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स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचे IAS केके पाठक, बच्चों को देख भड़क गए फिर छात्रों ने दिखा दिया आइना!

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बिहार के शिक्षा विभाग में जब से केके पाठक की नियुक्ति हुई है वो चर्चा में बने हुए हैं. कभी किसी स्कूल में जाकर किसी टीचर को फटकार लगाते हैं. किसी के पहनावे पर तंज कसते हैं और किसी की बॉडी शेमिंग भी करते हैं. केके पाठक के इस व्यवहार से पूरा शिक्षक समाज नाराज चल रहा है. केके पाठक पिछले एक जुलाई से सभी स्कूलों में सुचारू रूप से स्कूल चलाने, बच्चों को उचित शिक्षा देने के लिए कई तरह के नियमों में बदलाव भी कर चुके हैं. 

केके पाठक इन दिनों अचानक दौरा कर स्कूल की व्यवस्थाओं को सुधारने में लगे हैं. इसी क्रम में केके पाठक ने नालंदा जिले के चंडी प्रखंड के उत्क्रमित हाई स्कूल माधोपुर का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान ग्यारहवीं के छात्र-छात्रों की कम उपस्थिति और बच्चों को दरी पर बैठा देख केके पाठक भड़क गए. कोई भी छात्र ड्रेस में नहीं था. केके पाठक ने छात्रों से कम उपस्थिति व बिना ड्रेस के बारे में पूछा तो बताया गया कि कुछ छात्र आएं तो थे लेकिन शिक्षकों की कमी देखकर चले गए.

वहीं छात्रों ने केके पाठक से कहा कि सर छात्रों को 75 प्रतिशत उपस्थिति का निर्देश दिया जाता है. स्कूल में आते हैं तो शिक्षक की कमी से पढ़ाई नहीं हो पाती है. अगर स्कूल में पढ़ाई ही नहीं होगा तो हम लोग कोचिंग के सहारे पढ़ाई कर रहें है तो स्कूल में कैसे 75 प्रतिशत उपस्थिति बनेगा. हमलोगों को ड्रेस भी नहीं मिला है. इस पर केके पाठक भड़क गए और छात्रों को डांटते हुए कहने लगे कि बहुत ज्यादा बोलता है. इसका नाम काटिए, सिनेमा हॉल बना रखा है. 

उसके बाद केके पाठक कक्षा नौंवी में जाकर सबसे पहले छात्रों से पूछते हैं कि कौन-कौन छात्र कोचिंग जाते हैं हाथ उठाइये. इस पर 90 प्रतिशत छात्रों ने हाथ उठाते हुए कहा कि सर स्कूल में पढ़ाई नहीं होती है. शिक्षक नहीं है. इसके बाद केके पाठक हर क्लास में जाकर छात्रों से बातचीत करते हैं. हाई स्कूल में शिक्षकों की कमी देखकर केके पाठक ने डीईओ को कई दिशा निर्देश देते हुए मध्य विधालय के शिक्षकों से क्लास लेने को भी कहते हैं. वहीं निर्माणाधीन शौचालय को देखकर प्राभारी प्रधानाध्यापक पर केके पाठक भड़क पड़े. प्रभारी प्रधानाध्यापक ने कहा कि हमे आये हुए मात्र छह माह ही हुए है. जल्द ही शौचालय का निर्माण करा लिया जाएगा.

उत्क्रमित उच्च विंधालय में नीरीक्षण के दौरान महकार पंचायत के पंचायत सामिति सदस्य अनिल कुमार ने केके पाठक को चंडी प्रखंड में हुए प्राधिकार से बहाल हुए शिक्षक की सूची देकर जांच करने की मांग की. उन्होंने कहा कि जिस सीट पर सभी शिक्षकों की बहाली हो चुकी थी. पुन: उस सीट पर प्राधिकार के अदेश पर शिक्षक बहाल हो गए हैं. बताया कि करीब 36 शिक्षक चंडी प्रखंड के विभित्र स्कूल में बहाल किए गए हैं.

गौरतलब है कि केके पाठक की ओर से जारी ऑर्डर के मुताबिक, स्कूल के अलावा विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में छात्र-छात्राओं की 75 फीसदी उपस्थिति की अनिवार्यता है. 75 पर्सेंट से कम अटेंडेंस होने पर सख्त कार्रवाई हो सकती है. स्टूडेंट्स के नामांकन भी रद्द किए जा सकते हैं.

शिक्षा विभाग की ओर से इस आदेश का असर बिहार में देखने को मिला. कई विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों ने लगातार अनुपस्थित रहने वाले छात्रों के नामांकन रद्द करना शुरू कर दिया है. जानकारी के मुताबिक, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के सीएम साइंस कॉलेज ने 36 से ज्यादा स्टूडेंट्स के नामांकन रद्द किए हैं. इन छात्रों ने कॉलेज में एडमिशन तो लिया लेकिन क्लास में उनकी उपस्थिति नहीं मिली. शिक्षा विभाग को इसकी रिपोर्ट मिली, जिसके बाद इन छात्रों पर कार्रवाई की गई.

सबसे बड़ी बात है जो सवाल पहले से ही उठते रहे हैं कि बिहार के स्कूलों में शिक्षकों की जो कमी है उसे कैसे पूरा किया जाएगा? अगर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की चाहत है कि सभी बच्चे प्रतिदिन स्कूल आएं तो उन्हें पढ़ाने वाला मास्टर कहां से लाएंगे? केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 1 से 8 के लिए बिहार के स्कूलों में अभी भी 30% से ज्यादा शिक्षकों की कमी है.

दरअसल, एक से आठवीं कक्षा के लिए राज्यों में शिक्षकों की रिक्तियों के संबंध में संसद सदस्य फूलो देवी नेताम द्वारा पूछे गए सवाल पर जो डेटा प्रस्तुत किया उसके अनुसार बिहार में लगभग दो लाख शिक्षकों की कमी है. यह पद भरे नहीं गए हैं. आंकड़ों के अनुसार पूरे बिहार में 2022-23 में कक्षा एक से लेकर आठ तक के पढ़ाने वाले शिक्षकों की स्वीकृत पद 5,92,541 है लेकिन इसमें 4,05,332 पद ही भरे गए हैं. अभी भी 1,87,209 शिक्षकों का पद खाली हैं. 2021-22 के आंकड़ों की बात करें तो उस वक्त 2,27,442 शिक्षकों के पद खाली थे. वहीं 2020-21 में 2,23,488 शिक्षकों के पद बिहार के स्कूलों में खाली रहे.

अब सवाल उठता है कि जब इतने शिक्षकों की कमी है फिर कैसे शिक्षा में गुणवत्ता आ सकती है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने निर्देश दिया है कि जो बच्चे सरकारी स्कूलों में 75% उपस्थिति दर्ज नहीं कराएंगे उन्हें बोर्ड की परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा. ऐसे में बच्चे स्कूल आ भी जाते हैं तो उन्हें पढ़ाने वाला कौन होगा?

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