प लेकर देवघर जा रहे है। कांवड़ के आगे की ओर से चंदन तो पीछे की ओर से उनकी पत्नी रानी कुमारी ने थामा हुआ है। देवघर जाने को लेकर आज के श्रवण कुमार को देखने वालों की भीड़ जमा हो गई। माता-पिता को बाबा नगरी देवघर ले जा रहे चंदन कुमार ने कहा कि उनके मन में ख्याल आया कि क्यों नहीं हम अपने पिता जगरनाथ प्रसाद और माता मीना देवी को तीर्थाटन करवाएं। वे अपनी पत्नी और अपने तीन बच्चों के साथ मिलकर अपने माता-पिता को अपने कांवर में बैठाकर देवघर जा रहे हैं। चंदन ने बताया कि वह पिछले साल से अपने माता पिता को इसी तरह कांवर में बैठाकर बाबा नगरी देवघर तीर्थ यात्रा पर निकले थे जो आठ दिनों में 108 किलोमीटर की दूर तय कर बाबा भोलेनाथ पर जलाभिषेक करा देते है। 

चंदन ने बताया कि कांवड़ में बैठाकर कंधे पर उठाकर चलने का माता-पिता ने पहले विरोध किया था। उन्होंने कहा कि हम लोग काफी वजनदार हैं, तुम कैसे अपने कंधे पर दोनों को इतनी दूर यात्रा तय करोगे। हालांकि,बेटे चंदन एवं गांव वालों ने उन्हें समझाया और आखिरकार अपने माता-पिता को मनाकर देवघर को रवाना हो गए। आगे चंदन कुमार ने कहा कि माता-पिता की सेवा से बड़ा ना ही कोई धर्म है और ना ही पूजा। वहीं उसके माता-पिता बेहद खुश है और उनका कहना है कि ऐसा श्रवण सबके घरों के पैदा हो,बाबा भोलेनाथ सभी को मेरे जैसा पुत्र दे। वही इस तीर्थ यात्रा में उनके एक भाई और उनकी पत्नी समेत 7 लोग देवघर जा रहे है जो कभी कभार रास्ते मे उनका साथ देते है। 

 जहानाबाद से पवन की रिपोर्ट

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