राजेश ठाकुर ने कहा कि बीजेपी पहले धंधा देती है और फिर उद्योगपतियों से चंदा वसूलती है. उन्होंने कहा कि चुनावी बॉन्ड मामले की गहन जांच की जरूरत है. चुनावी बॉन्ड विवरण के खुलासे को लेकर अस्पष्टता पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी को इस माध्यम से बड़ा लाभ हुआ है. उन्होंने कहा, ”भाजपा ने इन विवरणों को छुपाने की कोशिश की जो कि संदेह पैदा करता है.
ठाकुर ने कहा, 15 फरवरी 2024 को इलेक्टोरल बांड को असंवैधानिक घोषित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से मोदी सरकार एसबीआई के माध्यम से जुड़ी जानकारी को रोकने का प्रयास करने लगी. उन्होंने कहा जैसे-जैसे इलेक्टोरल बांड डेटा का विश्लेषण आगे बढ़ेगा, भाजपा के भ्रष्टाचार के कई मामले स्पष्ट सामने आएंगे. हम यूनिक (विशिष्ट) बॉन्ड आईडी नंबरों की भी मांग करते रहेंगे, ताकि हम दाताओं का प्राप्तकर्ताओं से सटीक मिलान कर सकें.
राजेश ठाकुर ने कहा पीएम का इलेक्टोरल बॉन्ड के रुप में एक घोटाला सामने आया, भाजपा इसे वसूली का जरिया बना लिया था. इस कार्य में वह केंद्रीय एजेंसियों का भी उपयोग कर रही है. ईडी, सीबीआई की कार्रवाई इसलिए कंपनियों पर की जा रही थी, ताकि उन्हें ज्यादा चंदा मिल सके.
राजेश ठाकुर ने कहा कि तमाम परंपराओं को दरकिनार करते हुए चुनाव आयोग ने आनन-फानन में आचार-संहिता लागू करने की घोषणा इसलिए कर दी कि भाजपा के इलेक्ट्रोल बॉन्ड पर भ्रष्टाचार को लेकर जन आंदोलन न हो, ना ही मीडिया में इस पर कोई बहस हो. उन्होंने कहा कि देश में पहली बार चुनाव आयुक्त के मनोनयन का सिस्टम बदल गया. पीसी के दौरान राजेश ठाकुर के साथ पार्टी नेता राकेश सिन्हा, अमुल्य नीरज खलखो, सतीश पॉल मुंजनी, जगदीश साहू समेत कई मौजूद थे।