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केके पाठक के आदेशों की ऐसी-तैसी, नया मामला जानकर चौंक जायेंगे आप!

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शिक्षा विभाग की कमान संभाल रहे के के पाठक हर दिन कोई ना कोई नया फरमान जारी कर रहे हैं. शायद ही ऐसा कोई दिन होगा जब वो कोई आदेश जारी नहीं करते हैं. शिक्षा विभाग में लगातार सुधार करने में अपर मुख्य सचिव लगे हुए हैं. आज फिर उन्होंने एक आदेश जारी किया है. स्कूलों के निरिक्षण को लेकर ये फैसला सुनाया गया है. निरिक्षण के लिए जाने वाली टीम के लिए अब एक नई गाइडलाइन जारी की गई है. उनके इस आदेश के बाद शिक्षकों के बीच हलचल मच गई है. 

जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि कोई भी कर्मी या अधिकारी अब अगर सरकारी स्कूलों के निरिक्षण के लिए जाते हैं तो स्कूल में जीतने भी कमरे हैं सबकी जांच करें. जिन कमरों में ताला लगा हुआ है, उन्हें खोलकर जांच करें. सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापक को ये कहा गया है कि सभी कमरे को सुबह 9 बजे से पहले खोल दिया जाए और स्कूल का समय खत्म होने के बाद वापस लगा दिया जाये. इसके साथ ही स्कूलों की साफ-सफाई,  शौचालय, क्लासरूम, फर्नीचर, लाईब्रेरी का क्या हाल है. इसकी सफाई हो रही है कि नहीं इसकी जांच करें.

केके पाठक ने कहा है कि सरकार जो भी बच्चों के लिए उपकरण भेजती है. उसका इस्तेमाल हो रहा है या नहीं, लैब लाईब्रेरी सही चल रही या नहीं इनका भी जांच करें. हर महीने मासिक परीक्षा, सप्ताह टेस्ट और बच्चों को रोज होमवर्क शिक्षक दे रहे हैं या नहीं. इसके साथ ही स्कूलों के खतों का भी जांच करने का आदेश दिया गया है. 

केके पाठक के निर्देशों का अब पालन हो रहा

केके पाठक के निर्देशों का अब पालन होता हुआ भी दिख रहा है और स्कूल नहीं आने वाले विद्यार्थियों के नाम भी काटे जा रहे हैं. सरकारी स्कूल में केवल योजनाओं का लाभ लेने  के उद्देश्य से एडमिशन लेने वाले छात्र-छात्राएं शिक्षा विभाग के रडार पर है. भागलपुर में विद्यालय से दूर रहने वाले विद्यार्थियों के नाम काटे जा रहे हैं. अब तक जिले के 15 हजार छात्र-छात्राओं के नाम काटे जा चुके हैं. वहीं दरभंगा में भी 2000 से ज्यादा छात्र-छात्राओं के नाम काटे जा चुके हैं. शिक्षा विभाग का साफ निर्देश है कि 75 फीसदी छात्र-छात्राओं का क्लास में उपस्थिति अनिवार्य है.

वहीं अब स्कूलों में बच्चों की कम उपस्थिति प्रधानाध्यापकों के लिए भी नयी मुसीबत बन गयी है. भागलपुर के जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने मंगलवार को पत्र जारी कर निर्देश दिया है कि जिन स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से कम है. वहां के प्रधानाध्यापक नामांकन रद्द करने में संकोच व्यक्त कर रहे हैं. ऐसे प्रधानाध्यापकों पर भी अब कार्रवाई की जायेगी. निरीक्षण के दौरान स्कूलों में 50 फीसदी से कम उपस्थिति पायी जाती है, तो प्रधानाध्यापक का वेतन रोक लिया जाएगा.

उधर, राजभवन व सरकार के निर्देश का असर भागलपुर के कॉलेजों में पठन-पाठन व स्टूडेंट पर दिखने लगा है. कॉलेजों में स्टूडेंट की उपस्थिति बढ़ी है. कॉलेजों में क्लास रूम व डेस्क-बेंच कम पड़ने लगे हैं. क्लास में अधिक संख्या में स्टूडेंट के आने पर बैठने के लिए डेस्क-बेंच नहीं मिल पाते हैं. ऐसे में स्टूडेंट को कभी-कभी खड़े रहकर भी क्लास करना पड़ता है. कॉलेजों के प्राचार्यों का कहना है कि क्लास रूम व डेस्क-बेंच की व्यवस्था करायी जायेगी. इसे लेकर विकल्प तलाशा जा रहा है. 

राजभवन व शिक्षा विभाग ने पत्र जारी कर स्पष्ट रूप से विश्वविद्यालय व कॉलेजों से कहा है कि स्टूडेंट की क्लास में 75 फीसदी उपस्थिति पूरी नहीं होने पर परीक्षा फॉर्म भरने से ऐसे छात्रों को रोका जाये. इसे लेकर कॉलेजों ने भी नोटिस जारी की कि स्टूडेंट को अनिवार्य रूप से 75 फीसदी क्लास में उपस्थिति करानी होगी. इसके बाद से ही कॉलेजों में एकाएक स्टूडेंट की उपस्थिति बढ़ गयी है.

केके पाठक की सख्ती के बावजूद स्कूलों में लापरवाही 

वहीं केके पाठक की सख्ती के बावजूद भी बिहार के कई सराकरी स्कूलों से आए दिन लापरवाही की भी खबरें सामने आ रही हैं. अब यह ताजा मामला सीतामढ़ी का है, जहां मिड डे मील में छिपकली गिरने से करीब तीन दर्जन छात्र बीमार पड़ गये हैं. दरअसल, यह मामला जिले के डुमरा प्रखंड क्षेत्र के भासर मछहां दक्षिणी ग्राम पंचायत रिखौली महादेव मठ स्थित प्राथमिक विद्यालय पंचायत भवन रिखौली का है, जहां मध्याह्न भोजन में छिपकली गिरने की खबर पूरे गांव में जंगल की आग की तरह फैल गई और देखते ही देखते स्कूल में ग्रामीणों की भीड़ जुटने लगी.

भीड़ को देखते हुए स्कूल प्रबंधन ने गेट बंद कर दिया. स्कूल पहुंचे परिजनों ने अपने बच्चों को इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डुमरा में भर्ती कराया. वहीं कुछ बच्चों को सीतामढी सदर अस्पताल भेजा गया, परिजनों ने बताया कि स्कूल में मध्याह्न भोजन खाने के दौरान बच्चों ने पेट दर्द की शिकायत की, जिसके चलते परिजन बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल लेकर आए हैं, जहां सभी का इलाज चल रहा है.

स्कूल में ना तो बैठने की जगह, ना ही पढ़ाई 

वहीं सोशल मीडिया में बिहार के वैशाली का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. इसमें दिख रहा है कि लगभग 40 से 50 लड़कियां अधिकारी की गाड़ियों के शीशे को तोड़ रही है. इन लड़कियों का आरोप है कि इनके स्कूल में ना तो सही ढंग से बैठने के लिए जगह है और ना ही ठीक ढंग से पढ़ाई होती है. कई बार इन लोगों ने अधिकारियों को शिकायत किया लेकिन इसका परिणाम कुछ नहीं निकला.

मंगलवार को उच्च विद्यालय महनार बालिका की छात्राओं का आक्रोश फूट पड़ा और छात्राओं ने सड़क पर उतरकर जमकर बवाल काटा. आक्रोशित छात्र-छात्राओं ने प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की गाड़ी को लाठी डंडे और ईंट पत्थरों से मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया। प्रदर्शन एवं हंगामा के दौरान आधा दर्जन उमसभरी गर्मी के बीच बेहोश होकर गिर भी गईं. छात्राओं के द्वारा हंगामे की सूचना पर पहुंचे वरीय, पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने पूरे मामले को बातचीत कर शांत कराया. इस संबंध में बताया गया कि उच्च विद्यालय महनार बालिका की छात्राएं विद्यालय आ रही हैं, लेकिन विद्यालय में छात्राओं का नामांकन अधिक होने और उनको बैठने के लिए जगह नहीं मिल रही है. विद्यालय में 2080 छात्राओं का नामांकन है, जबकि 600 से 700 छात्राओं के ही बैठने की व्यवस्था है. डीईओ अहिल्या कुमारी ने कहा कि उन्हें जब प्रदर्शन की सूचना मिली तो वह मौके पर पहुंचीं और छात्राओं को समझाने बुझाने का प्रयास किया, इसी बीच उनकी गाड़ी पर पथराव किया गया.

अपर मुख्य सचिव पाठक के आदेशों की ऐसी-तैसी

अपर मुख्य सचिव पाठक के आदेशों की ऐसी-तैसी हो रही है. 75 प्रतिशत उपस्थिति के लिए बेंच नहीं होने पर हंगामा हो रहा. शिक्षक के गैरहाजिर होने पर लंच टाइम में ही छुट्टी हो रही. अब पढ़ाई की जगह दूसरा काम करते बच्चों का वीडियो वायरल है. एक स्कूल की साफ-सफाई का वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें स्कूल के बच्चे सफाई करते दिख रहे हैं. वह भी स्कूल यूनिफॉर्म में ही. अब इस वीडियो को लेकर अभिभावन स्कूल प्रबंधन पर सवाल खड़े कर रहे हैं. उनका कहना है कि हमलोग अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ने भेजते हैं लेकिन वहां बच्चों से साफ-सफाई करवाई जा रही है. यह गलत है. दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. यह मामला जमुई जिले के लक्ष्मीपुर प्रखंड स्थित कन्या मध्य विद्यालय का है. सफाई करते बच्चों का यह वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो ग्रामीण आक्रोशित हो गए और इसकी शिकायत स्थानीय जनप्रतिनिधियों के अलावे जिला शिक्षा पदाधिकारी कपिल देव तिवारी से की गई. जिला शिक्षा पदाधिकारी ने मामले की जांच कर कार्रवाई करने की बात कही.

पटना हाईकोर्ट ने लगाया पाठक पर 20 हजार रुपये का अर्थदंड

इसके साथ ही आपको बता दें कि मंगलवार को पटना हाईकोर्ट ने अदालती आदेश की अवमानना मामले में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक पर 20 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है. जस्टिस पीबी बजनथ्री और जस्टिस अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने संगीता कुमारी द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया है. ये मामला राज्य में शिक्षक नियोजन से संबंधित है. पटना हाई कोर्ट ने 9 सितम्बर 2023 को याचिकाकर्ता संगीता कुमारी को शिक्षक नियोजन मामले में राज्य सरकार को अभ्यावेदन देने का निर्देश दिया. साथ ही संबंधित विभाग को दो माह के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया था. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कुंदन कुमार ने बताया कि याचिकाकर्ता के विभाग द्वारा भेदभाव किया गया. उन्हीं की तरह उम्मीदवारों को शिक्षक नियोजन का लाभ मिला लेकिन याचिकाकर्ता इससे वंचित रही.

गौरतलब है कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि स्कूलों के प्रभावी निरीक्षण के लिए ब्लाक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (बीपीएमयू) सक्रिय की जाए. बीपीएमयू में 14 कर्मी कार्यरत होने चाहिए. जिस ब्लॉक में 14 कर्मी नहीं हैं, वहां निर्धारित एजेंसी से कर्मियों की कमी पूरी की जाये. इस संदर्भ में जरूरी दिशा निर्देश जारी कर दिये हैं. बीपीएमयू के सभी पदाधिकारी एवं कर्मचारी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के सीधे नियंत्रण में रहेंगे. अपर मुख्य सचिव ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों से कहा है कि स्कूल परिसर में ग्रीन अथवा ब्राउन एरिया को खराब न किया जाये. कहा कि निरीक्षण के दौरान स्कूलों के खाते में पड़ी राशि की भी जानकारी ली जाये. प्रत्येक माह के अंत में मासिक परीक्षा, प्रति सप्ताह टेस्ट और प्रतिदिन होमवर्क दिया जा रहा है या नहीं, इसकी जानकारी निरीक्षण के दौरान अनिवार्य तौर पर ली जाये. अपर मुख्य सचिव ने दो टूक आदेश दिये हैं कि कोई भी पदाधिकारी स्कूल के निरीक्षण पर जाये तो विद्यालय के सभी कमरों के ताले खुलवाएं. इससे पहले प्रधानाध्यापकों को स्पष्ट निर्देश देकर वह सुबह नौ बजे से पहले सभी दरवाजों के ताले खोलें. साथ ही विद्यालय अवधि के बाद कमरों के ताले लगवाएं. इस निर्देश का पालन होना चाहिए.

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