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केके पाठक ने दिया इस्तीफा, क्या नाराज होकर केके पाठक ने दिया इस्तीफा? क्या है वायरल चिट्ठी की सच्चाई...

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केके पाठक ने दिया इस्तीफा

केके पाठक ने नाराज होकर छोड़ा पद 

शिक्षा विभाग के एसीएस का पद छोड़ा

क्या नाराज होकर केके पाठक ने दिया इस्तीफा?

अभी सरकार की तरफ से स्वीकृति नहीं.....

सोशल मीडिया और कई न्यूज चैनलों पर इस तरह की खबरें ब्रेकिंग न्यूज के रूप में चल रहीं हैं कि केके पाठक ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का पद छोड़ दिया है. केके पाठक की हनक पूरे शिक्षा विभाग पर थी. उनकी वजह से बिहार के शिक्षा विभाग में काफी कुछ सुधार हुआ था. हालांकि केके पाठक का पूरा कार्यकाल भी काफी विवादित रहा है. उनके फैसले से पूरा विभाग त्रस्त था. सख्त मिजाज और तेज तर्रार आईएएस ऑफिसर के रूप में उनकी छवि रही है. केके पाठक जिस भी विभाग में रहे हैं उन्होंने उसमें बेहतर काम किया है.

शिक्षा विभाग के अफसर केके पाठक के इस्तीफे की मांग अक्सर राजनीतिज्ञ भी करते रहे हैं. लेकिन उन्होंने इस पद को किसी दबाव में नहीं बल्कि खुद ही छोड़ दिया है. उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग को अपना इस्तीफा भेजा है. विभाग को पत्र लिखकर स्वेच्छा से पद छोड़ने की जानकारी दी है. हालांकि अभी तक सरकार की तरफ से इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया गया है.

बता दें कि कुछ दिन पहले ही केके पाठक ने पत्र लिखकर एक सप्ताह की छुट्टी पर जाने की बात कही थी. वह पिछले 9 जनवरी से अवकाश पर चल रहे हैं. अपने पत्र में उन्होंने स्वास्थ्य को कारण बताया था. के के पाठक का इस्तीफा सरकार को मिला है. इन दिनों केके पाठक छुट्टी पर गए थे. उन्होंने अपने अवकाश की अवधि दो दिन और बढ़ा ली थी. 16 जनवरी तक वो अवकाश पर हैं. वहीं इस बीच वो मंगलवार को अचानक दफ्तर पहुंच गए थे. के के पाठक को लेकर पहले से कई तरह की चर्चा चल रही थी. उनके इस्तीफे की बात भी सुर्खियों में रही लेकिन इसकी कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं हो रही थी. अब उनके इस्तीफे का पत्र सामने आया है जिसमें उन्होंने पद त्यागने की इच्छा जतायी है.

बता दें कि केके पाठक अवकाश पर गए तो शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव ने अपर मुख्य सचिव का प्रभार थामा है. उन्होंने प्रभार संभालते ही बैठक भी की थी. जबकि कुलपतियों और रजिस्ट्रार के साथ भी हाल में उन्होंने बैठक की.

छुट्टी पर जाने के बाद से ही केके पाठक के इस्तीफे की अटकलें तेज हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने अब अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. केके पाठक ने शिक्षा विभाग की कमान संभालने के बाद काफी कड़ाई बरती थी. केके पाठक ने विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र लिखकर इसकी सूचना दी है. केके पाठक ने सरकार को भेजे गए अपने त्याग पत्र में लिखा है कि स्वेच्छा से एसीएस पद से परित्याग करता हूं.

केके पाठक के शिक्षा विभाग के एसीएस के इस्तीफे की अभी सरकार की तरफ से स्वीकृति नहीं दी गई है. केके पाठक की गिनती बिहार के कड़क और काबिल अफसरों में होती है. इससे पहले वो बिहार सरकार के कई विभागों में काम कर चुके हैं. केके पाठक द्वारा किए गए सुधारों को लेकर उनकी आलोचना भी होती रही है. शिक्षा विभाग की कमान संभालने के बाद उन्होंने कई कड़े नियम भी बनाए थे जिसके कारण शिक्षकों का संगठन भी उनसे खासा नाराज था.

बिहार में यह अफवाह तेजी से दौड़ रही है कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने इस्तीफा दे दिया है, या देने वाले हैं. कुछ तथाकथित पत्रकार और यूट्यूबर इस खबर को हवा दे रहे हैं. लेकिन इसके पीछे का सच जान कर आप हैरान रह जाएंगे. सच ये है कि केके पाठक के इस्तीफे की खबर 100 फीसदी, शत प्रतिशत अफवाह है. इसमें कोई सच्चाई नहीं है. केके पाठक ने कोई इस्तीफा नहीं दिया है. सबसे बड़ी बात ये कि वो अपना इस्तीफा राज्य सरकार को दे ही नहीं सकते. वो क्या, कोई भी आईएएस राज्य सरकार को अपने इस्तीफे की चिट्ठी नहीं देता.

एक चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल

दरअसल, एक चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. इसमें केके पाठक के पद प्रभार परित्याग का विवरण है. प्रभार परित्याग की चिट्ठी वायरल होने के बाद लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं. जबकी हकीकत यही है कि वे आठ दिनों की छुट्टी पर गए हैं . सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से वैद्यनाथ यादव को विभाग का संपूर्ण प्रभार मिला है, लिहाजा केके पाठक ने अपना प्रभार सौंप दिया है. पद से इस्तीफा देने वाली खबर में कोई सच्चाई नहीं है.  

इसे लेकर किसी प्रकार की अधिकारिक घोषणा नहीं

हालांकि इसे लेकर किसी प्रकार की अधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. वहीं केके पाठक की ओर से भी इस पर कुछ नहीं कहा गया है. ना ही उनके ऑफिस से सम्पर्क करने पर इस पर कुछ कहा गया. पिछले दिनों केके पाठक छुट्टी पर चले गए थे. वे 16 जनवरी तक छुट्टी पर हैं. उनके अचानक से छुट्टी पर जाने के बाद कई तरह की खबरें आने लगी. इस बीच केके पाठक की जगह उनका प्रभार बैद्यनाथ यादव को सौप दिया गया है. वहीं एक दिन पहले ही अपर मुख्य सचिव के कार्यालय के बाहर से केके पाठक का नेमप्लेट भी हटा दिया गया. हालांकि कुछ समय बाद फिर से उसे लगा दिया गया था. इससे कई प्रकार की कयासबाजी जारी है. 

आखिर क्या है एक आईएएस के इस्तीफे की प्रक्रिया

हम आपको बड़े आसान शब्दों में समझा देते हैं कि एक आईएएस के इस्तीफे की पूरी प्रक्रिया क्या है. सबसे पहले आपको ये बता दें कि ये आसान नहीं होता. किसी कैडर (राज्य) में तैनात आईएएस अफसर राज्य के मुख्यमंत्री या राज्यपाल तक को अपने इस्तीफे की चिट्ठी नहीं देता. एक आईएएस अधिकारी को अपना इस्तीफा राज्य के मुख्य सचिव को सौंपना होता है. अगर वो IAS अफसर अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर है, तो उसे अपना इस्तीफा संबंधित मंत्रालय या विभाग के सचिव को सौंपना जरूरी है. फिर वो मंत्रालय या विभाग अपनी टिप्पणियों या फिर सिफारिश के समेत उस IAS अधिकारी का रिजाइन संबंधित राज्य कैडर को भेजता है.

IAS के इस्तीफा देने के बाद क्या होता है

इतने में ही किसी IAS का इस्तीफा मंजूर नहीं हो जाता है. इस्तीफे के बाद स्टेट ये देखने के लिए जांच करता है कि क्या अधिकारी के खिलाफ कुछ बकाया तो नहीं है. साथ ही अधिकारी की सतर्कता स्थिति या उसके खिलाफ भ्रष्टाचार जैसा कोई केस पेंडिंग है या नहीं. अगर ऐसा कोई भी मामला सामने आता है तो ज्यादातर मामलों में इस्तीफा खारिज कर दिया जाता है. अब सवाल ये है कि इस्तीफे को स्वीकार करने का अधिकार यानी सक्षम प्राधिकार किसके पास है. इसका जवाब है कि IAS के मामले में DOPT (Department of Personnel and training) में राज्य मंत्री के पास ये अधिकार होता है. ये भी जान लीजिए कि डीओपीटी के प्रभारी मंत्री होने की वजह से प्राइम मिनिस्टर यानी प्रधानमंत्री IAS को लेकर फैसला खुद लेते हैं. यानी एक आईएएस के इस्तीफे की चिट्ठी सीएम के पास सीधे न जा कर मुख्य सचिव से होते हुए प्रधानमंत्री तक पहुंचती है.

केके पाठक के इस्तीफे की खबर इसलिए अफवाह

अब सवाल ये कि केके पाठक के इस्तीफे की खबर अफवाह क्यों है? अभी तक इसको लेकर कोई भी नोटिफिकेशन यानी अधिसूचना जारी नहीं की गई है. जबकि आमतौर पर ऐसे किसी भी मामले में अधिसूचना जारी करने का प्रावधान है. रही बात केके पाठक की, तो वो अधिकारी इस्तीफा क्यों देगा, जिसे खुद राज्य के सीएम व्यवस्था में सुधार के लिए पसंद करते आए हैं. ये भी जाहिर है कि जब भी सीएम नीतीश कुमार को किसी विभाग में आमूल चूल परिवर्तन की जरूरत पड़ी है तो उन्होंने कुछ चुनिंदा आईएएस अफसरों पर भरोसा किया है. केके पाठक भी उन्हीं अफसरों में से एक हैं.

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