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केके पाठक ने और भी बढाया शिक्षकों का बोझ, अब मेनटेन करनी पड़ेगी डायरी

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शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने बिहार के तमाम सरकारी स्कूलों के साथ-साथ विश्वविद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों के बीच हड़कंप मचा रखा है. ऐसा माना जाता है कि, केके पाठक के रहते सूबे के शिक्षकों के जिम्मे काम की कमी नहीं है. एक के बाद एक फरमानों या फिर आदेशों का सिलसिला तो थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब तक तो यही धारणा थी कि सरकारी स्कूल के शिक्षक सिर्फ बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं. हालांकि समय-समय पर सरकार ने शिक्षकों से शिक्षण कार्य के अलावे भी कई सारे काम भी कराए हैं. कभी वोटर लिस्ट तैयार करने, जनगणना, खुले में शौच से लोगों की निगरानी जैसे काम भी शिक्षा विभाग शिक्षकों से कराता रहा है. तो ऐसे में अब शिक्षकों का बोझ और भी ज्यादा बढने वाला है. जिस तरह से केके पाठक के द्वारा आदेश दिया गया है, उसके मुताबिक शिक्षक अब सिर्फ और सिर्फ शिक्षण कार्य में ही लगे रहे, इसकी पूरी तैयारी की जा रही है. 

मेनटेन करनी पड़ेगी डायरी

दरअसल, शिक्षा विभाग ने पहली से 12वीं तक के शिक्षकों के लिए एक नया काम तलाशा है. बता दें कि, शिक्षकों को जल्द ही शिक्षा विभाग एक डायरी देगा. शिक्षक उस डायरी में स्कूल अवधि के काम दर्ज करेंगे. डायरी भरने के बाद ही वे स्कूल छोड़ेंगे. स्कूली पुस्तकों की सप्लाई करने वाले प्रतिष्ठान को जल्द ही डायरी बनाने का काम किया जाना है. इसके लिए जिला शिक्षा पदाधिकारियों से प्रखंडवार शिक्षकों की सूची तैयार करने को कहा गया है. सूची में दर्ज शिक्षकों की संख्या विभाग की वेबसाइट पर अपलोड होते ही उतनी डायरी तैयार करने का आर्डर दिया जाएगा. सुबह स्कूल आने से जाने तक शिक्षकों ने कौन-कौन से शिक्षण कार्य किए, उसे वे डायरी में दर्ज करेंगे. डायरी स्कूल में रहेगी, जिसे निरीक्षक स्कूलों में देखेंगे. शिक्षकों के काम में पढ़ाना, होमवर्क देना, होमवर्क की जांच जैसे तमाम काम दर्ज करने होंगे.

पैरेंट-टीचर मीटिंग भी करेंगे आयोजित 

यह तो हो गई डायरी मेनटेन करने की बात. लेकिन, इसके अलावे बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने अब स्कूलों में पैरेंट-टीचर मीटिंग आयोजित करने का भी निर्देश सभी प्रधानाध्यापकों को दिया है और इस निर्देश की माने तो, प्राइमरी से लेकर उच्च माध्यमिक स्कूलों में समारोहपूर्वक यह काम किया जाएगा. इस समारोह में बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों को भी बुलाया जाएगा. स्कूलों में छात्रों के प्रोग्रेस रिपोर्ट का वितरण होगा. पीटीएम को लेकर यह भी जानकारी दी गई है कि, विभाग ने सभी प्रधानाध्यापकों को निर्देश दिया है कि पैरेंट-टीचर मीट के लिए स्कूलों में टेंट-पंडाल लगाए जाएं. साफ-सफाई के साथ स्कूल परिसर को बैनर, फूल और बैलून सजाया जाए. बच्चों के बीच क्विज, पेंटिंग, वाद विवाद, रंगोली और अभिनय जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएं. कक्षा के अनुसार पहला, दूसरा और तीसरा स्थान पाने वाले बच्चों को मेडल, प्रशस्ति पत्र और उपहार देकर सम्मानित किया जाएगा. अभिभावकों को स्कूलों में दी जा रही सुविधाओं के बारे में बताया जाएगा. मतदान की महत्ता पर भी समारोह में चर्चा कराई जाएगी. परिषद की ओर से भेजे गए पत्र में उपरोक्त काम के अलावा विद्यालय परिसर में पौधरोपण, प्रवेश उत्सव अभियान पर चर्चा, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में नामांकन पर चर्चा करना भी शामिल है.

समारोह के लिए निर्धारित की गई राशि 

वहीं, इस समारोह के लिए यानि कि स्कूलों में छात्रों के प्रोग्रेस रिपोर्ट वितरण समारोह के लिए विभाग ने खर्च की राशि भी निर्धारित कर दी है. प्राइमरी स्कूलों को इस काम के लिए 10 हजार रुपए मिलेंगे तो वहीं मध्य विद्यालयों को 15000 रुपए की सीमा तय की गई है, जबकि उच्च माध्यमिक स्कूलों को अधिकतम 25 हजार रुपए खर्च करने की स्वीकृति दी गई है. इसके साथ ही आयोजन के लिए स्वीकृत रकम के खर्च का हिसाब उपयोगिता प्रमाण पत्र के फार्मेट में जमा करना होगा. शिक्षा विभाग ने इसके लिए एक फॉर्मेट भी जारी किया है. एसके अलावे स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि, समारोह के आयोजन की तस्वीरें नोट कैम से लेकर कम से कम पांच फोटो कार्यालय को उपलब्ध कराएंगे, साथ ही e-shikshakosh पर अपलोड करना सुनिश्चित करेंगे. तो कुल मालाकर देखें तो काम का बोझ शिक्षकों पर बढता ही जा रहा है. 

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