मोरहाबादी मैदान में सहायक पुलिस के जवानों का आंदोलन शुरू हो गया. बारिश होने की वजह से कई जिले से आए सहायक पुलिसकर्मी अपने रहने के लिए टेंट बना रहे हैं। गौरतलब है कि इससे पहले दो दिनों तक सहायक पुलिसकर्मियों ने काला बिल्ला लगा कर विरोध किया, इसके बाद एक जुलाई को जिला के सहायक पुलिस कर्मी सामूहिक अवकाश पर रहे। फिर मंगलवार (दो जुलाई) से आंदोलन की शुरु कर दिया है. महिला-पुरुष सहायक पुलिसकर्मियों ने पेड़ के नीचे और टाइम्स स्क्वायर के नीचे समय गुजारा. फिर रात में बारिश से बचने के लिए टेंट बनाने का काम शुरू किया है।
बता दें कि साल 2017 में झारखंड के नक्सल प्रभावित 12 जिलों में सहायक पुलिस के जवानों की संविदा के आधार पर नियुक्ति हुई थी. पूरे राज्य में 2500 के करीब जवानों की नियुक्ति की गई थी। सहायक पुलिस के जवानों का अनुबंध प्रत्येक वर्ष बढ़ाया जाता है, संबंधित रेंज के डीआईजी सहायक पुलिस के जवानों के कार्यों की समीक्षा करने के बाद अनुबंध को बढ़ाते हैं। सहायक पुलिस के जवान पिछले कई सालों से आंदोलन कर रहे हैं।
मोरहाबादी मैदान में आंदोलन के लिए जुटे सहायक पुलिसकर्मी ने बताया कि वो लोग पिछले सात वर्षों से 10 हजार रुपए के मासिक मानदेय पर नौकरी कर रहे हैं।
10 हजार रुपये में परिवार का पालन पोषण करना बेहद ही मुश्किल है। झारखंड में पुलिस जवानों की कमी है, उनकी मांग है कि उनकी सेवा को पुलिस सेवा में समायोजित किया जाए, उन्होंने बताया कि सेवा को परमानेंट करने की मांग को लेकर आंदोलन की शुरुआत कर रहे हैं, कहा कि अनुबंध के खत्म हो जाने के बाद उनके पास कुछ करने को नहीं बचेगा। पूर्व की सरकार ने आश्वासन दिया था कि तीन साल तक की ड्यूटी के बाद उन्हें परमानेंट कर दिया जाएगा। लेकिन इस संबंध में सरकार ने कोई प्रक्रिया नहीं शुरू की है इसलिए उनका आंदोलन जारी है।