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लालू यादव ने सीएम नीतीश को नहीं लगाया दही का तिलक, आखिर लालू ने क्यों नही दिया नीतीश को भाव?

बिहार समेत अन्य राज्यों में आज बड़े ही उत्साह के साथ मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है. बिहार में मकर संक्रांति के दिन विशेष तौर पर दही-चूड़ा के भोज का भी आयोजन भी होता है. दही-चूड़ा का यह भोज सियासी गलियारे में खूब चर्चा का विशय बना रहता है. खासतौर पर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और पूर्व जेडीयू नेता वशिष्ठ नारायण सिंह के घर होने वाले दही-चूड़ा भोज में हर साल बड़े-बड़े राजनीतिक दिग्गज जुटते हैं. लेकिन, इस बार वशिष्ठ नारायण सिंह के यहां तो दही-चूड़ा भोज का आयोजन नहीं हो रहा है. लेकिन, राबड़ी आवास में दही-चूड़ा भोज का आयोजन किया गया है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी हमेशा की तरह लालू यादव और राबड़ी देवी के इस दही चूड़ा भोज में शामिल होने के लिए उनके आवास पैदल ही पहुंचे थे. लेकिन, इस बार के भोज की तस्वीरें कई मायनों में थोड़ी अलग नजर आ रही थीं.

दरअसल इस बार नीतीश कुमार जब लालू यादव और राबड़ी देवी के घर से निकले तो उनके माथे पर दही का तिलक नहीं नजर आ रहा था. इसके साथ ही जिस तरह हर बार लालू यादव, राबड़ी देवी और उनके परिवार के सदस्य विशेष रूप से नीतीश कुमार का स्वागत करने गेट तक आते थे और उन्हें छोड़ने के लिए भी बाहर निकलते थे. इस बार ऐसा कुछ नहीं दिखा. 

साल 2015 में राबड़ी आवास पर दही-चूड़ा भोज के दौरान जिस तरह लालू यादव ने खुद नीतीश कुमार के माथे पर दही का तिलक लगाते हुए विजयी होने का आशीर्वाद दिया था और उसके बाद महागठबंधन को चुनाव में बड़ी जीत भी मिली थी. लेकिन, इस बार लालू यादव के यहां दही चूड़ा भोज के दौरान कई पुरानी तस्वीरें नहीं देखने को मिली.

इसके साथ ही राबड़ी आवास की अंदर की तस्वीरें भी सामने आईं जिसमें सीएम नीतीश तो दही-चूड़ा का आनंद लेते दिखे लेकिन लालू यादव बगल में बैठे आग तापते दिखे. दोनों के चेहरे कुछ और ही कहानी बयां कर रहे थे.

सीएम नीतीश के माथे पर दही का तिलक नहीं होने पर अब बिहार में सियासी पारा हाई हो गया है. इस बीच, बिहार के डिप्‍टी सीएम तेजस्‍वी यादव ने कहा कि प्रदेश में जबसे महागठबंधन की सरकार बनी है, बीजेपी नर्वस है. उन्‍होंने कहा कि लालू यादव और नीतीश कुमार साथ आए और अब बिहार में युवाओं को नौकरियां दी जा रही हैं. आरक्षण की सीमा बढ़ाई गई और जातिगत सर्वे भी कराया गया. हमलोग किए गए वादों को पूरा कर रहे हैं, जिससे कुछ लोग डर गए हैं.

क्या पक रही सियासी खिचड़ी?

राबड़ी देवी के आवास पर आयोजित दही-चूड़ा भोज में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार महज दस मिनट तक ही रुके और इसके बाद वो वापस अपने आवास एक अणे मार्ग लौट गये. यही नहीं जब नीतीश कुमार राबड़ी आवास से बाहर निकले तो उनसे जब पत्रकारों ने तिलक नहीं लगाने को लेकर सवाल पूछा तो नीतीश कुमार ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया और सिर्फ मीडिया कर्मियों को मकर संक्रांति की बधाई देते हुए बाहर निकल गए. 

ऐसे में अब यह कयास लगाए जा रहे हैं कि भले ही नीतीश कुमार काफी दिनों के बाद राबड़ी आवास पर तो गए लेकिन शायद इस बार लालू और नीतीश के बीच की दूरियां बढ़ी हुई थी. दरअसल बीते कुछ दिनों से सियासी गलियारे में नीतीश कुमार को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं. जेडीयू द्वारा सियासी खिचड़ी पकाए जाने की चर्चाओं के बीच आज दही-चूड़ा भोज के दौरान लालू-नीतीश की मुलाक़ात को काफी अहम माना जा रहा था.

वहीं लालू प्रसाद यादव के द्वारा नीतीश कुमार को इस बार दही का तिलक नहीं लगाए जाने पर JDU के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाह ने कहा कि महागठबंधन में सब ठीक है जिनको जो देखना है देखते रहे. इधर RJD प्रवक्ता शक्ति यादव का कहना था कि जिनको सफेद टीका नहीं दिख रहा वो अपना आंख दिखवा लें. वहीं RJD विधायक डॉ मुकेश रौशन का कहना है कि लालू यादव नीतीश कुमार के बड़े भाई हैं. उनका आशीर्वाद सदैव नीतीश कुमार के साथ है. इंडी गठबंधन पूरी मजबूती के साथ लोकसभा चुनाव लड़ेगी और बिहार की चालीस की चालीस सीट जीतेगी. इसके साथ ही राजद नेता भाई विरेन्द्र ने भई साफ कह दिया कि 'INDIA गठबंधन अटूट है...मजबूत है...'

इसे लेकर बीजेपी के सम्राट चौधरी ने भी कह दिया है नीतीश कुमार का महागठबंधन में कोई वैल्यू नहीं रह गया है. बीजेपी विधायक नीरज बबलू ने भी सीएम नीतीश के बारे में कह दिया कि उन्हें दूध में गिरी मक्खी की तरह राजद ने फेंक दिया है. अब सीएम दही का टीका लगाएं या दही से नहाएं उन्हें कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है. बीजेपी को छोटी-मोटी पार्टी से कुछ फर्क पड़ने वाला नहीं है.

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