51-51 मिट्टी के बर्तन से वैदिक मंत्र के साथ बारी बारी से तीनो विग्रहो को स्नान कराया मंदिर के पुजारी श्री रामेश्वर पाढ़ी जी, श्री कोषतूभ मिश्रा, श्री सरयू नाथ मिश्र, श्री श्रीराम महंती के द्वारा सम्मान कराया गया। इस पूजा के यजमान मंदिर के प्रथम सेवक ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव होते हैं। इसके बाद महाप्रभु का सिंगार नए वस्त्रों को पहनाया गया। अपराह्न 2:00 बजे मंगल आरती हुई । इसके उपरांत मालपुआ, आम, बादाम, इलाचिदाना का भोग लगाया गया।
3:00 बजे महाप्रभु की श्रृंगार कर 108 मंगल आरती हुई।
श्री जगन्नाथ अष्टकम, गीता का पाठ किया गया।
इसके उपरांत 1:30 बजे से 3:30 बजे तक आम जनों के द्वारा महाप्रभु को स्नान बारी-बारी से कराया गया।
3:30 महाप्रभु को एकांतवास में ले जाया गया जहां पर आम जनों का मंदिर के पुजारियों का जाना निषेध हो जाता है और इसी बीच महाप्रभु का 15 दिनों का एकांतवास प्रारंभ हो जाता है। उनका औषधि से उपचार किया जाता है कहा जाता है कि अधिक स्नान हो जाने से प्रभु बीमार पड़ जाते हैं और एकांतवास में चले जाते हैं।
दिनांक 06 जुलाई को नेत्रदान महोत्सव के दिन शाम के 4:30 बजे महाप्रभु फिर से बाहर निकलते हैं और भक्तों को दर्शन देंगे।
07 जुलाई को महाप्रभु का ऐतिहासिक रथ यात्रा होता है जो शाम के 4:00 से रथ चलते हुए मौसी बाड़ी को पहुंचता है।
पुनः घूरती रथ यात्रा 17 जुलाई को होना है।
इस धार्मिक अनुष्ठान में जगन्नाथपुर मंदिर न्यास समिति के उपाध्यक्ष श्री अशोक नरसरिया, न्यास समिति के सचिव श्री मिथिलेश कुमार , जगन्नाथपुर मंदिर के प्रथम सेवक सेवायत सह सदस्य मंदिर न्यास समिति ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव , कोषाध्यक्ष श्री विनोद कुमार, सदस्य श्री अनिल कुमार मिश्र एवं तमाम भक्तजन उपस्थित हुए और भगवान का पूजा पाठ संपन्न कराया।