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कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी बना बिहार का सबसे बड़ा अभ्यारण्य

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बिहार में मौजूद कैमूर वन वन्यप्राणी आश्रयणी राज्य का सबसे बड़ा अभ्यारण्य बन गया है. जानकारी के मुताबिक, लाइमस्टोन खनन के लिए करीब 2225.02 हेक्टेयर जमीन को बाहर कर देने के बाद भी अभ्यारण्य का क्षेत्रफल करीब 1410 वर्ग किलोमीटर का है. इसमें तीन हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल की नयी जमीन शामिल है. वाल्मीकि नगर में मौजूद वीटीआर का क्षेत्रफल 910 वर्ग किलोमीटर है. खबर यह भी है कि बिहार सरकार ने कैमूर वन्य अभ्यारण्य की अधिसूचना जारी कर दी है. 

इकलौता लाइमस्टोन खनिज भंडार उपलब्ध

अभ्यारण्य से लाइमस्टोन खनन के लिए जिस जमीन को इसके दायरे से बाहर किया गया है, वह रोहतास और कैमूर जिले में है. वन क्षेत्र में शामिल होने से औपचारिक अनुमति के बिना इस जमीन पर कोई काम नहीं हो सकता था. अब वन क्षेत्र से बाहर होने के बाद इस पर निर्माण सहित अन्य कार्य करने में आम लोगों को आसानी होगी. इधर सूत्रों के मुताबिक यह भी कहा जा रहा कि, फिलहाल कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी की दक्षिणी पश्चिमी सीमा पर राज्य में सीमेंट उद्योग के लिए इकलौता लाइमस्टोन खनिज भंडार उपलब्ध हैं. इसे सीमेंट उद्योग के लिए उपलब्ध कराने के लिए 2225.02 हेक्टेयर वन क्षेत्र को आश्रयणी की सीमा से बाहर करने की जरूरत थी. इसके स्थान पर करीब तीन हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी में शामिल किया जाना था. 

 पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने दी मंजूरी 

वहीं, इस संबंध में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने मंजूरी दे दी है. गौरतलब हो कि, इससे पहले दुर्गावती जलाशय के निर्माण के लिए करीब 600.72 हेक्टेयर जमीन की जरूरत थी. इसकी एवज में 1201.76 हेक्टेयर सुरक्षित वन क्षेत्र को वन्यप्राणी आश्रयणी घोषित किया गया था. साथ ही लाइमस्टोन के खनन के लिए रोहतास जिले के चार मौजा के इलाके बाहर किये गये हैं. इनमें कछुअर, पिपराडीह, रेहल और सोहदाग मौजा शामिल हैं. इसके अलावा कैमूर जिले का खुखुमा मौजा भी बाहर किया गया है. इन सभी पांच मौजों की जमीन करीब 2225.02 हेक्टेयर है. इसकी बदले में कैमूर जिले के कोडियारी मौजा की करीब तीन हजार हेक्टेयर जमीन को कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी में शामिल किया गया है.

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