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केके पाठक क्यों पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, सरकार की मंशा पर सवाल, 4 दिनों से थे पटना से बाहर

एक तरफ बिहार के नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देने को लेकर नीतीश सरकार ने गंभीरता दिखाई है. वहीं दूसरी तरफ शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक इसके खिलाफ देश की सबसे बड़ी अदालत का रुख किया है. ऐसे में अब तमाम नियोजित शिक्षक असमंजस में हैं कि आखिर सरकार की मंशा क्या है.

शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देने के खिलाफ केके पाठक!

सरकार की ओर से लगातार नियोजित शिक्षकों को आश्वासन दिया जा रहा है कि उन्हें राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाएगा लेकिन, इसके खिलाफ ही शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का सुप्रीम कोर्ट जाना, शिक्षक अभ्यर्थियों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. दरअसल टीईटी शिक्षक संघ की ओर से नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देने के लिए पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर किया गया था. इसी याचिका के खिलाफ शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने 25 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी याचिका दायर की है.

केके पाठक पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

बता दें कि 25 सितंबर से ही शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव केके पाठक पटना से बाहर हैं और जानकारी थी कि विभागीय कार्यों से वह दिल्ली गए हैं. इसी बीच नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार बनाम टीईटी शिक्षक संघ डायरी संख्या 39833/2023 मिला है.

टीईटी शिक्षक संघ के खिलाफ SLP याचिका दायर करने के साथ ही बिहार पंचायती राज डायरेक्टर, BPSC चेयरमैन, BPSC एग्जामिनेशन कंट्रोलर, शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर वर्मा, मो. हैदर खान, फसिह अहमद पर भी SLP याचिका दायर की गई है. 

सबसे पहले समछ लीजिए कि ये SLP याचिका क्या होता है..............किसी भी कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील हमेशा उससे ऊपर की अदालत में की जाती है. पदानुक्रम में नीचे से उससे ऊपर के कोर्ट में अपील की जाती है. जैसे किसी निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील या फिर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं की जा सकती. लेकिन एसएलपी किसी की कोर्ट के खिलाफ सीधे सुप्रीम कोर्ट में दायर की जा सकती है.

शिक्षक संघ में आक्रोश

ऐसे में इस संबंध में टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम का कहना है कि सरकार की मंशा समझ में नहीं आ रही कि नियोजित शिक्षकों को लेकर सरकार की मंशा क्या है. क्या सरकार सचमुच नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देना चाहती है या नियोजित शिक्षकों के आंदोलन को कमजोर करने के लिए आश्वासन पर आश्वासन देते हुए राज्य कर्मी का दर्जा नहीं देना चाहती है. उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार के लोग कह रहे हैं कि नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाएगा. वहीं दूसरी ओर विभाग के अपर मुख्य सचिव शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी याचिका दायर कर दिए हैं.

टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा है कि प्रदेश के नियोजित शिक्षक यह समझ नहीं पा रहे हैं कि इसके पीछे सरकार और शिक्षा विभाग की मंशा क्या है. वह समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर ऐसी क्या स्थिति बन गई जिसके कारण केके पाठक ने संघ द्वारा दायर याचिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी याचिका दायर कर दिया है.

सरकार की मंशा पर सवाल

अमित विक्रम ने बताया कि इस संबंध में वह उच्चतम न्यायालय में अपने वकीलों से बात करेंगे और आगे क्या करना है उसके बाद ही इस संबंध में कुछ बता पाएंगे. बहरहाल प्रदेश के नियोजित शिक्षकों की लंबे समय से मांग रही है कि उन्हें बिना किसी शर्त के राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाए. इसके पीछे उनका तर्क है कि सरकार की ओर से आयोजित की गई तमाम दक्षता परीक्षा को पास करके वर्षों से नियोजित शिक्षक विद्यालयों में पठन-पाठन का कार्य कर रहे हैं.

नेताओं ने भरी थी हामी

इसी को लेकर बीते दिनों प्रदेश के तमाम शिक्षक संगठन एकजुट होकर नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देने की मांग को लेकर पटना में प्रदर्शन किए थे. इसके बाद इस मसले पर सीएम हाउस में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन के विधान मंडल दल की बैठक बुलाई. बैठक में शामिल नेताओं ने कहा नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाएगा.

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