DESK-- बीजेपी को बहुमत नहीं मिलने की वजह से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में तीसरी बार के कार्यकाल में कई तरह की परेशानी आने वाली है और वे पहले दो कार्यकाल की तरह ही बिना दबाव के काम नहीं कर पाएंगे, क्योंकि उनके शपथ लेने से पहले ही सहयोगी दलों का विभिन्न मुद्दों को लेकर दबाव शुरू हो गया है.
सभी सहयोगी दल ज्यादा से ज्यादा मंत्री और बड़े विभाग पर दावा कर रहे हैं. वहीं बीजेपी सहयोगियों के इस मांग को लेकर अपनी रणनीति बनाने में लगी है इसके लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर हाई लेवल मीटिंग की गई है जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत पार्टी के कई नेता शामिल हुए हैं.
सूत्रों के अनुसार भाजपा ने सभी बड़े मंत्रालय अपने पास रखने का फैसला किया है वही चार सांसदों पर एक मंत्री पद सहयोगियों को देने की सहमति बनी है. इस हिसाब से बीजेपी की सबसे बड़ी सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी को चार मंत्री पर दिया जा सकता है जबकि दूसरे बड़ी सहयोगी नीतीश कुमार की जदयू के लिए तीन मंत्री पद दिया जा सकता है. चिराग पासवान सभी पांच सीटों पर जीतकर आए हैं तो यह संभावना है कि उन्हें दो मंत्री पद दिया जा सकता है.
वहीं जदयू की तरफ से मंत्रालय को लेकर भी परोक्ष रूप से मांग की जाने लगी है पार्टी के प्रवक्ता कैसी त्यागी ने कहा है कि उनके पार्टी के नेता रक्षा, रेल, कृषि समेत कई मंत्रालय में कामकाज संभाल चुके हैं.अगर फिर उन्हें ये विभाग मिलता है तो वे बेहतर काम कर सकते हैं. इसके साथ ही हुए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को फिर से उठा रहे हैं.
वहीं भाजपा की सबसे बड़ी सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी की तरफ से भी वित्त,परिवहन समेत अन्य बड़े विभागों पर दावा किया जा रहा है. महाराष्ट्र की शिवसेना शिंदे गुट को भी दो मंत्री पद मिलने की संभावना है. जबकि बिहार से एकमात्र सीट जीतने वाले पूर्व सीएम जीतन राम मांझी भी मंत्री पद पर दावा ठोक रहे हैं.