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नहीं अपराधी कानून के खिलाफ पटना में भाकपा माले का प्रदर्शन

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मोदी सरकार द्वारा नए क्रिमिनल कोड के खिलाफ़ देशव्यापी प्रतिवाद दिवस के तहत बिहार की पटना सहित राज्य के विभिन्न जिला मुख्यालयों में भाकपा-माले की ओर से प्रतिरोध मार्च निकाले गए।राजधानी पटना में जीपीओ गोलबंर से बुद्ध स्मृति पार्क तक मार्च निकला और फिर प्रतिरोध सभा का आयोजन हुआ।राजधानी पटना में आयोजित मार्च का नेतृत्व माले राज्य सचिव कुणाल, ऐपवा महासचिव मीना तिवारी, विधान पार्षद शशि यादव, आइलाज की बिहार संयोजक मंजू शर्मा, किसान नेता शंभूनाथ मेहता, इंसाफ मंच के गालिब, एआइपीएफ के कमलेश शर्मा, रामबलि प्रसाद, जितेन्द्र कुमार, मुर्तजा अली, राजेन्द्र पटेल, डॉ. प्रकाश, अनिल अंशुमन, आइसा राज्य सचिव सबीर कुमार आदि नेताओं ने किया. प्रतिवाद सभा का संचालन पटना महानगर कमिटी के सचिव अभ्युदय ने किया।माले राज्य सचिव कुणाल ने प्रतिवाद सभा को संबोधित करते हुए कहा कि नए आपराधिक कानून भारत को एक पुलिस राज्य में बदल देंगे. इसे हम एक संस्थागत स्थायी आपातकाल कह सकते हैं जहां पुलिस के पास मनमानी शक्तियां होंगी और असहमत नागरिकों पर जेल जाने का स्थायी खतरा होगा।नए क्रिमिनल कोड नागरिक स्वतंत्रता और अधिकारों का हनन करने और सरकारी दमन बढ़ाने के औजार मात्र हैं. इन पर तत्काल रोक लगनी चाहिए. ये कानून अंग्रेजों के जमाने से भी ज्यादा खतरनाक हैं. हमने राष्ट्रपति से इन कानूनों को रद्द करने की मांग की है.
आगे कहा कि समाज के विभिन्न तबकों और न्याय पसंद नागरिकों के बीच इन तीन नए फौजदारी संहिताओं - भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लेकर गम्भीर चिंता हैं. इन तीनों संहिताओं में (जो क्रमशः भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया सहित 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 का स्थान लेंगी) मूलभूत नागरिक स्वतंत्रता - जैसे बोलने, हक-अधिकार के लिए आवाज उठाने, प्रदर्शन की स्वतंत्रता और अन्य नागरिक अधिकारों को अपराध की श्रेणी में लाने वाले कठोर कानूनों का प्रावधान है. भूख हड़ताल को भी अपराध बना दिया गया है. जबकि नए नामकरण के साथ कुख्यात राजद्रोह कानून भारतीय दंड संहिता आईपीसी की धारा 124 ए को कायम रखा गया है। केंद्र सरकार से इन तीन फौजदारी कानून को लागू करने का निर्णय स्थगित करने और उन्हें संसद में फ़िर से पेश करने की मांग की है ।ताकि इनकी सही जांच-परख हो सके और इन पर चर्चा हो सके.


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