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सीएम लालू के बेडरूम में मौजूद रहे बिहार के आला अफसर,'हरी पगड़ी' वाले सीक्रेट ऑपरेशन की इनसाइड स्टोरी

बिहार की राजनीति के एवरग्रीन सितारा कहे जाने वाले राजद सुप्रीमो लालू यादव ने अपने कई फैसलों से पूरे देश को चौंकाया है. मुख्यमंत्री रहते उन्होंने अपने विवेक से ऐसे कई फैसले लिए, जिससे पूरे देश की राजनीति में भूचाल आ गया. ये चर्चा हम इसलिए कर रहे हैं कि घटना सितंबर महीने से जुड़ी हुई है. 

बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सितंबर, 1990 में सोमनाथ से अपनी राम रथ यात्रा शुरू की. उस यात्रा के दौरान देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बनी. इससे बिहार भी अछूता नहीं रहा. यात्रा अक्टूबर महीने में मध्य प्रदेश होते हुए झारखंड के धनबाद में पहुंची. उसके बाद बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव के मन में हलचल पैदा हो गई. उन्होंने एक दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री बीपी सिंह को आडवाणी की गिरफ्तारी की मंजूरी के लिए फोन किया. बीपी सिंह पूरी तरह खामोश हो गए. आडवाणी की गिरफ्तारी इस कहानी में कई रोचक मोड़ हैं. जिसे आम लोग आज भी नहीं जानते. लोग ये भी नहीं जानते कि लालू धनबाद में आडवाणी को गिरफ्तार करना चाहते थे. धनबाद के डीसी और एसपी ने गिरफ्तारी से साफ मना कर दिया था. लालू बहुत निराश हुए.

लालू ने स्वीकार की है पूरी घटना

लालू ने अपनी आत्मकथा 'गोपालगंज से रायसीना', मेरी राजनीतिक यात्रा में इस बात को स्वीकार किया है कि उन्हें आडवाणी की यात्रा रोकने के लिए किसी ने नहीं कहा. लालू यादव को जब प्रधानमंत्री बीपी सिंह की ओर से सही जवाब नहीं मिलता है, तब लालू यादव केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद से संपर्क करते हैं. सईद लालू यादव को दिल्ली बुलाकर बात करते हैं. सईद कहते हैं कि क्या आप आडवाणी को रोकने की कोई योजना बना रहे हैं. सईद लालू यादव को समझाते हुए कहते हैं- आप इसे अपने ऊपर क्यों लेना चाहते हैं? यात्रा को जारी रहने दीजिए. अपनी आत्मकथा में लालू यादव ने लेखक नलिन वर्मा से बातचीत में ये बात साझा करते हुए कही है कि वो सईद पर पूरी तरह गुस्सा हो जाते हैं. लालू कहते हैं कि आप सबको सत्ता का नशा चढ़ गया है. उस दौरान बीपी सिंह प्रधानमंत्री निवास में हिंदू धर्मगुरुओं के साथ बैठक कर रहे होते हैं. सभी उन्हें सलाह देते हैं कि यात्रा को नहीं रोका जाना चाहिए.

'हरी पगड़ी' वाली कहानी

इसी तनाव भरे माहौल में लालू यादव एक दिन बिहारशरीफ पहुंच जाते हैं. वहां के मुस्लिम समुदाय के लोग लालू यादव को 'हरी पगड़ी' भेंट करते हैं. लालू यादव वो पगड़ी लेकर अपने घर चले आते हैं. वे अपने मन में खुद से कहते हैं कि 'हरी पगड़ी' उस भरोसे का प्रतीक है, जो अल्पसंख्यक समुदाय मुझ पर रखता है. लालू यादव ने उस पगड़ी को अपने शयनकक्ष में रखा और प्रतिज्ञा ली कि राज्य में सांप्रदायिक भाईचारा बरकरार रखने के लिए कुछ भी करूंगा. उसके बाद लालू यादव राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बेडरूम में एक बैठक करते हैं. इस बैठक में उनके प्रधान सचिव मुकुंद प्रसाद के साथ दूसरे अधिकारी मौजूद रहते हैं. लालू ने अधिकारियों से कहते हैं कि आडवाणी को हर हाल में गिरफ्तार करना होगा. लालू यादव के इस प्रस्ताव के बाद अफसरों की हालत खास्ता हो जाती है. सब चुप्पी साध लेते हैं. सभी अधिकारी भगवान के नाम पर निकली यात्रा को रोकने में खुद को असहज महसूस करने लगते हैं.

सासाराम में गिरफ्तारी की योजना

लालू आडवाणी को सासाराम में गिरफ्तार करने की योजना बनाते हैं. आडवाणी को रोकने और लेने के लिए हेलीकॉप्टर भेजा जाता है. लालू पायलट को इस योजना के बारे में बता देते हैं. बेडरूम में मौजूद अधिकारियों को लालू सख्ती से चुप रहने का संदेश देते हैं. लालू ने स्वीकार किया है कि सख्त निर्देश के बाद भी ये सूचना लीक हो गई. उसके बाद आडवाणी ने अपना रूट बदल लिया. उसके बाद लालू प्लान 'बी' तैयार करते हैं. लालू तत्कालीन आईएएस अधिकारी आरके सिंह और डीआईजी रैंक के आईपीएस अधिकारी रामेश्वर ओरांव को अपने आवास पर तलब करते हैं. उसके बाद लालू राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव और दूसरे अधिकारियों के नाम से रात में 9 बजे एक विशेष आदेश तैयार कराते हैं. इस आदेश में आरके सिंह और ओरांव को समस्तीपुर में आडवाणी को गिरफ्तार करने का आदेश दिया जाता है. उसके बाद लालू तमाम बड़े अधिकारियों को अपने आवास पर बुलाकर बैठा देते हैं. सुनिश्चित करते हैं कि किसी भी अधिकारी को टेलीफोन की सुविधा नहीं मिले. लालू आरके सिंह और ओरांव को सीआरपीएफ से एस्कॉर्ट्स लेकर समस्तीपुर के लिए रवाना होने का आदेश दे देते हैं.

पूरी रात जागे रहे लालू

लालू यादव का प्लान ये होता है कि समस्तीपुर के डीएम और एसपी तक को आडवाणी की गिरफ्तारी के बारे में पता नहीं चल पाए. वे गिरफ्तारी अर्ली मॉर्निंग तय करते हैं. लालू सरकारी पायलट कैप्टन अविनाश को हेलीकॉप्टर समस्तीपुर ले जाने को कहते हैं. लालू स्वीकार करते हैं कि इतनी गोपनीयता के बाद भी आरएसएस और बीजेपी के नेताओं को इसकी कुछ भनक लग जाती है. 9 अक्टूबर 1990 को लालू के आवास पर बीजेपी के कुछ नेता पहुंचते हैं. वे पूछते हैं कि क्या आप आडवाणी को गिरफ्तार करने वाले हैं. लालू यादव चौंकते हुए कहते हैं- हम पागल हैं क्या? हम आडवाणी जी को क्यों गिरफ्तार करेंगे. वे लौट जाते हैं. लालू के मुताबिक आडवाणी के साथ आए अनेक पत्रकार रात में खाना खाते हैं. रसरंजन करने के बाद सो जाते हैं. लालू उस दिन पूरी रात सो नहीं पाते हैं. लालू सुबह के 4 बजे समस्तीपुर के सर्किट हाउस में फोन करते हैं. रसोइया फोन उठाता है. लालू अपनी पहचान छुपाते हुए कहते हैं- मैं आज अखबार का रिपोर्टर बोल रहा हूं. आडवाणी जी क्या कर रहे हैं? उधर से रसोइया कहता है कि आडवाणी जी सो रहे हैं. लालू फिर पूछते हैं- क्या वह अकेले हैं या उनके साथ और भी लोग हैं? रसोइया बताता है- वो अपने कमरे में अकेले हैं. लालू कहते हैं- आप आडवाणी जी को चाय दीजिए और उनके कमरे के टेलीफोन का रिसीवर नीचे कर दीजिए. उसके कुछ ही देर बाद लालू यादव को रामेश्वर ओरांव और आरके सिंह सूचना देते हैं कि काम हो गया.

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