झारखंड में लंबे समय से आंदोलनरत रहे सहायक पुलिसकर्मी सोमवार 22 जुलाई को रांची के सर्किट हाउस में सत्तारूढ़ गठबंधन के छह विधायकों संग इनकी छह घंटे की लंबी बैठक में विभिन्न बिंदुओं पर सहमति बन गई थी। सहायक पुलिसकर्मियों ने सोमवार को अपना आंदोलन समाप्त करने को भी कहा था। लेकिन रात भर में ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने उस वार्ता को पुनर्विचार के लिए कहा।
दरअसल सहायक पुलिस कर्मियों की मुख्य मांगे थी सहायक पुलिसकर्मी को झारखंड पुलिसकर्मी में समायोजन करना। जिस पर सरकार ने कहा समायोजन नियम अनुसार मुमकिन नहीं है इसीलिए आरक्षण के माध्यम से रास्ता खोला जाएगा और वनरक्षी सिपाही और होमगार्ड में 10 फ़ीसदी आरक्षण के साथ 10 वर्ष की उम्र सीमा में छूट दी जाएगी। वेतन में 30 फ़ीसदी की वृद्धि की बात कमेटी ने स्वीकारी है तो वही मेडिक्लेम में 50000 की जगह ₹1 लाख के प्रावधान किया गया था। वहीं मृतकों के आश्रितों को 2 लाख की जगह अब चार लाख रुपये मुआवजा देने पर सहमति बनी है। साथ ही 1 साल का सेवा विस्तार किया जा रहा है।
इस पर मुख्य रूप से समायोजन और वेतन वृद्धि को लेकर सहायक पुलिस कर्मियों में असहमति दिखी। हालांकि कल भी सहायक पुलिसकर्मी का दर्द उसे वक्त छलकता जब मीडिया को अपनी बाते बता रहे थे। वह हाथ जोड़कर सरकार से विनती करते दिखे कि इस बार उम्मीद करते हैं कि उनके साथ गलत नहीं होगा। चुकी पिछले 2020 और 2021 में भी कुछ ऐसा ही घटना हुआ था। इसी को लेकर उन्होंने वार्ता पर पुनर्विचार करने को कहा। जब तक पुनर्विचार नहीं होगा तब तक सहायक पुलिस अपनी आंदोलन को शांतिपूर्वक जारी रखेंगे।