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झामुमो ने भाजपा की देवघर में समीक्षा बैठक में जारी उठापठक, मारपीट और गाली-गलौज पर तीखा प्रहार किया है....

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पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार से आकर लगातार चौथी बार निशिकांत जी जीतते आए हैं और यहां के मूलवासियों को पीटने का काम कर रहे हैं. भागलपुर और यूपी से गुंडे आ रहे हैं, यह मैं नहीं कह रहा हूं, यह उनके दलित विधायक नारायण दास ने कहा है. तो भाजपा को उसके प्रदेश के नेताओं को इस राज्य की जनता से माफी मांगनी चाहिए. यह परिपाटी सही नहीं है. इससे राजनीतिक माहौल खराब होगा. चुनाव में कार्यकर्ता आपस में संवाद करेंगे, उस समय भी हिंसक ग्रुप होगा. संपूर्ण परिपेक्ष्य में दुमका और राजमहल का मुझे नहीं लगता है कि समीक्षा होगी या नहीं. होगा तो वहां कौन पिटाएगा. कहीं अगला निशाना तो अनंत ओझा तो नहीं होंगे. क्योंकि सारे मेरे मित्र हैं. इसलिए चिंता है. आदित्य साहू यहां से गए, उनको धक्का दे दिया।

माननीय सांसद थे. बालमुकुंद जी गढ़वा से गए उनके साथ भी गाली-गलौज कर दिया. अब यदि यहां से कोई राजमहल समीक्षा में जाएगा,तो पता चला कि गाड़ी से गए और एंबुलेंस से आए. पुलिस विभाग को सूचित करके भाजपा को अपनी समीक्षा बैठक रखनी चाहिए. नहीं तो फिर से सवाल उठाएंगे कि हमें सुरक्षा नहीं मिलती है. नारायण दास जी को पूरे घटनाक्रम की जानकारी विधानसभा अध्यक्ष को देनी चाहिए. क्योंकि स्पीकर उनके अभिभावक हैं. अध्यक्ष से यह अपेक्षा रखते हैं कि भाजपा के जनप्रतिनिधियों और विधायकों को आप सुनिश्चित करें कि उनकी पार्टी के गुंडे कार्यकर्ता से बचाएं.. उन्होंने कहा कि भाजपा की गंदी संस्कृति से बाहर निकल झामुमो से जुड़ें, समरसता से जुड़ें, झामुमो आमंत्रित करती है।

दुमका में चुनाव तो प्रधानमंत्री ने हराने का काम किया. दुमका प्रत्याशी ने साफ तौर कहा कि यहां पर मैं नहीं मोदी जी हारे हैं. अब जब भाजपा के लोग ही कर रहे हैं कि मोदी जी की हार हुई है. जीते हुए सीट पर उनके विधायक सुरक्षित नहीं हैं. तो राजनीति किस रसातल में जा रहा है।

अब आचार संहिता के बाद राज्य सरकार ने जिस प्रकार से काम शुरू किया, उस पर से कैसे ध्यान भटकाया जाए. लोगों को उनकी जरूरत के हिसाब से जो काम करना चाहिए, उस पर कोई बात नहीं हो रहा है. यह सिलसिला बंद होना चाहिए. कम से कम समीक्षा बैठक में राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जब बुलाते हैं तो उन्हें प्रशिक्षित भी कीजिए. यह कौन सा तरीका है कि प्रभारी जाते हैं, तो उनके साथ अभ्रद व्यवहार होता है. इनकी पहचान कौन करेगा।

उन्होंने कहा कि हम चाहते थे कि भाजपा विधानसभा का चुनाव विपक्ष की तरह लड़ें, लेकिन यो तो आपस में ही लड़ रहे हैं. यह अजीब विडंबना है. एक तरफ प्रभारी के तौर पर भारी-भरकम नाम वालों को भेजते हैं. वहीं आपस में जुत्तम-लत्तम करते हैं. बाबूलाल अध्यक्ष हैं, हार की समीक्षा बैठक में वो क्यों नहीं जा रहे हैं।

भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा में जो चल रहा है, सीधा असर केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय पर भी दिखा. जिस प्रकार से असम के मुख्यमंत्री को यहां का चुनाव प्रभारी बनाया गया है. उनकी भी भाषा आपलोग देखें तो उन्माद ही नजर आता है. यही हाल भाजपा के कार्यकर्ताओं की है. अपने ही नेताओं को गाली-गलौज करना, मारपीट करना, जो यहां से पदाधिकारी जाते हैं, उनके साथ धक्का-मुक्की करना, यह एक विचित्र स्थिति बन गयी है। राज्य को एक रक्षा राज्य मंत्री और मंत्रालय का पद मिला है. इसलिए भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं की रक्षा का भी दायित्व मिल गया है. जहां-जहां समीक्षा बैठक हो रही है भाजपा की. वहां इस प्रकार की स्थितियां पैदा हो रही हैं. कानून व्यवस्था भी एक सवाल बन रहा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जो बातें दुमका और देवघर बैठक की आयी है, उसने बहुत ही विभत्स रूप लिया है. देवघर के दलित विधायक के साथ उनकी पार्टी के ही आपराधिक किस्म के लोग हैं, जो सांसद से सीधे जुड़ाव रखते हैं, जिस प्रकार से गाली-गलौज की,मारपीट किया. दुमका में जो बातें सामने आयी है, वह साफ दर्शाता है कि भाजपा का चेहरा और चरित्र क्या है. अब वह भाजपा में नहीं रहा।

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