पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन की कुछ दिनों पहले ही रिहाई हुई है. कानून में संशोधन के बाद आनंद मोहन जेल से बाहर आ गए हैं. लेकिन, अभी भी आनंद मोहन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. आनंद मोहन की मुश्किलें अब तक कम नहीं हुई है. दरअसल, बाहुबली नेता की रिहाई के खिलाफ भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. यहां बात हो रही है भाजपा नेता केजे अल्फोंस की जो आनंद मोहन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गए हैं.
बता दें कि, केजे अल्फोंस केरल के वरिष्ठ भाजपा नेता है और केंद्र की सरकार में पर्यटन मंत्री भी रह चुके हैं. वहीं, अब वे आनंद मोहन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. ये भी बता दें कि, यह पूरा मामला 1994 में गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया के मर्डर के केस जुड़ा हुआ है. इस हत्या के मामले में आनंद मोहन को 13 साल बाद 2007 में फांसी की सजा सुनाई गई थी. जिसके बाद आनंद मोहन ने पटना हाईकोर्ट में सजा के खिलाफ अपील दायर किया था. सुनवाई के बाद 2008 में हाईकोर्ट ने अपना फैसला बदला और आनंद मोहन की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया.
वहीं, उम्रकैद की सजा के खिलाफ आनंद मोहन ने 2012 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लेकिन, यहां से उन्हें निराशा प्राप्त हुई और उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया. जिसके बाद उन्हें करारा झटका मिला था. इसके बाद कुछ दिनों पहले ही नीतीश सरकार के द्वारा कानून में संशोधन किया गया. जिसके मुताबिक, नियम बदल दिए गए और बाहुबली नेता आनंद मोहन के साथ अन्य 26 कैदियों को जेल से रिहा कर दिया गया.
कानून में संशोधन के बाद आनंद मोहन की रिहाई का मामला अब बिहार की सियासत में पूरी तरह से गरमा गया. विपक्ष की तरफ से नीतीश सरकार पर कई तरह के सवाल उठने शुरू हो गए. एक सवाल ये भी था कि, क्या वर्तमान में कानून के अंदर लाया गया बदलाव सालों पहले सुनाई गई सजा पर लागू होगा? आनंद मोहन की रिहाई पर खूब बयानबाजी हुई. वहीं, अब भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री केजे अल्फोंस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. वहीं, अब आनंद मोहन फिर से जेल जायेंगे या जेल जाने के बाद उनकी रिहाई होगी या आजीवन कारावास की सजा होगी....यह तो देखने वाली बात होगी.