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भाकपा माले ने की सरकार से कर बदल बैठक बुलाने की मांग

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 पटना में माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार की तथाकथित डबल इंजन की सरकार डबल बुलडोजर की सरकार है. राज्य की भयावह गरीबी, पलायान, बाढ़ आदि समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. कुछ सड़कों -हवाई अड्डों का सब्जबाग दिखलाकर बिहार के विकास का जो बखान किया जाता रहा है वह पूरी तरह बकवास है. विशेष राज्य के दर्र्जे बिहार को विशेष राज्य का दर्जा अथवा बैकवर्ड एरिया ग्रांट आदि सवालों से भी सरकार ने मुंह चुरा लिया है. दूसरी ओर, हाल के दिनों में राज्य में दलित-गरीबों-महिलाओं पर संगठित हिंसा, अपराध व बलात्कार हर रोज नया रिकाॅर्ड बना रहा है. भूमि सर्वे गरीबों को उजाड़ने का अभियान बन रहा है. भूदान, सीलिंग, सिकमी बटाईदार सबों के लिए यह आफत बना हुआ है. यहां तक कि बंटवारा व दाखिल खारिज न होना, कागजात की कमी आदि अनेक कारणों से यह अन्य लोगों के लिए भी तबाही का कारण बना हुआ है. जबतक इससे जुड़े तमाम मामले हल नहीं होते, इसपर रोक लगाने की जरूरत है. पूरे बिहार में स्मार्ट मीटर एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है. हर कोने से इसपर रोक की मांग उठ रही है लेकिन सरकार चुपी साधे हुए है. संवाददाता सम्मेलन को पार्टी के राज्य सचिव का. कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, स्कीम वर्कर की नेता शशि यादव, वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, सत्यदेव राम ने भी संबोधित किया. इसी आलोक में भाकपा-माले आगामी 16 से 25 अक्तूबर तक बिहार में ‘बदलो बिहार न्याय यात्रा’ निकालेगी. वक्त आ गया है कि बिहार में बदलाव की लड़ाई को तेज किया जाए. इसके तहत राज्य में मुख्यतः 5 यात्राएं निकलेगी. साथ ही, जिलों में भी यात्राएं आयोजित की जाएंगी. 27 अक्टूबर को पटना में ‘बदलो बिहार जन सम्मेलन’ का आयोजन किया जाएगा. यात्रा के दौरान जीविका, आशा-रसोइया, आंगनबाड़ी सहित अन्य स्कीम वर्करों, रोजगार के लिए आंदोलनरत छात्र-युवाओं, मजदूर-किसानों के साथ-साथ अन्य ज्वलंत सवालों पर जन संवाद के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे. माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार में बाढ़ की भयावह स्थिति के लिए दिल्ली-पटना की सरकारें जिम्मेवार हैं. उनके नेतृत्व में 6 अक्टूबर को भाकपा-माले नेताओं की एक उच्चस्तरीय टीम बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेगी. वे बागमती इलाके होते हुए कोसी कटाव स्थल तक जायेंगे. कोसी के तटबंधों का भाजपा-नीतीश सरकार में दो बार टूटना बड़ा सवाल करता है. यह सरकार की आपराधिक लापरवाही को दर्शाता है. आत्ममुग्ध सरकार जमीनी हकीकत से पूरी तरह कट सी गई है. उन्होंने आगे कहा कि जिन लोगों के घर ध्वस्त हो गए, उन परिवारों के लिए 7 हजार राहत की घोषणा ऊंट के मुंह में जीरा के समान है. औराई में राहत मांग रहे लोगों पर लाठीचार्य निंदनीय है. बाढ़ प्रभावित इलाके के दौरे पर जाने वाली टीम में विधायक दल के नेता महबूब आलम, युवा विधायक संदीप सौरभ, एमएलसी शशि यादव, पार्टी के मिथिलांचल प्रभारी धीरेंद्र झा, कोसी प्रभारी बैद्यनाथ यादव और किसान नेता जितेंद्र यादव आदि रहेंगे. बाढ़ की तबाही को देखते हुए सरकार को खुद पहल लेकर सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए थी और राहत, फसल क्षति मुआवजा व बाढ़ के स्थाई समाधान पर बातचीत करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा उसका कोई विचार नहीं है. राज्य के उपुर्यक्त सवालों पर तत्काल सर्वदलीय बैठक और विधानसभा का विशेष सत्र बुलाये जाने की मांग भाकपा माले ने की है.

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