बिहार में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की नींद इन दिनों पूरी तरह से उड़ी हुई है. जब से शिक्षा विभाग की कमान कड़क आईएएस अधिकारी केके पाठक ने संभाली है तब से विभाग के तमाम अधिकारियों के साथ-साथ शिक्षकों के बीच हड़कंप मचा हुआ है. वहीं, इन दिनों स्कूलों में छुट्टियों का मामला बड़े ही जोर-शोर से गरमाया हुआ है. दरअसल, केके पाठक के द्वारा फरमान जारी किया गया है कि, गर्मी की छुट्टी के दौरान भी शिक्षकों को स्कूल आना पड़ेगा और इसका कारण 'मिशन दक्ष' बताया जा रहा है. इस दौरान जितने भी बच्चे जो कि पढाई में कमजोर हैं, उनके लिए स्पेशल क्लास लिया जाएगा. इसके अलावे में शिक्षकों को अन्य टास्क भी दिया है, जिसे शिक्षकों को पूरा करना ही पड़ेगा.
15 अप्रैल से 15 मई गर्मी की छुट्टी
बता दें कि, 15 अप्रैल से 15 मई तक गर्मी की छुट्टी रहने वाली है. ऐसे में शिक्षा विभाग की ओर से ग्रीष्मकालीन निरीक्षण की व्यवस्था की गई है. दरअसल, विभाग ने 15 अप्रैल से 15 मई तक निरीक्षण के लिए एक प्रपत्र जारी किया है. यानी कि, जो अधिकारी किसी स्कूल का निरीक्षण करेंगे, वो उसी प्रपत्र में रिपोर्ट करेंगे. बता दें कि, प्रपत्र में कुल 14 बिंदु है. निरीक्षी पदाधिकारी को सभी 14 बिंदुओं पर प्रधान शिक्षक से पूछना है और भरकर विभाग को समर्पित करना है. जानकारी के मुताबिक, निरीक्षण करने वाले पदाधिकारी को स्कूल का नाम, शिक्षक की संख्या, निरीक्षण का समय, पदस्थापित शिक्षकों की संख्या, बिना सूचना के स्कूल से नदारद शिक्षकों की संख्या, वार्षिक परीक्षा 2024 में कक्षा पांच से आठ के अनुतीर्ण और नदारद बच्चों की संख्या, मिशन दक्ष के तहत चिन्हित बच्चों की संख्या और उपस्थित बच्चों की संख्या आदि का उल्लेख प्रपत्र में करना है.
शिक्षा विभाग को देंगे जानकारी
इसके साथ ही साथ निरीक्षण के दौरान अधिकारी यह भी जानकारी कर लेंगे कि, एमडीएम चालू है या नहीं. पेयजल की कोई सुविधा है या नही. अगर नहीं है, तो क्यों नहीं है, आखिरकार वजह क्या हैं. स्कूल में हाउसकीपिंग की व्यवस्था है या नहीं. नहीं है तो क्यों नहीं है. शौचालय की व्यवस्था है या नहीं. शौचालय की साफ-सफाई की क्या स्थिति है. रात्रि प्रहरी उपलब्ध है अथवा नहीं. अगर नहीं है, तो क्या कारण है. आईसीटी लैब के बारे में भी प्रपत्र में जिक्र करना है. इन सभी व्यवस्थाओं को लेकर जानकारी हर हाल में विभाग को देना ही पड़ेगा. बता दें कि, गर्मी की छुट्टी को लेकर लगातार बवाल मचा हुआ है. शिक्षकों की ओर से विरोध किए जा रहे हैं लेकिन शिक्षा विभाग ने अब तक एक्शन नहीं लिया है.
इतिहास में पहली बार हुआ
इस बीच यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि, शिक्षा विभाग के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि स्कूलों का नियमित निरीक्षण किया जा रहा है. वहीं, सिर्फ निरीक्षण ही नहीं बल्कि इस दौरान काम में लापरवाही बरतने वाले प्रधान शिक्षक और शिक्षक पर ठोस कार्रवाई भी की जा रही है. याद दिला दें कि, इसके तहत अब तक हजारों शिक्षकों के वेतन भुगतान पर रोक लगाई जा चुकी है, तो सैकड़ों निलंबित किए जा चुके है. यानी कि, निरीक्षण की कार्रवाई से जहां शिक्षकों पर असर पड़ा है, तो विभाग को भी अपेक्षित लाभ मिल रहा है. इस बीच, विभाग की ओर से गर्मी की छुट्टी के दौरान भी निरीक्षण की व्यवस्था की गई है.
केके पाठक ने उठाए कई कदम
इधर बात कर लें केके पाठक की तो, जब से उन्होंने विभाग का कार्यभार संभाला है तब से उनके द्वारा शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बराबर नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं. विभाग को इसका लाभ भी मिल रहा है. कल तक जो शिक्षक स्कूल नहीं जाते थे, वो नियमित तौर पर स्कूल जाने लगे हैं. जो शिक्षक हाजिरी बनाकर स्कूल से नदारद हो जाते थे, वो पूरा टाइम स्कूल में उपस्थित रह रहे हैं. एसीएस केके पाठक की इस सख्ती का पूरा असर स्कूलों में दिख रहा है. हालांकि, केके पाठक के कुछ कड़क फरमानों के कारण शिक्षकों का जबरदस्त विरोध भी देखने के लिए मिला. केके पाठक की जमकर आलोचना भी हुई. लेकिन, इन सभी गतिविधियों से केके पाठक पर किसी तरह असर नहीं दिखा. तो वहीं, शिक्षा व्यवस्था को लेकर लगातार कई कदम उठाए जा रहे हैं.