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केके पाठक अब हाथ धोकर नियोजित शिक्षकों के पीछे पड़ गए, अब आगे क्या करेंगे शिक्षक?

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बिहार में नियोजित शिक्षकों की राज्यकर्मी के दर्जे की मांगों के बीच केके पाठक ने एक बड़ा फैसला लिया है. अब केके पाठक भगोड़े नियोजित शिक्षकों के पीछे पड़ गए हैं जो स्कूलों से गायब रहते हैं. जी हां शिक्षकों की आर-पार की लड़ाई के खिलाफ अब केके पाठक भी कूद पड़े हैं और पीछे हटने वाले नहीं है. 

बिहार के विभिन्न जिलों के भगोड़े नियोजित शिक्षक अब राज्यकर्मी नहीं बन सकेंगे. शिक्षा विभाग ने इन पर कड़ी कार्रवाई का निर्णय लिया है. इस बाबत शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने पंचायती राज विभाग को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा है कि नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी बनाने के लिए सक्षमता परीक्षा ली जा रही है. अत ऐसे शिक्षकों पर तुरंत कार्रवाई करनी होगी, ताकि ये सभी राज्यकर्मी नहीं बन सकें. राज्य के विभिन्न जिलों के 582 नियोजित शिक्षक छह

माह से अधिक दिनों से गायब हैं. वहीं, 134 हीं ऐसे हैं, जो छह महीने से कम दिनों से बिना सूचना के स्कूलों से अनुपस्थित हैं और उन्हें निलंबित करने की अनुशंसा की जा चुकी है. पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह को लिखे पत्र में पाठक ने कहा है कि पिछले छह माह से लगातार नियोजित शिक्षकों के विरुद्ध मॉनिटरिंग के दौरान कई तरीके की अनियमितता पायी गयी है, जिसके आलोक में संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा कई कार्रवाई की गयी है. बिना स्वीकृति के अनुपस्थित काफी शिक्षकों का वेतन काटा गया है. लेकिन, अन्य गंभीर मामलों में निलंबन और बर्खास्तगी की कार्रवाई की अनुशंसा जब की गयी तो संबंधित नियोजन इकाइयों द्वारा कोई विशेष कार्रवाई नहीं की गयी है. केके पाठक ने कहा है कि छह माह से अधिक दिनों से बिना किसी सूचना के गायब 582 नियोजित शिक्षक हैं. इनमें से कई दो साल से अधिक दिनों से गायब हैं. ऐसे सभी मामलों में बर्खास्तगी और निलंबन की अनुशंसा की गयी, पर केवल 13 शिक्षकों की बर्खास्तगी हुई और मात्र दस ही निलंबित हुए.

13 गायब शिक्षक किए गए बर्खास्त

छह माह से अधिक दिनों से गायब अब-तक 13 नियोजित शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है. इनमें सबसे अधिक आठ सिर्फ नवादा जिले के हैं. वहीं, भोजपुर जिले के तीन तथा सारण और सुपौल जिले के एक-एक शिक्षक शामिल हैं. जिलों के द्वारा ऐसे 419 शिक्षकों को बर्खास्त करने की अनुशंसा की गयी है.

दरभंगा से सबसे अधिक 54 शिक्षक गायब

134 ऐसे नियोजित शिक्षक हैं, जो छह महीने से कम दिनों से गायब हैं और उन्हें निलंबन की अनुशंसा हुई है. लेकिन, इनमें केवल 34 शिक्षकों को ही संबंधित नियोजन इकाइयों द्वारा निलंबित किया गया है. छह महीने से अधिक दिनों से गायब मामलों में सबसे अधिक 54 शिक्षक दरभंगा जिले के हैं. वहीं, पटना के 53, गया के 46, नालंदा के 38, पूर्वी चंपारण के 29 और भोजपुर के 28 शिक्षक शामिल हैं. वहीं, शिवहर, मुंगेर, मधुबनी, किशनगंज, जहानाबाद और गोपालगंज में ऐसे शिक्षकों की संख्या शून्य है.

44 अध्यापकों को किया गया निलंबित

राज्य के विभिन्न जिलों में बिना सूचना के गायब रहने वाले 44 नियोजित शिक्षकों को निलंबित किया गया है. इनमें 34 शिक्षक ऐसे हैं, जो छह माह से कम दिनों से गायब हैं. वहीं, दस शिक्षक ऐसे निलंबित किये गये हैं, जो छह माह से अधिक दिनों से स्कूलों से गायब हैं. छह माह से अधिक दिनों से गायब 163 शिक्षकों के निलंबन की अनुशंसा नियोजन इकाइयों को की गयी है. छह माह से कम दिनों से गायब कुल शिक्षकों की संख्या 16 हजार 500 है. इनमें 14 हजार 257 का वेतन काटा गया है.

सूबे में नियुक्ति पत्र लेकर भी 6766 शिक्षकों ने नहीं किया योगदान

सूबे में नियुक्ति पत्र व पदस्थापन पत्र लेकर भी 6766 शिक्षकों ने स्कूलों में ज्वाइन नहीं किया. शिक्षक नियुक्ति के पहले चरण की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. स्कूल आवंटन के बाद भी इन शिक्षकों ने अबतक योगदान नहीं दिया है. मुजफ्फरपुर, दरभंगा, पटना में ऐसे शिक्षक सबसे अधिक हैं. मुजफ्फरपुर में 367 शिक्षक स्कूल आवंटन के बाद भी नहीं आए. दरभंगा में सबसे अधिक 463 शिक्षक हैं, जिन्होंने योगदान नहीं दिया. विभिन्न जिलों से मिली रिपोर्ट के अनुसार समस्तीपुर में ऐसे शिक्षकों की संख्या 365, प.चम्पारण में 244, वैशाली में 177, सीतामढ़ी में 78, मधुबनी में 186, पूर्वी चम्पारण में 265 और गया में 284 है.

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