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स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचे केके पाठक, बच्चों की समस्याओं को जाने बिना ही लौटे

KK Pathak came to inspect the school, returned without knowi

बिहार की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए भले ही शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने कमर कस लिए हो और नित्य नए-नए फरमान जारी करने के साथ बिहार के विभिन्न जिलों का दौरा कर रहे हों. लेकिन, यहां की स्थिति सुधरने वाला नहीं है, कुछ ऐसा ही देखने को मिला सहरसा के बैजनाथपुर स्थित मध्य विद्यालय में. जब केके पाठक निरीक्षण के दौरान एक तरफ शिक्षा विभाग के अधिकारियों को बेहतर शिक्षा के लिए समुचित वर्ग कक्ष व बेंच डेस्क की जरूरत को होना अनिवार्य बता रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ उसी स्कूल के बच्चे क्लास में दरी पर बैठकर बेंच डेस्क की व्यवस्था करने का गुहार लगा रहे थे.

दरअसल, मामला सहरसा के बैजनाथपुर स्थित मध्य विद्यालय से है जहां, बच्चे फर्नीचर के अभाव में जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे थे. वहीं, दूसरी तरफ केके पाठक उसी विद्यालय का निरीक्षण करते हुए स्कूली छात्रों को अच्छी शिक्षा के लिए अच्छी स्कूली व्यवस्था सरकार द्वारा उपलब्ध होने एवं उसका लाभ उठाने का नसीहत दे रहे थे. बता दें कि, पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहद अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग केके पाठक विभिन्न विद्यालयों का निरीक्षण करते हुए मध्य विद्यालय बैजनाथपुर पहुंचे जहां बच्चों की उपस्थिति अच्छी थी लेकिन, वहां की व्यवस्था नदारद थी. बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे थे लेकिन, उन कमियों को नजरअंदाज करते हुए  केके पाठक अपने निरीक्षण का कोरम पूरा कर वापस लौट गए. 

जबकि बच्चों को उम्मीद थी कि, वे उनके वर्ग कक्ष पहुंच उनकी समस्या देखेंगे और समस्या को दूर करेंगे. लेकिन, मौके पर मौजूद रश्मि कुमारी, देवराज कुमार एवं राजा कुमार ने एक स्वर से कहा कि, हमलोग बेंच डेस्क के अभाव के चलते जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं, जिससे पढ़ने में दिक्कत होती है. सभी ने कहा कि, बेंच डेस्क उपलब्ध करवाया जाय जिससे उसकी पढ़ाई अच्छी हो सके. वहीं, स्कूल के प्राचार्य डॉ. राजीव कुमार सिंह की माने तो स्कूल में बेहतर शिक्षा व्यवस्था होने के कारण छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है लेकिन, वर्ग कक्ष का अभाव एवं फर्नीचर का घोर आभाव है. जिसके कारण बच्चों को दरी पर बैठकर पढ़ना मजबूरी है और इसके लिए शिक्षा विभाग को अनेकों बार सूचित किया गया है. बावजूद अभी तक संसाधन उपलब्ध नहीं हो सका है.

सहरसा से नीरज कुमार की रिपोर्ट 

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