लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार की सियासत में खलबली मची हुई है. ऐसे में नेताओं के बीच बयानबाजी भी जमकर देखने के लिए मिल रही है. कई बार ऐसा हुआ है कि, नेताओं के बोल बिगड़ गए और किसी को ठेस पहुंची. जैसा कि, पिछले दिनों ही यह खबर सामने आई कि, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की सभा में चिराग पासवान की मां-बहन को गाली दी गई. जिसका वीडियो खूब वायरल हुआ. इसके अलावे लालू यादव की बेटी और सारण से प्रत्याशी रोहिणी आचार्य को लेकर भी कई सवाल खड़े किए और कई आरोप भी लगाए. ऐसे में अब रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये करारा जवाब दे दिया है.
दरअसल, रोहिणी आचार्य ने लिखा कि, महिलाओं-मां-बहन-बेटियों को गाली देना, उन पर अमर्यादित टिप्पणी करना बहुत आसान है, विकृत मानसिकता वाले ऐसा अमूमन करते हैं. ऐसे लोग, ऐसी जमात से ताल्लुक रखने वाले पाखंडियों को जब एक औरत आईना दिखाती है तो इन्हें सांप सूंघ जाता है. यही स्थिति सारण के वर्तमान सांसद महोदय के साथ-साथ उनकी उस पूरी मंडली की भी है जिसकी ओछी राजनीति वो करते हैं, बजाए कि अपने काम पर वोट मांगे. ये तमाम लोग एक औरत-एक बहन-एक बेटी-एक मां को गाली देने, अपमानित करने में दिन-रात जुटे हैं."
आगे रोहिणी ने यह भी लिखा कि, टूरिस्ट बेटी, विदेशी बेटी, किडनी की एवज में टिकट लिया, वगैरह-वगैरह. मैं पूछती हूं कि, बिहार के साथ-साथ देश की तमाम मां-बहन-बेटियों और हरेक विवेकशील इंसान से कि, क्या ये एक बेटी का अपमान नहीं है ? क्या ये नारी अस्मिता पर चोट नहीं है ? मैं इन लोगों की तरह नहीं हूं. अब मैं नहीं मेरा काम बोलेगा और मेरे लिए बिहार और सारण का आवाम बोलेगा. बता दें कि, रोहिणी आचार्य इतने पर ही नहीं रुकीं. बल्कि आगे भी उन्होंने करारा जवाब दिया.
रोहिणी ने लिखा कि, अंत में एक बात और, क्या हुआ मेरी उस चुनौती का जिसको स्वीकारने से ये लोग डर कर मौन हो गए ? क्यों नहीं स्वीकारते मेरी चुनौती और क्यों नहीं करवा लेते जांच कि मेरे पिता को मैंने नहीं किसी और ने अपनी किडनी दी ? मैं जानती हूं, मेरी चुनौती स्वीकारने का साहस उन लोगों में नहीं है. जो झूठ और फरेब के दम पर ही सियासत करते आए हैं और आज भी उसी झूठी-फरेबी परंपरा को बड़ी बेशर्मी से आगे बढ़ाए जा रहे हैं. एक बेटी की चुनौती स्वीकार नहीं सकते. सच का सामना करने का साहस नहीं तो आओ मेरे पास मांग लो माफी. मैं माफ कर दूंगी. माता जानकी की भूमि बिहार की बेटी हूं. दया और क्षमा करने की प्रवृत्ति में व्यवहार और संस्कार में है. इस तरह से रोहिणी आचार्य ने विरोधियों को करारा जबाव दे दिया है.